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'महिलाएं तो नाजुक फूल की तरह हैं...', ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ऐसा क्यों बोले?

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने बुधवार को एक पोस्ट के जरिए कहा, 'महिला एक नाजुक फूल है, एक घर की नौकरानी नहीं.' लेकिन उनका पोस्ट ऐसे समय में सामने आया है जब उनके शासन में महिलाएं अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं.

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई. (फाइल फोटो) ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 9:58 AM IST

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने बुधवार को एक पोस्ट के जरिए कहा, 'महिला एक नाजुक फूल है, एक घर की नौकरानी नहीं.' लेकिन उनका पोस्ट ऐसे समय में सामने आया है जब उनके शासन में महिलाएं अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं.

ईरान की कई महिलाएं, अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रही हैं. 22 वर्षीय महसा अमिनी को कैसे भूला जा सकता है, जो खामेनेई के तानाशाही शासन के खिलाफ हिजाब कानूनों का विरोध में सड़कों पर उतरीं थीं और उनकी पुलिस ने हत्या कर दी थी.

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महिलाओं को लेकर क्या बोले खामेनेई

खामेनेई ने कहा, 'महिला एक नाजुक फूल है और वह एक घर की नौकरानी नहीं है. एक महिला को घर में एक फूल की तरह संभालकर रखना चाहिए. फूल को देखभाल की जरूरत होती है. उसकी ताजगी और मीठी खुशबू को हवा में खुशबू फैलाने के लिए उपयोग करना चाहिए.'

उन्होंने ट्वीट में कहा, "महिलाओं और पुरुषों की पारिवारिक भूमिका अलग-अलग होती है. उदाहरण के लिए, पुरुष परिवार के खर्चों के लिए जिम्मेदार होते हैं, जबकि महिला संतानोत्पत्ति की जिम्मेदारी निभाती है. इसका मतलब यह नहीं है कि एक दूसरे से श्रेष्ठता है. ये अलग-अलग गुण हैं, और पुरुषों और महिलाओं के अधिकार इन पर आधारित नहीं होते.'

लेकिन सच्चाई कुछ और है...

खामेनेई की बातें भले ही उनके कृत्यों से बिलकुल अलग हैं. सच्चाई ये है कि खामेनेई का शासन महिलाओं पर निर्मम तरीके से कार्रवाई कर रहा है. 

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हिजाब कानून के बहाने महिला उत्पीड़न

1979 की ईरानी क्रांति के बाद ईरान की नई सरकार ने इस्लामिक कानून, शरिया, को लागू किया, जिसने महिलाओं के अधिकारों को गंभीर रूप से सीमित कर दिया. हिजाब अनिवार्य हो गया. यह सिर्फ महिलाओं के जीवन पर प्रतिबंधों की शुरुआत थी, जो दशकों तक जारी रही.

यह भी पढ़ें: महिलाओं के प्रोटेस्ट से झुका ईरान? हिजाब पर कट्टरपंथी कानून के अमल पर लगाई रोक

महिलाएं इन प्रतिबंधों के विरोध में जब सड़कों पर उतरती हैं तो उन्हें प्रताड़ित किया जाता है. अमिनी की मौत के दो साल बाद, ईरानी अधिकारियों ने महिलाओं की आवाजों को दबाने के लिए अपनी कोशिशों को तेज कर दिया है. खामेनेई के निर्देश पर, पुलिस ने 'नूर' नामक एक नया अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य अनिवार्य हिजाब को फिर से कड़ी से लागू करना है.

सड़कों पर पुलिस, ट्रैफिक पुलिस और अन्य राज्य संस्थाएं महिलाओं को निशाना बना रही हैं. हिजाब कानूनों का उल्लंघन करने वाली महिलाओं को अवैध गिरफ्तारी, बैंक खाते की जब्ती, कार का जप्तीकरण और यहां तक कि विश्वविद्यालय से निष्कासन जैसी कई दंडात्मक कार्रवाइयों का सामना करना पड़ता है.

हाल ही में, ईरानी अधिकारियों ने 27 वर्षीय गायिका परस्तू अहमदी को गिरफ्तार किया, जिन्होंने यूट्यूब पर एक वर्चुअल कॉन्सर्ट पोस्ट किया था, जिसमें वह हिजाब के बिना प्रदर्शन कर रही थीं. इतना ही नहीं, ईरानी पुलिस ने 31 वर्षीय अरेज़ू बादरी को भी गोली मार दी, क्योंकि वह कार ड्राइव कर रही थीं.

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