इस बार के दिवाली सीजन पर बाजारों में ढाई लाख करोड़ खर्च किए जाने का अनुमान व्यापारी संगठन कैट ने जताया है. इस खर्च में मार्केट से होने वाली खरीदारी के अलावा ई-कॉमर्स बिक्री और सर्विस सेक्टर का योगदान भी रहेगा. ये बिक्री पिछले साल की दिवाली के मुकाबले 8 से 10 फीसदी ज्यादा रहने का अनुमान है.
इस आंकड़े में बड़ी हिस्सेदारी वाहन बाजार की होने वाली है. वाहन बाजार के नए और तेजी से बढ़ते सेगमेंट इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की भी इसमें हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है. इस बार अगस्त से लेकर अक्टूबर तक इलेक्ट्रिक स्कूटर्स की बिक्री ने खासी रफ्तार पकड़ी है.
आंकड़ों के हिसाब से बात करें तो देश में बिकने वाले 100 स्कूटर्स में से 15 इलेक्ट्रिक स्कूटर हैं. लेकिन कुल स्कूटर बिक्री में ये 15 प्रतिशत हिस्सेदारी अगले 3 साल में 50 फीसदी में बदलने को तैयार नजर आती है.
कुल दोपहिया बिक्री में 5% हुई इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स की हिस्सेदारी
सितंबर में भारत में करीब 10 लाख दोपहिया वाहन बिके थे. इनमें से 51 हज़ार से ज्यादा इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स थे. ये कुल बिक्री के 5.1 फीसदी के बराबर है. कारोबार की दुनिया में कहा जाता है कि अगर एक बार किसी सेगमेंट की बिक्री में 5 फीसदी हिस्सेदारी हो जाती है तो फिर वो ना केवल अपनी पहचान कायम कर लेता है बल्कि आगे बढ़ने के लिए भी उसको एक नई राह मिल जाती है.
ऐसे में एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगले 8 से 10 महीनों में इलेक्ट्रिक टी-व्हीलर्स की कुल दोपहिया बिक्री में 10 परसेंट हिस्सेदारी हो जाएगी. अगर 8 से 10 महीनों में ये हिस्सा दोगुना होने का दम दिखा रहा है तो फिर जिन ई-स्कूटर्स के दम पर इसमें ग्रोथ आ रही है उनकी हिस्सेदारी भी बढ़कर दोगुनी हो सकती है. यानी आज अगर कुल स्कूटर बिक्री में 15 परसेंट हिस्सेदारी ई-स्कटूर की है तो अगले 1 साल में ये बढ़कर 30 फीसदी होने की क्षमता रखती है. ऐसे में अगर 3 साल में कुल स्कूटर बिक्री में 50 फीसदी हिस्सेदारी ई-स्कूटर्स की हो भी जाती है तो ये कोई हैरानी की बात नहीं होगी.
सितंबर में बदल गए ई-स्कूटर्स के समीकरण
ई-स्कूटर्स के मार्केट में लंबे समय से हीरो इलेक्ट्रिक का दबदबा था. लेकिन ओला इलेक्ट्रिक ने सितंबर में ई-स्कूटर्स के सिंहासन पर कब्जा कर लिया. कंपनी ने 9 हज़ार से ज्यादा स्कूटर्स बेचकर 18.63% मार्केट पर कब्जा कर लिया. वहीं 15.99% हिस्सेदारी के साथ ओकिनावा दूसरे नंबर पर आ गया. जबकि हीरो को 15.49% हिस्सेदारी के साथ तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा. डबल डिजिट में मार्केट शेयर रखने वाली 2 और कंपनियों की बात करें तो Ampere 11.95% हिस्सेदारी के साथ चौथे और Ather 11.93% हिस्सेदारी के साथ पांचवे नंबर पर है.
लेकिन यहां पर Ather की योजनाओं से ई-स्कूटर की डिमांड में आने वाले बदलाव को समझें तो कंपनी अपनी उत्पादन क्षमता को मौजूदा 1.2 लाख से बढ़ाकर अगले 2 साल में 14 लाख पर ले जाना चाहती है. इसी से आने वाले समय में ई-स्कूटर्स की बढ़ती डिमांड का अनुमान लगाया जा सकता है. ये केवल पांचवे नंबर की कंपनी का उदाहरण है अगर हर कंपनी की विस्तार योजनाओं पर गौर किया जाएगा तो फिर समझ आएगा कि अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ई-व्हीकल्स की हिस्सेदारी 50 फीसदी के करीब पहुंचने लगी है तो फिर ई-स्कूटर्स इस मुकाम को कितनी जल्दी हासिल कर सकते हैं.
क्यों बढ़ रही है ई-स्कूटर्स की बिक्री?
ई-स्कूटर्स की बिक्री को बढ़ाने में सबसे बड़ी वजह तो इनका माइलेज है. अगर पेट्रोल स्कूटर से तुलना करें तो इनकी लागत सवा 2 रुपये प्रति किलोमीटर के करीब आती है. जबकि ई-स्कूटर चलाने का औसतन खर्च महज 30 पैसे प्रति किलोमीटर है. अभी समस्या इनकी महंगी कीमते हैं जिनका कुछ हद तक समाधान केंद्र और राज्य सरकार से ग्राहकों को मिलने वाली सब्सिडी कर रही है. हाल ही में यूपी सरकार ने राज्य में खरीदे जाने वाले पहले 2 लाख इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स पर 5,000 रुपये प्रति यूनिट की छूट देने का एलान किया है. इसी तरह से हर राज्य में ई-स्कूटर्स पर अलग अलग छूट मिल रही है. लेकिन जैसे ही इनकी बिक्री बढ़ेगी और कंपनियां उत्पादन बढ़ाएंगी इनकी कीमतें भी कम होनी शुरु हो जाएंगी और ये ग्राहकों के बजट में आने लगेंगे.
दिवाली पर दौड़ेगा ई-स्कूटर्स का कारोबार!
अगस्त के बाद सितंबर में ई-टू व्हीलर्स की बिक्री महज ढाई फीसदी बढ़ी थी. इसकी एक वजह कहीं ना कहीं 15 दिन लंबा श्राद्ध पक्ष का महीना भी रहा था. लेकिन अब अक्टूबर में नवरात्र, दशहरा, धनतेरस और दिवाली की वजह से ई-स्कूटर्स की बिक्री में जोरदार तेजी देखी जा रही है. अक्टूबर के पहले 10 दिनों में ही करीब 22 हज़ार इलेक्ट्रिक दोपहिया बेचे जा चुके हैं. ऐसे में दिवाली तक पहुंचते पहुंचते अनुमान है कि इलेक्ट्रिक दोपहिया की बिक्री नई ऊंचाई को छू सकती है.