देश में वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए बहुत साल पहले CNG किट वाले वाहनों को लाया गया. लेकिन अब मार्केट में एक के बाद एक इलेक्ट्रिक कार लॉन्च हो रही हैं. ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि ना सिर्फ पर्यावरण बल्कि किफायती होने के हिसाब से भी CNG और Electric Vehicle में कौन सी गाड़ी बेहतर है.
CNG या Electric में कौन ज्यादा सस्ती?
जब भी आप कोई कार खरीदने का फैसला करते हैं, तो कार की कीमत एक बड़ा फैक्टर होती है. बात जब सीएनजी या इलेक्ट्रिक कारों में से किसी के चुनाव की हो तो कीमत के मामले में निश्चित तौर पर सीएनजी कारें बढ़त ले लेती हैं.
मौजूदा समय में मारुति और हुंडई जैसी कार कंपनियां अपने कई मॉडल में फैक्टरी फिट सीएनजी किट देते हैं. इनकी कीमत उसी मॉडल के पेट्रोल या डीजल वैरिएंट से बहुत ज्यादा नहीं होती है. जैसे Maruti Alto की दिल्ली में एक्स-शोरूम प्राइस 3.49 लाख रुपये से शुरू होती है, वहीं इसके CNG मॉडल का दाम 4.76 लाख रुपये से शुरू होता है. वहीं 50 हजार से 1 लाख रुपये के बीच खर्च करके आप अपनी किसी भी गाड़ी में सीएनजी किट लगवा सकते हैं.
जबकि इलेक्ट्रिक गाड़ियों की इस समय देश सीमित रेंज ही उपलब्ध है. वहीं अभी अधिकतर इलेक्ट्रिक गाड़ियां देश में प्रीमियम या 10 लाख रुपये से अधिक के ब्रैकेट में ही उपलब्ध हैं. देश की सबसे ज्यादा बिकने वाली इलेक्ट्रिक कार Tata Nexon EV की कीमत 14.24 लाख रुपये से शुरू होती है. जबकि इसे पेट्रोल वर्जन की कीमत 7.29 लाख रुपये से शुरू होती है. इस तरह निश्चित तौर पर इलेक्ट्रिक गाड़ी खरीदना थोड़ा महंगा सौदा है. हालांकि आप अपनी पुरानी पेट्रोल और डीजल गाड़ी को भी इलेक्ट्रिक किट लगवाकर इलेक्ट्रिक गाड़ी में बदल सकते हैं. इसका खर्च गाड़ी और मॉडल के हिसाब से 1.5 लाख से 4 लाख रुपये के बीच आता है.
CNG या Electric में कौन कितना किफायती?
CNG Car और Electric Car में कौन ज्यादा किफायती है, किसको चलाने और मेंटेन करने का खर्च कम है. तो फैक्टरी फिट सीएनजी किट कारों का माइलेज एक किलोग्राम गैस में करीब 30 किलोमीटर का होता है. अभी दिल्ली में सीएनजी का दाम 53 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास है. ऐसे में मेंटेनेंस कॉस्ट को मिलाकर सीएनजी कार को चलाने का प्रति किलोमीटर खर्च करीब 3 से 4 रुपये आता है. हालांकि पेट्रोल और डीजल गाड़ियों के मुकाबले ये काफी कम है. क्योंकि उनका खर्च क्रमश: 10 रुपये और 8 रुपये प्रति किलोमीटर तक बैठता है.
वहीं इलेक्ट्रिक गाड़ी की बात करें तो दिल्ली में सार्वजनिक स्थानों पर लगे हाई-कैपेसिटी इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जर के लिए सरकार ने 4.5 रुपये प्रति यूनिट की दर तय की है. मेंटिनेंस कॉस्ट मिलाकर ग्राहक को ये अगर ये 6 रुपये प्रति यूनिट भी पड़ती है तो 150 किमी तक जाने वाली कार की बैटरी चार्ज करने में 16 यूनिट बिजली लगेगी. इस तरह इलेक्ट्रिक कार को चलाने का खर्च 1 रुपये प्रति किलोमीटर से कम बैठेगा.
पर्यावरण के लिए बेहतर कौन?
पेट्रोल और डीजल गाड़ियों के विकल्प के तौर पर CNG और Electric Vehicle को अपनाने की सबसे बड़ी वजह वाहनों से होने वाले प्रदूषण के स्तर में कमी लाना है. अगर इस लिहाज से देखा जाए तो CNG गाड़ियां पेट्रोल-डीजल के मुकाबले उत्सर्जन भले कम करती हैं, लेकिन इलेक्ट्रिक गाड़ियां शून्य उत्सर्जन वाली होती हैं. हालांकि सीएनजी गाड़ी का फायदा ये है कि ईंधन खत्म होने पर उसे पेट्रोल या डीजल पर स्विच किया जा सकता है, जबकि इलेक्ट्रिक गाड़ी के साथ अभी ऐसी सुविधा नहीं है.
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