भारत में शास्त्रीय नृत्य केवल एक कला नहीं, बल्कि एक साधना है. यह नृत्य रूप नाट्यशास्त्र पर आधारित होते हैं और इनमें भाव, राग, ताल एवं मुद्राओं का गहन समन्वय देखने को मिलता है. प्रमुख भारतीय शास्त्रीय नृत्य अलग-अलग प्रदेशों की खासियत के साथ सामने आता है.
नृत्य केवल एक कला का रूप नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर है. भारतीय पौराणिक कथाओं, दर्शन और धार्मिक ग्रंथों में भी इसका खास स्थान है. यह न केवल अभिव्यक्ति का जरिया है, बल्कि देवताओं की आराधना, आध्यात्मिक साधना और सांस्कृतिक परंपराओं का अभिन्न अंग भी रहा है.
शिव का दाहिना हाथ एक विशेष मुद्रा में उठाया होता है, जिसे अभय मुद्रा कहा जाता है, जो 'निर्भीक मुद्रा' के रूप में परिभाषित होती है. यह मुद्रा शिव के भक्तों को सुरक्षा और उनके आशीर्वाद का आश्वासन देती है. सृजन और विनाश के निरंतर चक्र के बीच भी, इसमें एक आशा और सुरक्षा की भावना है.
डमरू के चौदह बार बजाने से चौदह सूत्रों के रूप में ध्वनियां निकली, इन्हीं ध्वनियों से व्याकरण का स्वरूप सामने आया. इसलिये व्याकरण सूत्रों के आदि-प्रवर्तक नटराज को माना जाता है. महर्षि पाणिनि ने इन सूत्रों को देवाधिदेव शिव के आशीर्वाद से प्राप्त किया जो कि पाणिनीय संस्कृत व्याकरण का आधार बना.
आयुर्वेद में अपस्मार एक गंभीर मानसिक और तंत्रिका संबंधी विकारों के लिए प्रयुक्त शब्द है. मेडिकल साइंस में इसे मिर्गी या फिर दौरे पड़ने जैसी बीमारी के तौर पर देखा जाता है. दौरा पड़ना या मिर्गी आना बीमारी की ऐसी ही अवस्था है, जिसमें दिमाग सोचना-समझना बंद कर देता है. आयुर्वेदाचार महर्षि चरक के अनुसार, अपस्मार के चार प्रकार होते हैं.
नटराज शिव का वह स्वरूप है, जिसमें वह सबसे उत्तम नर्तक हैं. नटराज शिव का स्वरूप न सिर्फ उनके संपूर्ण काल को दर्शाता है, बल्कि यह भी बिना किसी संशय स्थापित करता है कि ब्रह्माण्ड में स्थित सारा जीवन, उनकी गति कंपन और ब्रह्माण्ड से परे शून्य की नि:शब्दता सभी कुछ एक शिव में ही निहित है. नटराज दो शब्दों के समावेश से बना है- नट (अर्थात कला) और राज. इस स्वरूप में शिव कलाओं के आधार हैं.
शिव का नटराज अवतार, असल में उनके द्वारा किए नृत्य का फाइनल पोज (प्रतिनिधि मुद्रा) है. उनके नृत्य के विषय में सबसे मशहूर तथ्य ये है कि वह तांडव जैसा भयानक नृत्य करते हैं और इसके फाइनल पोज तक पहुंचते-पहुंचते प्रलय आ जाती है और इस तरह उन्हें संहारक कहा गया है. यह सिर्फ अधूरा तथ्य है.