25 मार्च 2025
नृत्यांगना शोभना नारायण शृंगार के गहरे अर्थ पर रौशनी डालते हुए कहती हैं कि, “शृंगार, मेरे लिए, केवल एक कलात्मक रूप नहीं है. यह जीवन की धड़कन है, एक ऐसी भाषा है जो सीधे दिल से बात करती है. शृंगार एक ऐसा भाव है, जो वहां भी मौजूद है, जहां कुछ नहीं है. यह विलोपन, यह वियोग भी शृंगार का ही एक पक्ष है. इसके कैनवस को प्रेम, संयोग-वियोग, राग-द्वेष के बजाय और बड़ा व विस्तृत करके देखने की जरूरत है.'