जो बाइडेन के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद पाकिस्तान में उनके फोन कॉल का इंतजार महीनों से हो रहा है. लेकिन तालिबान को लेकर जिस तरह से पाकिस्तान की पोल खुली है उससे लगता है कि ये इंतजार लंबा खिंच सकता है क्योंकि अमेरिका तालिबान से दोस्ती करके अमेरिकी मदद की नौटंकी करने वाले पाकिस्तान से रिश्तों की समीक्षा करने जा रहा है. अमेरिका अफगानिस्तान से निकलने में हुई अपनी बेइज्जती के लिए पाकिस्तान को कसूरवार मानता है. तालिबान की सरकार में पाकिस्तान की छाप ने उसके इस शक को और भी गहरा कर दिया है. ये सब जानते हुए भी इमरान खान की ख्वाहिशें बहुत बड़ी हैं और वो अमेरिका से भारत की तरह का बराबरी का रिश्ता चाहते हैं.