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नृत्यकला

madhura Phatak

जलन-प्रेम, उदासी और उत्साह...  कथक के बैठकी भाव में है शृंगार रस का हर पहलू

25 मार्च 2025

नृत्यांगना शोभना नारायण शृंगार के गहरे अर्थ पर रौशनी डालते हुए कहती हैं कि, “शृंगार, मेरे लिए, केवल एक कलात्मक रूप नहीं है. यह जीवन की धड़कन है, एक ऐसी भाषा है जो सीधे दिल से बात करती है. शृंगार एक ऐसा भाव है, जो वहां भी मौजूद है, जहां कुछ नहीं है. यह विलोपन, यह वियोग भी शृंगार का ही एक पक्ष है. इसके कैनवस को प्रेम, संयोग-वियोग, राग-द्वेष के बजाय और बड़ा व विस्तृत करके देखने की जरूरत है.'

Kathak Dance

चेहरे के भाव, आंखों की भंगिमा... कथक की इस विधा में बैठे-बैठे ही नृत्य रच देता है नर्तक

19 मार्च 2025

कथक की कला में विशेष रूप से इसकी कहानी कहने की शैली में सहज अभिव्यक्ति (इम्प्रोवाइजेशन) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. कथक कलाकार कहानी की भावनात्मक टेंडेंसी को न सिर्फ मंचन के दौरान आत्मसात कर पाते हैं, बल्कि जब वे अपने मानसिक चित्रों को मंच पर भाव के जरिए गढ़ रहे होते हैं तब, वह चेहरे के भावों और शारीरिक मुद्राओं के जरिए उन्हीं भावों को  अंदर से बाहर भी लाते हैं. सहज अभिव्यक्ति की सबसे चुनौती पूर्ण शैलियों में से एक है बैठक. इसे कथक का बैठकी भाव भी कहते हैं. 

Odissi Dance

ओडिसी नृत्य ने रचा भाव-भक्ति और ताल का अनूठा संगम... मंच पर ही सजी काशी, जीवंत हुआ मधुबन

18 मार्च 2025

मौका था, उत्‍सव एजुकेशनल एंड कल्चरल सोसाइटी द्वारा आयोजित और पद्मश्री व संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित गुरु रंजना गौहर की शिष्याओं द्वारा ‘नृत्य मोहा’ की प्रस्तुति का. ओडिसी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति ने दर्शकों पर ऐसी सम्मोहिनी शक्ति चलाई कि, 21वीं सदी का मौजूदा जनसमूह समय में पीछे की ओर सफर करते हुए शताब्दियों के प्राचीन सफर पर निकल पड़ा.

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