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ऑटो न्यूज़

दमदार हेलमेट... Airbag से लैस खास रेसिंग सूट...पैरो में बूट! किसी योद्धा की तरह ट्रैक पर उतरते हैं MotoGP राइडर्स

MotoGP Riders
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चमचाते काले रेसिंग ट्रैक पर गोली की रफ्तार से दौड़ते बाइकर्स को देखकर हर किसी की सांसें थम जाती है. MotoGP रेसिंग ट्रैक पर 360 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से भागती बाइक्स को कंट्रोल करना और खुद को किसी भी आपात स्थिति से सुरक्षित रखना किसी भी राइडर के लिए एक बड़ी चुनौती से कम नहीं होता है. लेकिन इसके लिए न केवल हुनर की जरूरत होती है बल्कि ख़ास तरह की तैयारियां भी करनी होती हैं. ये समझिए कि, रफ्तार के ये जंगी किसी योद्धा की तरह रेसिंग ट्रैक पर उतरते हैं. तो आइये जानते हैं कि एक राइडर ट्रैक पर उतरने से पहले किस तरह की तैयारियां करता है- 

देश में पहली बार MotoGP Bharat की शुरुआत हो चुकी है, और दुनिया भर से आए 41 विभिन्न देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले कुल 82 राइडर्स इस रेस में हिस्सा ले रहे हैं. जिसमें मोटो-2, मोटो-3 और मोटोजीपी के राइडर्स अलग-अलग हैं. मोटोजीपी राइड में 11 टीमों के 22 राइडर्स हिस्सा लेंगे. जिनकी लिस्ट भी जारी की जा चुकी है.

MotoGP Helmet
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सिर की सुरक्षा: हेलमेट

बहरहाल, ट्रैक पर रेसिंग के दौरान क्रैश होना एक आम बात है और इस दौरान राइडर के ब्रेन यानी कि मस्तिष्क की सुरक्षा सबसे ज्यादा जरूरी होती है. इसके लिए ख़ास तरह के हेलमेट तैयार किए जाते हैं. साल 2019 में, FIM (फेडरेशन इंटरनेशनेल डी मोटोसाइक्लिज्म) ने नए नियम पेश किए, जिसका मतलब था कि राइडर्स के हेलमेट को FIM मानकों के अनुरूप बनाया जाना होगा. ऐसा क्रैश के दौरान होने वाली मस्तिष्क की चोटों से सुरक्षा के स्तर में सुधार करने के लिए किया गया था.

इस नियम के अनुसार हेलमेट निर्माताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके हेलमेट तीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मानकों का पालन करते हों. यूरोप में 'ECE', जापान में 'JIS' और संयुक्त राज्य अमेरिका में 'SNELL'. इसके बाद ही वो FIM में अप्रूवल के लिए अप्लाई कर सकते हैं. FIM इन हेलमेट्स की अलग-अलग स्पीड पर टेस्टिंग करता है. इस टेस्टिंग के दौरान डमी के तौर पर सिलिकॉन मॉडल का इस्तेमाल किया जाता है. 

एक बार अप्रूव होने के बाद, हेलमेट में को एक क्यूआर कोड दिया जाता है जो एक वेब पेज से लिंक होता है जिसमें हेलमेट के निर्माण के बारे में जानकारी होती है, और एक अलग स्टिकर दिया जाता है जो पुष्टि करता है कि उक्त हेलमेट FIM के सभी मानकों को पूरा करता है. हेलमेट के निर्माण में अलग-अलग तरह के मेटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है, कुछ कार्बन फाइबर से बनाई जाती हैं और कुछ फाइबरग्लास, केवलर और राल के मिश्रण का उपयोग करके बनाई जाती हैं. हेलमेट बनाने वाला हेलमेट के भीतर हस्ताक्षर करता है, और बाद में हेलमेट खोल की मोटाई और वजन की जांच की जाती है.

MotoGP Visor
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फेस और आंख की सेफ्टी: वाइजर 

रेसिंग हेलमेट बिना वाइजर के पूरा नहीं हो सकता है. रेसिंग के दौरान बाहर से आने वाली किसी भी उड़ने वाली चीज जैसे, धूल, मिट्टी या ट्रैक की बजरी इत्यादि से ये वाइजर बचाता है. वाइज़र ऐसी सामग्री से बने होते हैं जो टूटते नहीं हैं, इसलिए हाई स्पीड वाले प्रोजेक्टाइल राइडर्स को ट्रैक को देखने में कोई परेशानी नहीं होती है. इसे एक एंटी-फॉग कोटिंग के साथ भी कवर किया जाता है जो सर्दी के मौसम में भी वाइजर पर धुंध (Fog) इकट्ठा होने से रोकता है. 

राइडर्स शायद ही कभी पूरी तरह से क्लीयर वाइज़र का उपयोग करते हों, अधिकांश ऐसे टिंट का चयन करते हैं जो चमक को कम करता है. कुछ वाइज़र अंदर से गुलाबी रंग के होते हैं जिससे सवारों को ट्रैक के डामर को आसानी से देखने में सुविधा मिलती है. जिससे उनका परफॉर्मेंस बढ़ता है और किसी भी चीज से टकराने की संभावना कम हो जाती है. बारिश होने पर विशेष वाइज़र इस्तेमाल किये जाते हैं. फॉगिंग को रोकने के लिए इन्हें डबल ग्लेज़ किया जाता है, और वाइजर के किनारे के चारों ओर एक रबर सील दिया जाता है जो बारिश के पानी को हेलमेट में घुसने से रोकता है.

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Racing Suit
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फुल बॉडी सेफ्टी: रेसिंग सूट

आपने रेसिंग ट्रैक पर अचानक से बाइकर्स का क्रैश होते देखा होगा, तेज रफ्तार में सड़क पर गुलाटियां खाती बाइक्स और ट्रैक पर घिसटते राइडर्स को देख किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं. ट्रैक पर ये मंजर देख मुंह से केवल आह निकलती है और.... दिमाग केवल एक ही सवाल करता है कि, क्या वो राइडर सेफ होगा..? यकिन मानिए रेसर्स को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें ख़ास तौर पर तैयार किए गए रेसिंग सूट (Race suits) से कवर किया जाता है, जो कि बेहद ही मजबूत लैदर और मेटेरियल से बना होता है. 

1950 के दशक तक बाइक रेसिंग सूट में चमड़े का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता था, हालांकि तब से लेकर अब तक सूट का डिज़ाइन काफी बदल गया है. आज के समय में इस्तेमाल किए जाने वाले सूट न केवल एक कवर होते हैं बल्कि अलग-अलग तरह के इक्यूपमेंट को जोड़कर तैयार किए गया बेजोड़ सुरक्षा कवच होता है. MotoGP में सभी राइडर्स के फीटिंग के अनुसार इस सूट को बनाया जाता है. ये न केवल राइडर्स को सुरक्षा प्रदान करता है बल्कि आरामदायक भी होता है. 

इसमें एक चमड़े का पैनल लगाया जाता है, जो कि अक्सर कंगारू की स्किन या अन्य जानवरों के त्वचा से बनाए जाते हैं. इन्हें हाथ से एक साथ सिला जाता, प्रत्येक सूट को पूरा बनाने में कई घंटे का वक्त लगता है. F1 रेसर्स के मुकाबले MotoGP राइडर्स के इन सूट का वजन कई किलोग्राम तक होता है. घुटने, पीठ के निचले हिस्से और साइड एरिया में खिंचावदार, अकॉर्डियन-जैसी पैनलिंग दी जाती है, जो कि राइडर्स को बिना परेशानी चलने-फिरने की सुविधा प्रदान करता है. 

रेस सूट को बस उतना टाइट रखा जाता है कि, जिससे राइडर के बॉडी के भीतर ब्लड सर्कूलेशन में कोई दिक्कत न हो. इसमें एक इंटर्नल लेयर होती है जिसे धोया और हटाया जा सकता है, और सूट को वेंटिलेशन को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया जाता है ताकि हवा आगे से अंदर और पीछे से बाहर की ओर निकलती रहे और नमी को दूर करती रहे. इससे गर्म मौसम में भी राइडर्स को ठंडक मिलती रहे.

MotoGP Airbags
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सबसे जरूरी सुरक्षा: एयरबैग

MotoGP रेस के दौरान आपकी नजर किसी भी राइडर के पीठ के उपरी हिस्से पर जरूर पड़ी होगी, जो कि गर्दन के पास से लेकर थोड़ा उपर उठी होती है. दरअसल, ये एयरबैग (Airbag) होता है जो कि रेसिंग के लिए सबसे जरूरी सुरक्षा कवच में से एक है. इसका उपयोग मोटोजीपी में वर्षों से किया जा रहा है, लेकिन 2018 से इसे अनिवार्य कर दिया गया है. इसे सूट के अंदर पीठ, कंधों और पसली के आसपास रखा जाता है. इसे इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि, राइडर्स को इससे कोई परेशानी न हो.

रेस सूट में एक्सेलेरोमीटर, जायरोस्कोप और एक जीपीएस लगा होता है और जब सेंसर को पता चलता है कि बाइक राइडर गिरने वाला है तो एयरबैग सक्रिय हो जाता है. इस सिस्टम में इस्तेमाल किया जाने वाला सॉफ्टवेयर किसी एक्सपर्ट की तरह काम करता है. यानी कि ये सिस्टम एक भयानक क्रैश और छोटी-मोटी गिरने की घटना के बीच के अंतर को तुरंत भांप जाता है. 

सूट के अंदर दो गैस कंटेनर लगाए जाते हैं, और जब सिस्टम को पता चलता है कि राइडर गिर रहा है तो एयरबैग केवल 25 मिलीसेकंड में पूरी तरह से फुल जाते हैं, इस प्रक्रिया में लगने वाला समय पलक झपकने के मुकाबले लगभग एक चौथाई से भी कम समय पूरी हो जाती है. ये एयरबैग केवल 5 सेकंड तक फुला रहता है, तब तक राइडर पूरी तरह से सुरक्षित हो जाता है.

MotoGP Riders Safety
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जोड़ों की सेफ्टी: आर्मर या कवच

किसी भी राइडर को पूरी तरह से सुरक्षित रखने के लिए केवल रेस सूट का लैदर ही काफी नहीं होता है. इसके अलावा आर्मर (Armours) या गार्ड्स का भी बखूबी इस्तेमाल किया जाता है. ये एक बेहतरीन सुरक्षा कवच की तरह काम करते हैं और इनका इस्तेमाल शरीर के हड्डियों के जोड़ को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है. ये आर्मर राइडर्स के कोहनियों, कंधों, घुटनों और कूल्हों पर लगाए जाते हैं. 

इन्हें इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि, किसी भी आपात स्थिति में क्रैश के दौरान ये राइडर्स के कोहनियों, कंधों, घुटनों और कूल्हों के मूवमेंट को बिना रोके पूरी तरह से सुरक्षित रखें. दरअसल, इनके इस्तेमाल के लिए रेसिंग सूट्स में छोटे-छोटे पॉकेट बनाए जाते हैं जिनमें इन आर्मर को रखा जाता है. इनका वजन में हल्का और लचीला होना बेहद ही जरूरी होता है जिससे राइडर को किसी भी पोजिशन में परेशानी न हो. 
 

MotoGP Gloves
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हथेलियों की सुरक्षा: ग्लव्स या दस्तानें 

दस्ताने भी चमड़े से बने होते हैं, लेकिन इनके साइज को लेकर एक बेहद ही जरूरी पैमाना है. ये सूट पर कम से कम 50 मिमी तक ओवरलैप होना चाहिए. यानी कि ये उपर की ओर बांह की तरफ 50 मिमी तक चढ़े होने चाहिए. ये एक बेहतर सेफ्टी के लिए बेहद ही जरूरी होता है. हथेली और कलाई में सुरक्षात्मक परत लगाना आम बात है, लेकिन इन ग्लव्स की मदद से पोरों को भी मजबूत किया जाता है. 

राइडर्स के ग्लव्स में छोटी उंगली और अनामिका को आमतौर पर एक-दूसरे से बांधा जाता है ताकि चोट लगने की संभावना को कम किया जा सके. ग्लव्स की हथेली की तरफ, उंगलियों में इस्तेमाल किया जाने वाला चमड़ा थोड़ा पतला होता है, ताकि राइडर आसानी से ब्रेक-लीवर को ऑपरेट कर सके. इसके अलावा इन्हें वेंटिलेटेशन के अनुसार डिज़ाइन किया जाता है ताकि राइड के दौरान चालक की हथेली में होने वाले पसीने से नमी को कम किया जा सके.

MotoGP Safety Gears
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कोहनी और घुटनों की सेफ्टी: स्लाइडर्स

किसी भी राइडर के लिए क्रैश के दौरान सबसे ज्यादा खतरा उनके कोहनी और घुटनों को लेकर बना होता है. क्योंकि आमतौपर बाइक से गिरने के दौरान इन दोनों हिस्सों के चोटिल होने का जोखिम सबसे ज्यादा रहता है. इन दोनों हिस्सों के सेफ्टी के लिए स्लाइडर्स (Sliders) का इस्तेमाल किया जाता है. 1970 के दशक से मोटोजीपी में इनका इस्तेमाल शुरू हुआ जो अब तक जारी है. रेसिंग ट्रैक पर टर्न के दौरान ये कॉर्नरिंग के दौरान ये इक्यूपमेंट बेहतरीन सुरक्षा प्रदान करते हैं, क्योंकि ऐसे समय में राइडर्स ट्रैक की तरफ बिल्कुल नीचे तक झुक जाता है. 

राइडर के लिए कोहनी और घुटनों की सेफ्टी कितनी जरूरी है, इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि, जब दुनिया में स्लाइडर्स इजाद नहीं हुए थें, उस वक्त बाइक रेसर्स के इन हिस्सों पर डक्ट टेप, लकड़ी और यहां तक कि वाइजर के टुकड़े भी बांधे गए थें. अंततः प्लास्टिक से बना एक डिज़ाइन तैयार किया जो घर्षण और घिसाव के बीच सही संतुलन बनाता है, जिससे सवारों को कार्नर पर बेहतर सेफ्टी मिल सके. इसका उपयोग हर राइडर के लिए अलग-अलग होता है, कुछ स्लाइडर्स का इस्तेमाल कई दिनों तक किया जाता है. 

घुटने के स्लाइडर्स को रेस सूट में शामिल किया जाता है, और आम तौर पर सीधे सामने की बजाय घुटने के बाहर की ओर लगाए जाते हैं. हालाँकि, राइडर ट्रैक पर स्थितियों और गति के आधार पर स्लाइडर की स्थिति को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार बदल सकता है. हालांकि नियम कहता है कि, घुटने और कोहनी के स्लाइडर्स को इस तरह से बनाया जाना चाहिए कि, वो ट्रैक पर घर्षण के दौरान चिंगारी या धुआं पैदा न करें ताकि दूसरे राइडर्स को कोई परेशानी न हो.

MotoGP Boots
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पैरों की सुरक्षा: बूट्स

MotoGP के राइडर्स को देखते वक्त... मेरी सबसे पहली नजर उनके जूतों पर पड़ती है. कम से कम मेरे लिए तो ये सबसे एक्साइटिंग इक्यूपमेंट में से एक होता है. बहरहाल, मोटोजीपी राइडर्स के बूट्स यानी कि घुटने तक पहने जाने वाली जूतों की बात करें तो, आधुनिक रेसिंग जूते पिछले कुछ वर्षों में राइडर्स द्वारा पहने जाने वाले सबसे ज्यादा जरूरी सेफ्टी गियर बन गए हैं. इस बूट में दो लेयर होती है एक इंटर्नल (आंतरिक) और दूसरी एक्सटर्नल (बाहरी) लेयर होती है, जिसे आउटर शेल भी कहा जाता है. 

अंदर की लेयर को इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि, ये राइडर को फ्लेक्सिबेलिटी के साथ सुरक्षा प्रदान करता है. ये एक एक्सोस्केलेटन से घिरा होता है, जो विशेष रूप से एड़ी और टखने को अतिरिक्त सुरक्षा देता है. किसी भी इम्पैक्ट को रोकने और हड्डियों के टूटने की संभावना को कम करने के लिए इसमें फोम भी शामिल किया जाता है. 

आउटर शेल आमतौर पर चमड़े से तैयार किया जाता है, जिसमें एड़ी और टखने की सुरक्षा के लिए और अधिक पैनलिंग होती है. एक राइडर का रेसिंग सूट को बूट को कम से कम 70 मिमी ओवरलैप करना अनिवार्य होता है. बूट का सोल थोड़ा पतला लेकिन मजबूत होता है, क्योंकि राइडिंग के दौरान रेसर को इसका ठीक ढंग से फील करना बेहद ही जरूरी होता है. आउटर शेल के भीतर एक पहला रिफ्लेक्टिव शेल होता है जो कि, रेस के दौरान पैरों के हीट (गर्मी) को ट्रांसफर करने में मदद करता है.

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MotoGP Racers Suit
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पीठ और रीढ़ की सेफ्टी: बैक प्रोटेक्टर्स 

बैक प्रोटेक्टर का उपयोग पहली बार 1979 में बैरी शीन द्वारा किया गया था, जो ऑस्ट्रेलियाई डिजाइनर मार्क सैडलर द्वारा बनाया गया था. ये प्रोटेक्टर लॉबस्टर और आर्मडिलोस से प्रेरित था. पिछले 40 वर्षों में इस इक्यूपमेंट ने कई बड़े बदलाव देखे हैं, ये मूल रूप से चालक की पीठ को सुरक्षित करता है. इसे राइडर की पीठ के साइज के अनुसार पूरी तरह से फिट करने के लिए एर्गोनॉमिक रूप से डिज़ाइन किया जाता है. इसमें दिया जाने वाला एक एल्यूमीनियम कोर आमतौर पर इम्पैक्ट को कम करने के लिए हनीकॉम्ब डिज़ाइन किया जाता है. इससे राइडर के रीढ़ को पूरी सुरक्षा मिलती है. 

आधुनिक बैक प्रोटेक्टर्स में मूविंग पैनल होते हैं जो राइडर कम्फर्टेबल राइड प्रदान करता है. इसमें वेंटिलेशन का भी पूरा ध्यान रखा जाता है, जो कि गर्मी के मौसम में नमी को कम करने में मदद करता है. सबसे एडवांस बैक प्रोटेक्टर्स को एक अंडरलेयर शर्ट में सिल दिया जाता है जो एयरबैग और इलेक्ट्रॉनिक्स को एक ही लेयर बॉक्स में बदल देता है, जिसे रेस सूट के नीचे आराम से पहना जा सकता है. इसका वजन जितना कम होता है वो उतना ही बेहतर होता है.

MotoGP
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सीने की सुरक्षा: चेस्ट प्रोटेक्टर्स 

मोटोजीपी में चेस्ट प्रोटेक्टर अनिवार्य हैं, और ये कम से कम इतना बड़ा होना चाहिए कि ये एक राइडर की बॉडी के 230 सेमी एरिया को कवर कर सके. सिंगल और डिवाइडेड चेस्ट प्रोटेक्टर्स के इस्तेमाल करने की भी अनुमति दी गई है. इसके निर्माण में हाई क्वॉलिटी के फोम का इस्तेमाल किया जाता है, जो कि किसी भी क्रैश के दौरान राइडर के सीने को उचित सुरक्षा प्रदान करता है. इन्हे आसानी से रेसिंग सूट के भीतर लगाया जा सकता है, और सूट के जिप यानी कि (चेन) के बंद होने के बाद ये पूरी तरह से कवर हो जाते हैं. कुछ चेस्ट प्रोटेक्टर राइडर्स की पीठ की सेफ्टी के लिए लगाए जाने वाले बैक प्रोटेक्टर के समान ही हनीकॉम्ब (Honeycomb) डिज़ाइन दिया जाता है.

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