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आधी हो जाएगी इलेक्ट्रिक गाड़ियों की चार्जिंग कॉस्ट, आईआईटी में डेवलप हुई टेक्नोलॉजी

आईआईटी बीएचयू (IIT BHU) में विकसित इस टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जर (EV Charger) की कीमत आधी रह जाएगी. इसे डेवलप करने में आईआईटी गुवाहाटी (IIT Guwahati) और आईआईटी भुवनेश्वर (IIT Bhubaneshwar) के एक्सपर्ट्स ने भी योगदान दिया है.

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सस्ते हो जाएंगे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के चार्जर
सस्ते हो जाएंगे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के चार्जर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • आईआईटी की टीम ने कम कर दिए चार्जर कम्पोनेंट
  • ईवी चार्जिंग इंफ्रा को सुधारने में मिलेगी मदद

आईआईटी के रिसर्चर्स (IIT Researchers) ने एक नई टेक्नोलॉजी डेवलप की है, जिससे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (Electric Vehicles) का चार्जिंग कॉस्ट (EV Charging Cost) कम हो जाएगा. इस नई टेक्नोलॉजी को तीन आईआईटी के एक्सपर्ट्स (IIT Experts) ने मिलकर तैयार किया है. लैब डेवलपमेंट के बाद अब इसे बाजार में उतारने की तैयारियां चल रही हैं.

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कमर्शियलाइजेशन में दिलचस्पी ले रहीं कंपनियां

एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, आईआईटी बीएचयू (IIT BHU) में विकसित इस टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जर (EV Charger) की कीमत आधी रह जाएगी. इसे डेवलप करने में आईआईटी गुवाहाटी (IIT Guwahati) और आईआईटी भुवनेश्वर (IIT Bhubaneshwar) के एक्सपर्ट्स ने भी योगदान दिया है. इस नई टेक्नोलॉजी को डेवलप करने वाली टीम ने बताया कि एक घरेलू ईवी कंपनी (EV Company) ने कमर्शियलाइजेशन में दिलचस्पी दिखाई है.

50 फीसदी तक कम हो जाएगी लागत

आईआईटी बीएचयू के चीफ प्रोजेक्ट इन्वेस्टिगेटर राजीव कुमार सिंह का कहना है कि नई टेक्नोलॉजी में प्रोपल्शन मोड (Propulsion Mode) के लिए जरूरी पावर इलेक्ट्रॉनिक्स इंटरफेस को कम किया गया है. इससे चार्जर के कम्पोनेंट 50 फीसदी कम हो गए. इसे चार्जर और इनवर्टर (Inverter) दोनों मोड में यूज के लिए रीकन्फिगर किया जा सकता है. अभी जो ऑनबोर्ड चार्जर (Onboard Charger) यूज हो रहे हैं, उनकी तुलना में यह चार्जर 40 से 50 फीसदी सस्ता होगा.

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इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के दाम भी होंगे कम

उन्होंने कहा कि ऑनबोर्ड चार्जर की कीमत कम होने से इलेक्ट्रिक गाड़ियों के दाम में भी कमी आएगी. इस तरह ये टेक्नोलॉजी इलेक्ट्रिक गाड़ियों को अफोर्डेबल बनाने में मददगार साबित हो सकती है. इससे देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए चार्जिंग इंफ्रा को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. यह आर्थिक लिहाज से किफायती तो है ही, पर्यावरण के लिहाज से भी इस टेक्नोलॉजी का असर सकारात्मक होगा.

 

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