प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पटनायक ने साहित्य आजतक के मंच से समझाया कुंभ स्नान का वास्तविक अर्थ क्या है. यज्ञ और तप के बीच क्या अंतर है? वेदों में अग्नि और यज्ञ का महत्व समझें. शिव के नृत्य से जानें मंत्रों का गूढ़ अर्थ. भभूत और विभूति का रहस्य. यज्ञ में देवताओं का आह्वान और आहुति का महत्व. मन के परिवर्तन की आवश्यकता. तीर्थ यात्रा का असली उद्देश्य क्या होना चाहिए? वेदों में भूख और भोग का सिद्धांत. यज्ञ में नैवेद्य और प्रसाद का महत्व. ऋण और मुक्ति का संबंध.
प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पटनायक ने धर्म की रक्षा और आत्मज्ञान के बीच संबंध पर गहन चर्चा की. सनातन धर्म, महावीर और हनुमान जी के उदाहरणों से समझाया गया कि सच्चा धर्म क्या है. अहंकार और आत्मज्ञान के बीच अंतर, पैगंबर और दिगंबर परंपरा की तुलना, तथा रामायण और महाभारत से लिए गए प्रसंगों द्वारा धार्मिक कथाओं का वास्तविक अर्थ समझाया गया है. धर्म के नाम पर स्पर्धा और व्यावसायिकता पर भी चर्चा की गई है.
प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पठानिया ने महत्वाकांक्षा और ऋण के बीच संबंध पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि भोग बिना ऋण नहीं होता और जितना लाभ, उतना ऋण. पठानिया ने बताया कि बिलियनेयर्स सबसे बड़े ऋणी होते हैं. उन्होंने यज्ञ परंपरा और कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के बीच तुलना की. पठानिया ने कहा कि मोक्ष का मतलब ऋण से मुक्ति है और केवल डुबकी मारने से ऋण मुक्ति नहीं होती. उन्होंने लोगों को महत्वाकांक्षा से बचने की सलाह दी.
प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पटनायक ने कहा- रामायण के पात्रों के गहरे अर्थ को समझने की जरूरत है. वाल्मीकि ने रावण को शिव भक्त और वेद ज्ञानी क्यों दिखाया? राम और रावण के चरित्र में क्या अंतर है? यज्ञ का वास्तविक अर्थ क्या है? ज्ञान देने और लेने में पाचन शक्ति का क्या महत्व है? सरस्वती और लक्ष्मी के बीच चुनाव कैसे करें? इन सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ें यह लेख.
साहित्य आज तक में देवदत्त पट्टनायक ने महाकुंभ के इतिहास और महत्व पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि कुंभ शब्द का प्रयोग 1857 से शुरू हुआ, इससे पहले इसे माघ मेला कहा जाता था. पट्टनायक ने त्रिवेणी संगम, बृहस्पति ग्रह की स्थिति और कुंभ मेले के विभिन्न स्थानों के बारे में जानकारी दी. उन्होंने शिव, राम और वेदों के महत्व पर भी प्रकाश डाला, साथ ही शब्दार्थ और भावार्थ के बीच के अंतर को समझाया.
प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पटनायक ने अपने लेखन प्रक्रिया का रहस्य खोला. उन्होंने बताया कि वे कैसे विभिन्न आयु वर्ग और रुचि के पाठकों के लिए अलग-अलग विषयों पर लिखते हैं. पटनायक ने देवताओं और संगीत के बीच संबंध पर प्रकाश डाला और कहा कि आजकल लोग देवताओं के हाथों में केवल हथियार देखते हैं, वाद्ययंत्र नहीं. उन्होंने बच्चों के लिए एक नई पुस्तक की योजना का खुलासा किया जो देवताओं को संगीत से जोड़ेगी.
साहित्य आजतक लखनऊ 2025 का आज दूसरा दिन है. इस दौरान लेखक और वक्ता देवदत्त पटनायक ने 'वेद की अग्नि, अखाड़े का भभूत: राम, रावण, शिव और कुंभ' सेशन में शिरकत की. उन्होंने कुंभ मेला, शिव, और हिंदू धर्म जैसे विषयों पर गहन चर्चा की. साथ ही उन्होंने रामायण और महाभारत के पात्रों के माध्यम से जीवन के गूढ़ रहस्यों को भी समझाया. देखें Video.
प्रसिद्ध लेखक अमीश त्रिपाठी ने अपनी केदारनाथ यात्रा का भावुक वर्णन किया. उन्होंने बताया कि कैसे पैदल चलकर मंदिर पहुंचने पर उन्हें अलौकिक अनुभव हुआ. शिव के दर्शन से उनके जीवन के कठिन समय का दुख दूर हुआ. त्रिपाठी ने कहा कि तीर्थयात्रा में तपस्या और परिश्रम का महत्व है. उन्होंने अपनी पुस्तकों में शिव के विभिन्न रूपों का वर्णन किया है, लेकिन फिर भी शिव की महिमा अपार है.
प्रसिद्ध लेखक अमीश त्रिपाठी ने महाकुंभ के अनुभव और महत्व पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि कैसे महाकुंभ हमें हमारे पूर्वजों से जोड़ता है और हमारी संस्कृति को जीवंत रखता है. त्रिपाठी ने अमृत मंथन की कथा का आधुनिक संदर्भ में विश्लेषण किया और कहा कि बदलाव के साथ कुछ विष भी निकलता है, जिसे शिव भक्तों को पीना चाहिए. उन्होंने यूपी के विकास की भी प्रशंसा की और कहा कि भारत में तेजी से बदलाव हो रहा है.
प्रसिद्ध लेखक अमीष त्रिपाठी ने शिव पर बनने वाली नई डॉक्यूमेंट्री के बारे में खुलासा किया. उन्होंने बताया कि यह डिस्कवरी टीवी पर प्रसारित होगी. अमीष ने अपनी लेखनी, होस्टिंग और प्रोड्यूसिंग के अनुभवों पर भी चर्चा की. उन्होंने शिव की लोकप्रियता के कारणों पर प्रकाश डाला और बताया कि शिव भोलेनाथ हैं, लेकिन साथ ही बुद्धिमान भी. अमीष ने कहा कि शिव का दिल साफ है, जो सभी को पसंद आता है.
प्रसिद्ध लेखक अमीष त्रिपाठी ने साहित्य साहित्य आजतक के मंच पर अपनी नई डॉक्यूमेंट्री, आगामी फिल्म और महाकुंभ के अनुभवों के बारे में बात की. उन्होंने शिव पर बनने वाली डॉक्यूमेंट्री और कृष्ण पर बनने वाली फिल्म के बारे में जानकारी दी. त्रिपाठी ने केदारनाथ यात्रा और महाकुंभ में स्नान के आध्यात्मिक अनुभवों को साझा किया. उन्होंने भारतीय परंपराओं के महत्व और आधुनिक समय में उनकी प्रासंगिकता पर भी चर्चा की. प्रसिद्ध लेखक अमीष त्रिपाठी ने कुंभ मेले के महत्व और भारतीय संस्कृति की ताकत पर चर्चा की.
राज कपूर के साथ अपने बरसों के अनुभव और संस्मरण सुनाते हुए प्रदीप सरदाना ने कहा-'राज कपूर ने 5 वर्ष की उम्र में अपना पहला नाटक ‘द टॉय कार्ट’ किया था. राज कपूर ने नाटक ‘दीवार’ में तो रामू की ऐसी भूमिका की, जिसके बाद फिल्मों तक में नौकर की भूमिका करने वाले चरित्र का नाम रामू या रामू काका हो गया.