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हॉस्पिटल बोला- इलाज में लगेंगे 1 लाख रुपये, फिर दिया 2.3 करोड़ का बिल!

महिला ने साल 2014 में अपनी दो सर्जरी करवाई थीं, उनसे जो पैसे पहले तय किए गये थे. उन्‍हें उससे ज्‍यादा का बिल थमा दिया गया...पर इस मामले में एक ऐतिहासिक फैसला आया है.

जब हॉस्पिटल ने महिला को थमा दिया 2 करोड़ रुपए से ज्‍यादा का बिल (प्रतीकात्‍मक फोटो/रॉयटर्स ) जब हॉस्पिटल ने महिला को थमा दिया 2 करोड़ रुपए से ज्‍यादा का बिल (प्रतीकात्‍मक फोटो/रॉयटर्स )
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली ,
  • 20 मई 2022,
  • अपडेटेड 4:30 PM IST
  • इलाज के लिए देने थे 1 लाख रुपए से ज्‍यादा
  • 2014 में महिला ने करवाई थी सर्जरी

एक महिला को अस्‍पताल ने 2 करोड़ 35 लाख रुपए से ज्‍यादा (3,03,709 अमेरिकी डॉलर) का बिल थमा दिया था. लेकिन, उन्‍हें अपनी सर्जरी के लिए 1 लाख रुपए (1300 अमेरिकी डॉलर) देने थे. पर, अब इस महिला के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है. दरअसल, अस्‍पताल ने कई ऐसे चार्ज उनके बिल में जोड़ दिए थे, जिसके बारे में महिला को पहले जानकारी नहीं दी गई थी.    

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अमेरिका में सामने आए इस मामले में महिला को 2 करोड़ से ज्‍यादा का बिल भेज दिया गया था. कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाया. महिला ने सबअर्बन डेनवेर हॉस्पिटल में स्‍पाइनल फ्यूजन सर्जरी करवाई थी.

महिला से वो चार्ज भी लिए गए, जिसके बारे में उन्‍हें पहले से जानकारी नहीं दी गई थी. लिजा फ्रेंच नाम की इस महिला ने साल 2014 में अपनी दो सर्जरी करवाई थीं. 

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सीबीसी न्‍यूज की रिपोर्ट के मुताबिक,  कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट के जजों ने सोमवार को एकमत राय में फ्रेंच के पक्ष में फैसला सुनाया. जिसमें कहा गया कि वेस्‍टमिंस्‍टर में मौजूद 'सेंट एंथनी नॉर्थ हेल्‍थ कैंपस' फ्रेंच को एक्‍सट्रा चार्ज देने के लिए विवश नहीं कर सकता है. 

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क्‍या हुआ था बिल के नाम पर? 
फ्रेंच को 1 लाख रुपए से ज्‍यादा अपने इलाज की एवज में देने थे. वहीं, उनका बिल 2 करोड़ 35 लाख रुपए से ज्‍यादा का था. जबकि,  इंश्‍योरेंस कंपनी ने उनको केवल 57 लाख रुपए (74,000 अमेरिकी डॉलर) का ही भुगतान किया था.  

'नो सरप्राइज एक्‍ट' के कारण हुआ ऐसा....
दरअसल, अमेरिका में साल 2022 की शुरुआत होने के साथ ही एक नया कानून आया. जिसका नाम था 'नो सरप्राइज एक्‍ट' (No Surprises Act). जिसमें कई तरह के अप्रत्‍याशित मेडिकल चार्ज पर बैन लगा दिया गया था, जो 'आउट ऑफ नेटवर्क प्रोवाइडर' द्वारा लगाए जाते थे. 

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इसका सबसे बड़ा फायदा इलाज कराने वाले लोगों और उपभोक्‍ताओं को ये हुआ कि वे इंश्‍योरेंस प्रदान करने वाले और इलाज करने वालों के बीच होने वाले विवाद में नहीं फंसेंगे. जब ये कानून बना था तो गवर्नर टॉम वॉल्‍फ ने इसे निर्णायक कहा था. 

 

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