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मछली के बदले संबंध बनाने की महिलाओं से डिमांड, इस देश में मचा बवाल

अफ्रीकी देश मलावी में मछली के बदले सेक्स का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है. गरीब महिलाओं से मछुआरे मछली के बदले सेक्स की मांग कर रहे हैं. मछली बेचने वाली महिलाओं को मजबूरी में मछुआरों के आगे झुकना पड़ रहा है. हालांकि, अब महिलाएं इसके खिलाफ एकजुट हो रही हैं.

अफ्रीकी देश में मछली के बदले सेक्स का चलन बढ़ता जा रहा है (Representational Image- AFP) अफ्रीकी देश में मछली के बदले सेक्स का चलन बढ़ता जा रहा है (Representational Image- AFP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 मई 2023,
  • अपडेटेड 10:10 AM IST

तीन बच्चों की विधवा मां कैथरीन (बदला हुआ नाम) लगातार तीन दिनों तक मलावी झील के तट पर लुवुची में मछली पकड़ने वाले एक कैंप में गईं ताकि वो मछली खरीद सकें. लेकिन तीनों ही दिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा क्योंकि उन्होंने मछुआरों को मछली के बदले में सेक्स देने से मना कर दिया.

साल 2018 की इस घटना को याद करते हुए कैथरीन बताती हैं, 'मैंने तीन दिनों तक उन्हें मना कर दिया लेकिन फिर मेरी और मेरे बच्चों की जिंदगी मुश्किल होती जा रही थी. मुझे मछली बेचने की सख्त जरूरत थी क्योंकि यही मेरी आय का एकमात्र जरिया था.'

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अब 44 साल की हो चुकी कैथरीन ने अलजजीरा से बात करते हुए बताया, 'चौथे दिन, मैं वापस तट पर गई. इस बार जब मछुआरों से मछली के बदले में सेक्स की मांग की तो मैं उन्हें मना नहीं कर सकी.'

मलावी सरकार की 2021 की वार्षिक आर्थिक रिपोर्ट के अनुसार, मछली पकड़ना और बेचना देश में 50,000 से अधिक लोगों को रोजगार देता है और देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में इसका चार प्रतिशत योगदान है.

विशेषज्ञों का कहना है कि हाल के वर्षों में, अत्यधिक मछली पकड़ने और जलवायु परिवर्तन के कारण मछलियों का संख्या में काफी कमी आई है.

सांकेतिक तस्वीर (Photo- Unsplash)

मछली के बदले सेक्स का बढ़ता चलन

उत्तरी मलावी स्थित मजुजु विश्वविद्यालय में मत्स्य पालन और जलीय विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर फैनुएल कपुते का कहना है कि इस कारण मलावी के उन जिलों में मछली के बदले में सेक्स का चलन शुरू हो गया है जो झील के किनारे स्थित हैं. इन इलाकों के लोगों के आय का प्रमुख साधन मछली पकड़ना और उन्हें बेचना है. यह चलन विशेष रूप से उन इलाकों में ज्यादा है जहां मछुआरों से मछली खरीदने वाली महिलाएं गरीब हैं.

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उन्होंने कहा, 'नवंबर और दिसंबर के महीनों में मछली के बदले सेक्स का चलन और बढ़ जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस दौरान मछलियां काफी कम मिलती हैं और लोगों के बीच प्रतिस्पर्धा अधिक होती है.'

2012 से मछुआरे का काम कर रहे फ्रैंक नखानी ने दावा किया कि उन्होंने कभी मछली के लिए महिलाओं से सेक्स की मांग नहीं की. हालांकि, उन्होंने ये जरूर कहा कि वो लुवुची में कई ऐसे मछुआरों को जानते हैं जो ऐसा करते हैं. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि कुछ महिलाएं खुद भी मछुआरों को मछली के बदले में पैसे के बजाए सेक्स ऑफर करती हैं.

सांकेतिक तस्वीर (Photo- Unsplash)

उन्होंने कहा, 'कुछ महिलाओं के पास बिल्कुल भी पैसे नहीं होते हैं, इसलिए वो कहती हैं कि मछली का भुगतान पैसे के बजाए वो सेक्स से करेंगी.

मलावी में यह ट्रेंड गुपचुप तरीके से चल रहा है और इसके अधिकतर मामले रिपोर्ट नहीं किए जाते. इस कारण मछली के लिए सेक्स में शामिल मछुआरों और मछली बेचने वाली महिलाओं की सही संख्या का पता लगा पाना मुश्किल है.

रुम्फी जिले के मात्स्यिकी विभाग में काम करने वाले ओथनील डुवे का कहना है कि इस प्रथा ने महिलाओं और मछुआरों को एचआईवी और एड्स के खतरे में डाल दिया है.

वो कहते हैं, 'कई मछुआरे मछली पकड़ने के अपने कैंप्स को बदलते रहते हैं. ऐसे में अगर वो वायरस से संक्रमित हैं तो दूसरे कैंप के लोगों को भी इसका संक्रमण दे सकते हैं.'

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टीचर बनना चाहती थीं कैथरीन

कैथरीन का सपना था कि वो किसी स्कूल में बच्चों को पढ़ाएं लेकिन उनकी जिंदगी ने एक अलग ही मोड़ ले लिया. जब वो स्कूल में पढ़ रही थी तभी वो अपने पहले बच्चे के साथ गर्भवती हो गईं. इस कारण उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी. दो सालों बाद उन्होंने मछली बेचना शुरू किया.

सांकेतिक तस्वीर (Photo- Unsplash)

उनके पति एक क्लिनिकल ऑफिसर थे जिनकी साल 2017 में मलेरिया से मृत्यु हो गई. पति की मौत के बाद कैथरीन पर परिवार की पूरी जिम्मेदारी आ गई.

उन्होंने बताया, 'पहले जब मछली नहीं बिकती या मैं मछली बेचने नहीं जाती थी तब मेरे पति परिवार चला लेते थे लेकिन उनके मरने के बाद मुझे मछली बेचने पर ही पूरी तरह निर्भर होना पड़ा.'

कैथरीन ने बताया कि साल 2018 में मछली को कम कीमत पर खरीदने के लिए उसने कई मछुआरों के साथ यौन संबंध बनाना शुरू किया. मछली के बदले उन्होंने कई सालों तक अपने शरीर को बेचा. 

आखिरकार खत्म हुआ सिलसिला

2022 में यह सिलसिला खत्म हुआ जब लुवुची में केट मवाफुलिरवा नाम की एक महिला ने उन्हें  टिटुकुलाने नामक एक महिला सहकारी संस्था से जोड़ा. टिटुकुलाने का अर्थ चिचेवा भाषा में 'एक दूसरे का उत्थान' करना है.

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58 वर्षीय मवाफुलिरवा 30 लोगों की सहकारी संस्था चलाती हैं जो पिछले साल ही शुरू हुई थी. कैथरीन की तरह, मवाफुलिरवा भी अपने परिवार में कमाने वाली एकमात्र सदस्य हैं. सात बच्चों और बुजुर्ग पति की देखभाल उनके जिम्मे है. मवाफुलिरवा ने साल 1980 के दशक में मछली बेचने का व्यवसाय शुरू किया था. 

58 साल की मवाफुलिरवा बताती हैं कि इस उम्र में भी उनसे युवा मछुआरे मछली के बदले सेक्स की मांग कर बैठते हैं. उन्होंने बताया, 'मछली के बदले उनका मुझसे सेक्स की मांग करना बेहद शर्मनाक और अपमानजनक है.'

टिटुकुलाने सहकारी संस्था महिलाओं को छोटे व्यवसाय चलाने और उनकी आय के स्रोतों में विविधता लाने के लिए सशक्त बनाने का काम करती है. उन्होंने कहा कि महिलाएं अब मछली खरीदने के लिए अकेले जाने के बजाए चार-पांच के ग्रुप में जाती हैं जिससे उनके शारीरिक शोषण की संभावना कम होती है. 

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