कोरोना संकट की वजह से दुनियाभर में ऑटोमोबाइल्स कंपनियों को तगड़ा झटका लगा. अब जब कोरोना के मामले घट रहे हैं तो फिर वाहनों की बिक्री बढ़ने की उम्मीद की जा रही है. लेकिन इस बीच ऑटोमोबाइल्स कंपनियों के सामने एक और संकट आ गया है. बड़ी-बड़ी कंपनियां मान रही हैं कि इस संकट की वजह से आय घट जाएगी. (Photo: Getty Images)
टाटा मोटर्स के शेयर लुढ़के
दरअसल, बीते मंगलवार को टाटा मोटर्स ने स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी में कहा कि चिप की कमी से वाहनों के निर्माण पर असर पड़ सकता है. जिस वजह से टाटा मोटर्स के शेयर 10 फीसदी तक टूट गए. कंपनी ने बताया कि सप्लायर्स से मिले इनपुट के आधार पर मौजूदा वित्त वर्ष के दूसरे क्वार्टर में चिप की कमी होने का अनुमान है.
चिप की कमी से धंधा चौपट
हालांकि, टाटा मोटर्स ने कहा कि अधिक मार्जिन वाले व्हीकल्स के प्रोडक्शन को प्रायरिटी देना जारी रहेगा. इसके साथ ही सप्लाई में कमी के असर को कम करने के लिए चिप और प्रोडक्ट स्पेसिफिकेशन में बदलाव किए जा सकते हैं. सेमीकंडक्टर की कमी पिछले दिसंबर से शुरू हुई थी. परामर्श फर्म एलिक्सपार्टनर्स ने मई में अनुमान लगाया था कि चिप संकट की वजह से कार उद्योग की बिक्री में करीब 110 अरब डॉलर की कमी आ सकती है.
JLR के प्रोडक्शन पर पड़ेगा असर
दरअसल, चिप की कमी सबसे ज्यादा असर जगुआर लैंड रोवर पर पड़ने वाली है. जून में समाप्त हुए तीन महीनों में जगुआर लैंड रोवर की रिटेल सेल्स बढ़ी थी, जिससे डिमांड में रिकवरी होने का संकेत मिले थे. लेकिन अब जेएलआर ने कहा कि दूसरी तिमाही में चिप की अधिक किल्लत रहेगी, जिससे थोक उत्पादन में 50 फीसदी की कमी आ सकती है.
चिप की कमी नया खतरा
चिप की कमी को नए खतरे के तौर पर भी देखा जा रहा है. क्योंकि दुनिया की तमाम बड़ी ऑटो कंपनियां सेमी-कंडक्टर (Semi Conductor) की कमी की परेशानी से जूझ रही हैं. यह एक छोटी-सी चिप है, जिसका कारों में इस्तेमाल किया जाता है. इस चिप की कमी की वजह से फोर्ड ने पिछले दिनों चेन्नई स्थित अपने प्लांट को एक हफ्ते के लिए बंद कर दिया था. (Photo: Getty Images)
चिप का क्या काम?
चिप एक पोर्ट डिवाइस है, इसका उपयोग डाटा रखने में होता है. आसान शब्दों में कहें तो ऑटोमोबाइल्स इंडस्ट्री से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां तक चिप की कमी से जूझ रही हैं. इस साल चिप की कमी के कारण फोर्ड मोटर और जनरल मोटर्स जैसे वाहन निर्माता भी आय घटने का अनुमान लगा रहे हैं. (Photo: Getty Images)
इन कंपनियों को भी झटका
फोर्ड की मानें तो चिप की कमी से साल-2021 में उसकी कमाई लगभग 2.5 बिलियन डॉलर कम हो जाएगी. जबकि जनरल मोटर्स को चिप की कमी के कारण 1.5 से 2 बिलियन डॉलर आय घटने का अनुमान है. चिप की कमी के चलते कार, गेमिंग कंसोल और रेफ्रिजरेटर जैसे प्रोडक्ट्स की शिपिंग पर भी असर दिखने वाला है.
चिप की कमी से प्रोडक्शन पर असर
चिप की कमी से चीन की सबसे बड़ी वाहन कंपनी एसएआईसी मोटर कॉर्पोरेशन ने भी प्रोडक्शन में कटौती की है. कंपनी ने पहली छमाही के लिए थोक उत्पादन में करीब 5 लाख कार की कटौती कर दी है. निसान मोटर, हुंडई मोटर और फोक्सवैगन एजी ने भी सेमीकंडक्टर की कमी के कारण तैयार कारों का स्टॉक घटने की चेतावनी दी है. (Photo: Getty Images)
चिप वाहनों के लिए क्यों महत्वपूर्ण?
इंफोटेनमेंट सिस्टम, पावर स्टीयरिंग और ब्रेक को ऑपरेट करने के लिए सेमीकंडक्टर चिप्स का इस्तेमाल होता है. नए वाहनों के लिए यह चिप बेहद जरूरी है. यही नहीं, हाईटेक वाहनों में कई तरह के चिप का इस्तेमाल होता है. सेफ्टी फीचर्स में चिप का इस्तेमाल होता है. फिलहाल 1400 तरह के चिप होते हैं. एक तरह से सेमीकंडक्टर को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का 'दिमाग' कहा जाता है.
इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए भी संकट
यही नहीं, ऑटो कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस कर रही हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों में आम वाहनों के मुकाबले ज्यादा चिप लगते हैं. इसलिए चिप की सप्लाई में कमी से इलेक्ट्रिक वाहनों को भी झटका लग सकता है. इसलिए चिप की डिमांड बढ़ने का अनुमान है, लेकिन सप्लाई अगले 6 महीने तक प्रभावित रहने की आशंका है.
चिप बनाने वाली कंपनियां दबाव में
गौरतलब है कि दुनिया के कुछ सबसे बड़े चिप-निर्माताओं के लिए चालू वर्ष काफी दबाव भरा रहने वाला है. कोरोना संकट की वजह से निर्माण पर असर पड़ा, लेकिन अब चिप्स की बढ़ती मांग को कैसे पूरा करें, ये एक बड़ी चुनौती है. चिप का बड़ा प्रोडक्शन ताइवान में किया जा रहा है. इसी वजह से दुनिया की ज्यादातर कंपनियां ताइवान पर निर्भर हैं. (Photo: Getty Images)