कोरोना काल में कमाई घटने के बाद महंगाई (Inflation) ने छोटी कारों के सबसे बड़े बाजार को ठंडा कर दिया है. इसकी वजह से ग्राहकों का रुझान महंगी और प्रीमियम कारों की तरफ बढ़ रहा है. ऐसे में कार बाजार में छोटी कारों के मुकाबले महंगी और प्रीमियम कारों की बिक्री 5 गुना तक बढ़ गई है.
छोटी कारों के बड़े बाजार के तौर पर रहे भारत से अब छोटी कार (Compact Car) कंपनियां किनारा कर रही हैं. छोटी कारों में गिरावट की एक बड़ी वजह महंगाई भी है. इन कारों के बजट वाले खरीदारों की जेब कोरोना के असर से खाली हो गई है, जबकि महंगी और प्रीमियम कारें खरीदने वाले ज्यादा बजट के लोगों की आर्थिक सेहत पर कोरोना से खास असर नहीं हुआ है.
सस्ती कार की बिक्री घटी
ऐसे में आमदनी घटने और महंगाई बढ़ने के असर से छोटी और सस्ती कारों की बिक्री में गिरावट की आशंका क्रिसिल ने जताई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रीमियम कारों के मुकाबले छोटी कारों की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं. नए मॉडल्स के लॉन्च की रफ्तार भी धीमी हुई है जिससे प्रीमियम यानी 10 लाख रुपये से ज्यादा कीमत वाली कारों की तरफ खरीदारों का आकर्षण बढ़ा है.
वहीं 70 हजार रुपये से ज्यादा कीमत वाले टू-व्हीलर्स की हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी बनी रहने का अनुमान जताया गया है. भारत में आमतौर पर पहली बार कार खरीदने वाले ग्राहक कम कीमत वाली कार खरीदते हैं. इसके बावजूद 2021-22 में प्रीमियम सेगमेंट कारों की बिक्री सस्ती कारों के मुकाबले पांच गुना ज्यादा रही.
प्रीमियम सेगमेंट की कारों की बिक्री 38 फीसदी जबकि सस्ती कारों की बिक्री करीब सात फीसदी बढ़ी है. इससे 2021-22 में प्रीमियम कारों की बाजार हिस्सेदारी बढ़कर करीब 30 फीसदी हो गई जो 2020-21 में 25 फीसदी रही थी.
छोटी कारें महंगी होने से बिक्री पर असर
रिपोर्ट में कहा गया है कि छोटी कारों की बिक्री घटने की वजह इनके दाम में आई तेजी है. क्रिसिल के मुताबिक बीते 4 साल में छोटी कारों के दाम 15 से 20 फीसदी तक बढ़े हैं. हालांकि इसकी वजह कार सेफ्टी के नियम हैं जिनके बाद ABS, एयरबैग, स्पीड वार्निंग अलार्म, सीट बेल्ट रिमाइंडर, रियर पार्किंग सेंसर, क्रैश टेस्ट नियम अनिवार्य हो गए हैं.
इसके अलावा, सप्लाई चेन से जुड़ी चुनौतियों ने भी व्हीकल मैन्युफैक्चरर्स पर असर डाला है. इससे लागत बढ़ने के साथ ही प्रॉडक्शन पर भी असर पड़ा है. क्रिसिल रिसर्च के मुताबिक कार खरीदने को लेकर ग्राहकों की पसंद भी बदल रही है. इसलिए वाहन कंपनियां महंगी और प्रीमियम कारों पर ज्यादा फोकस कर रही हैं. इसका असर नए मॉडल पर भी दिख रहा है.
2014-15 में महंगी और प्रीमियम कारों के केवल 71 मॉडल बाजार में थे जो 2020-21 में बढ़कर 93 हो गए. जबकि इस दौरान छोटी और सस्ती कारों के मॉडल 29 से घटकर केवल 12 रह गए हैं. ऐसे में आमदनी में कमी, महंगाई के साथ साथ छोटी कारों के कम विकल्प इनकी बिक्री में सेंध लगा रहे हैं.