राहुल त्रिपाठी को पत्रकारिता में 21 साल का अनुभव है. आजतक के साथ साल 2006 से जुड़े हैं. 'जातीय पंचों के तुगलकी फरमान' 'मैं ससुराल नहीं जाऊंगी' जैसी स्पेशल स्टोरी कीं. अंग्रेजी, गुजराती, मारवाड़ी भाषा पर मजबूत पकड़. 'डायनों का मेला', 'राम का गुरुकुल' 'शिव का अंगूठा' जैसी स्पेशल स्टोरी ने खास पहचान दिलाई.