सरकार ने गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन के लिए नई ‘Bharat Series' (BH-Series) नोटिफाई कर दी है. इस सीरीज के तहत गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन कैसे होगा, कितना चार्ज लगेगा, कौन-कौन इस सीरीज के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकता है, पाएं इसकी पूरी डिटेल. जानें क्या फायदा है इस रजिस्ट्रेशन का
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अभी अगर आप एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते हैं, तो कार या बाइक के ट्रांसफर में कई दिक्कतें आती हैं. लेकिन अब सरकार ने एक राज्य से दूसरे राज्य में गाड़ी ट्रांसफर कराने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए ये नई Bharat Series लॉन्च की है. इस सीरीज के तहत रजिस्ट्रेशन कराने वालों को एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर गाड़ी का ट्रांसफर ही नहीं कराना होगा. अब ये रजिस्ट्रेशन होगा कैसे? (Photo : Getty)
Bharat Series में रजिस्ट्रेशन कराने पर आपकी गाड़ी के नंबर प्लेट में ‘BH' मार्क होगा. BH मार्क वाली गाड़ियों के लिए ग्राहक से पहले 2 साल और उसके बाद हर 2 साल के मल्टीपल में मोटर व्हीकल टैक्स लिया जाएगा. गाड़ी के 14 साल पूरे होने के बाद ये मोटर व्हीकल टैक्स फिर एक साल में एक बार लिया जाएगा, जो वाहन पर पहले लिए जाने वाले चार्ज का आधा होगा. (Photo : Getty)
पर्सनल गाड़ियों का BH रजिस्ट्रेशन कराते वक्त सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में एक जैसा मोटर व्हीकल टैक्स लिया जाएगा. इस पर कुल मोटर व्हीकल टैक्स 10 लाख रुपये तक के वाहन के लिए 8%, 10 से 20 लाख रुपये तक के वाहन पर 10% और 20 लाख रुपये से ऊपर के वाहन के लिए 12% होगा. वहीं डीजल वाहनों के लिए 2% एक्स्ट्रा और इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए 2% कम टैक्स लिया जाएगा. ये टैक्स 2-2 साल की किस्तों में बांट कर लिया जाएगा. पहले ग्राहक को 15 साल का टैक्स एक बार में देना होता था. कौन करा सकता है BH रजिस्ट्रेशन (Photo : Getty)
BH-Series रजिस्ट्रेशन वॉलिएंटरी बेसिस पर इन कैटेगरी के लोगों के लिए होगा. इसके लिए केन्द्र और राज्य सरकारों के कर्मचारी, केन्द्र और राज्य सरकारों के उपक्रमों (PSUs) के कर्मचारी, रक्षाकर्मी और निजी क्षेत्र की बड़ी कंपनियों के एम्प्लॉई ही रजिस्ट्रेशन करा पाएंगे. इसमें भी प्राइवेट सेक्टर की केवल उन कंपनियों के एम्प्लॉई ही एप्लाई कर सकेंगे जिनके ऑफिस देश के 4 या उससे ज्यादा राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों में हैं. BH-Series में रजिस्ट्रेशन के क्या हैं फायदे, और अभी कितनी परेशानियां झेलनी पड़ती है गाड़ी को नए राज्य में रजिस्टर कराने पर...
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BH-Series में रजिस्ट्रेशन का फायदा उन लोगों को बहुत मिलेगा जो बार-बार जॉब बदलते हैं या जिनका ट्रांसफर बार-बार होता रहता है. ऐसे में उन्हें अपनी कार या बाइक अलग-अलग राज्य में रजिस्ट्रेशन कराने और पुराने राज्य से टैक्स का रिफंड लेने की परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी. बाकी गाड़ी की री-सेल के वक्त भी इसका फायदा मिलने की उम्मीद है. इसके अलावा इस पर टैक्स की वसूली 2-2 साल के अंतराल पर होगी वो भी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से, जिससे गाड़ी खरीदते वक्त वाहन की ऑन-रोड प्राइस कम होने के चांसेस हैं. अभी स्टेट बदलने पर लोगों को कई परेशानियों से जूझना होता है...
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मौजूदा समय में मोटर वाहन अधिनियम-1988 की धारा-47 के तहत किसी व्यक्ति को नए राज्य में पहुंचने पर 12 महीने तक ही पुराने रजिस्ट्रेशन के साथ गाड़ी चलाने की अनुमति है. इसके बाद उस व्यक्ति को नए राज्य में अपनी गाड़ी को रजिस्टर कराना होता है. नए राज्य में गाड़ी के रजिस्ट्रेशन के लिए गाड़ी के पुराने रजिस्ट्रेशन वाले राज्य से एक ‘अनापत्ति प्रमाणपत्र’ (NOC) लेनी होती है. उसके बाद नए राज्य में इसका रजिस्ट्रेशन कराना होता है और प्रो-राटा बेस पर रोड टैक्स देना होता है. फिर उसके बाद कार के मालिक को पुराने राज्य से बचे हुए रोड टैक्स का रिफंड लेना होता है. (Photo : Getty)