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नृत्यकला

Classical Dance

भरतनाट्यम, कथक से गरबा और भांगड़ा तक... हमारी संस्कृति की धड़कन है नृत्य

23 फरवरी 2025

भारत में शास्त्रीय नृत्य केवल एक कला नहीं, बल्कि एक साधना है. यह नृत्य रूप नाट्यशास्त्र पर आधारित होते हैं और इनमें भाव, राग, ताल एवं मुद्राओं का गहन समन्वय देखने को मिलता है. प्रमुख भारतीय शास्त्रीय नृत्य अलग-अलग प्रदेशों की खासियत के साथ सामने आता है.

Dance Nritya

सनातन से शास्त्र और सृष्टि से संहार तक... कला ही नहीं योग-साधना भी है नृत्य

21 फरवरी 2025

नृत्य केवल एक कला का रूप नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर है. भारतीय पौराणिक कथाओं, दर्शन और धार्मिक ग्रंथों में भी इसका खास स्थान है. यह न केवल अभिव्यक्ति का जरिया है, बल्कि देवताओं की आराधना, आध्यात्मिक साधना और सांस्कृतिक परंपराओं का अभिन्न अंग भी रहा है.

Natraj

सृजन, संरक्षण और संहार... नर्तक शिव नटराज के नृत्य में कितने प्रतीक शामिल हैं?

19 फरवरी 2025

शिव का दाहिना हाथ एक विशेष मुद्रा में उठाया होता है, जिसे अभय मुद्रा कहा जाता है, जो 'निर्भीक मुद्रा' के रूप में परिभाषित होती है. यह मुद्रा शिव के भक्तों को सुरक्षा और उनके आशीर्वाद का आश्वासन देती है. सृजन और विनाश के निरंतर चक्र के बीच भी, इसमें एक आशा और सुरक्षा की भावना है.

Nritya Kala aur Natraj

कला, व्याकरण-शब्दावली... संस्कृत और संस्कृति का आधार है प्राचीन भारत की नृत्य परंपरा

17 फरवरी 2025

डमरू के चौदह बार बजाने से चौदह सूत्रों के रूप में ध्वनियां निकली, इन्हीं ध्वनियों से व्याकरण का स्वरूप सामने आया. इसलिये व्याकरण सूत्रों के आदि-प्रवर्तक नटराज को माना जाता है. महर्षि पाणिनि ने इन सूत्रों को देवाधिदेव शिव के आशीर्वाद से प्राप्त किया जो कि पाणिनीय संस्कृत व्याकरण का आधार बना.

Natraj Lord Shiva

कला ही नहीं उपचार भी है नृत्य... मेडिकल साइंस से कैसे जुड़ा है शिव का तांडव और नटराज अवतार

16 फरवरी 2025

आयुर्वेद में अपस्मार एक गंभीर मानसिक और तंत्रिका संबंधी विकारों के लिए प्रयुक्त शब्द है. मेडिकल साइंस में इसे मिर्गी या फिर दौरे पड़ने जैसी बीमारी के तौर पर देखा जाता है. दौरा पड़ना या मिर्गी आना बीमारी की ऐसी ही अवस्था है, जिसमें दिमाग सोचना-समझना बंद कर देता है. आयुर्वेदाचार महर्षि चरक के अनुसार, अपस्मार के चार प्रकार होते हैं.

Shiva Natraj Tandav

पार्वती से विवाह, दैत्य पर नियंत्रण या फिर... शिवजी ने क्यों धरा नटराज का स्वरूप, नृत्यकला से क्या है कनेक्शन

15 फरवरी 2025

नटराज शिव का वह स्वरूप है, जिसमें वह सबसे उत्तम नर्तक हैं. नटराज शिव का स्वरूप न सिर्फ उनके संपूर्ण काल को दर्शाता है, बल्कि यह भी बिना किसी संशय स्थापित करता है कि ब्रह्माण्ड में स्थित सारा जीवन, उनकी गति कंपन और ब्रह्माण्ड से परे शून्य की नि:शब्दता सभी कुछ एक शिव में ही निहित है. नटराज दो शब्दों के समावेश से बना है- नट (अर्थात कला) और राज. इस स्वरूप में शिव कलाओं के आधार हैं.

Natraj Shiva

तन पर नाग, चारों ओर आग और अभय मुद्रा... संहारक शिव कैसे बन गए नृत्य के जनक नटराज

13 फरवरी 2025

शिव का नटराज अवतार, असल में उनके द्वारा किए नृत्य का फाइनल पोज (प्रतिनिधि मुद्रा) है. उनके नृत्य के विषय में सबसे मशहूर तथ्य ये है कि वह तांडव जैसा भयानक नृत्य करते हैं और इसके फाइनल पोज तक पहुंचते-पहुंचते प्रलय आ जाती है और इस तरह उन्हें संहारक कहा गया है. यह सिर्फ अधूरा तथ्य है.

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