दुनियाभर में इस समय सेमीकंडक्टर (चिप) की किल्लत छाई हुई है. ऐसे में ऑटो कंपनियों को डर सताने लगा है कि कहीं इसकी कमी आने वाले फेस्टिव सीजन का स्वाद मीठे की बजाय कड़वा ना कर दे. क्या आपको पता है कि सेमीकंडक्टर क्या होता है, ऑटो इंडस्ट्री में इसका क्या उपयोग है और दुनियाभर में इसकी कमी कैसे व्हीकल कंपनियों का सिरदर्द बनी हुई है.
क्या होता है सेमीकंडक्टर
सेमीकंडक्टर असल में कंडक्टर (विद्युत सुचालक) और इंस्युलेटर (विद्युत कुचालक) के बीच की स्थिति होता है. इसका मुख्य काम बिजली के करंट को नियंत्रित करना होता है. ये आम तौर पर सिलिकॉन के बनते हैं. आज के समय में कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक्स से जुड़ी वस्तुओं की सेमीकंडक्टर के बिना कल्पना करना भी मुमकिन नहीं है. वहीं कारों को पहियों पर चलता-फिरता कंप्यूटर बनाने में भी इनका योगदान है.
दुनियाभर में इसलिए है किल्लत
कोविड-19 महामारी के समय दुनियाभर में लॉकडाउन की स्थिति रही. इससे कई कंपनियों को अपने प्लांट बंद करने पड़े और सेमीकंडक्टर बनाने वाली कंपनियां भी इससे अछूती ना रहीं. लेकिन सेमीकंडक्टर की ग्लोबल कमी में सिर्फ कोविड-19 से जुड़ी दिक्कतों का योगदान नहीं है, बल्कि अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार की भी भूमिका है.
अमेरिका और चीन का ट्रेड वार भी वजह
पिछले साल अगस्त में अमेरिका ने चीन की सेमीकंडक्टर कंपनियों पर उसकी टेक्नोलॉजी का उपयोग कर बनाई जाने वाली सेमीकंडक्टर की विदेशी कंपनियों को सेल करने पर प्रतिबंध लगा दिया. इसका नुकसान चीन और दुनिया की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर कंपनियों को उठाना पड़ा. दूसरी तरफ चीन की कंपनियों ने इन प्रतिबंधों के प्रभाव में आने से पहले ही सेमीकंडक्टर की सप्लाई रोकनी शुरू कर दी, जिससे इनकी आपूर्ति कम हई.
ऑटो कंपनियों के लिए क्यों हुई दिक्कत
दुनियाभर में सेमीकंडक्टर के इस्तेमाल का एक बहुत छोटा प्रतिशत ऑटो इंडस्ट्री उपयोग में लाती है, फिर भी इस समय वो इतनी क्यों परेशान है कि उसे अपने प्रोडक्शन तक को कम करना पड़ रहा है.
दरअसल जब कोविड-19 की शुरुआत हुई तो ऑटो कंपनियों की सेल में तेज गिरावट आई और कंपनियों ने अपने सेमीकंडक्टर के ऑर्डर कैंसल कर दिए. वहीं दूसरी ओर वर्क फ्रॉम होम की वजह से कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान की बिक्री में बढ़ोत्तरी हुई तो सेमीकंडक्टर कंपनियों के ऑर्डर शिफ्ट हो गए. कोविड-19 के हालात थोड़े नियंत्रण में आने के बाद जब ऑटो कंपनियों की सेल बढ़ी तो सेमीकंडक्टर कंपनियां उनकी आपूर्ति पूरा नहीं कर पाईं और अब उन्हें इसकी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है.
व्हीकल में सेमीकंडक्टर का क्या काम?
वाहनों को आधुनिक और एडवांस बनाने में सेमीकंडक्टर का बहुत बड़ा योगदान है. इसकी वजह से गाड़ियों में ऑटोमेटिक गियर शिफ्ट, मैनुअल सिस्टम की जगह इलेक्ट्रिक सिस्टम, कार्बन उत्सर्जन को कम करने, तेल पर निर्भरता को कम करने और वाहनों की दक्षता को बढ़ाने वाले सिस्टम को लाना मुमकिन हुआ.
इसके अलावा वाहन में ड्राइवर असिस्टेंस, पार्किंग के लिए रीयर कैमरा और सेंसर्स को कंट्रोल, ब्लाइंड स्पॉट डिटेक्शन, एडेप्टिव क्रूज कंट्रोल, लेन चेंज असिस्ट, एयरबैग और इमरजेंसी ब्रेक जैसे कई सेफ्टी फीचर्स को जोड़ने के लिए सेमीकंडक्टर की जरूरत होती है.
वहीं कार में इंफोटेनमेंट, चार्जिंग, स्मार्टफोन कनेक्टिविटी, मैप जैसे आधुनिक फीचर इसी सेमीकंडक्टर की वजह से मुमकिन होते हैं. आने वाले समय में इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए ये एक ऑटो इंडस्ट्री का एक अहम हिस्सा बनने वाले हैं.
फेस्टिव सीजन में होगा ‘स्वाद’ खराब?
इस समय भारत के ऑटो सेक्टर में जबरदस्त डिमांड देखने को मिल रही है. अगर कंपनियों के अगस्त के बिक्री आंकड़ों को देखें तो कमोबेश हर कंपनी की सेल बढ़ी है. इसके बावजूद सेमीकंडक्टर की कमी की वजह से ऑटो कंपनियों को अपना प्रोडक्शन धीमा करना पड़ रहा है या कुछ दिन के लिए बंद करना पड़ रहा है.
हाल में Mahindra & Mahindra ने सितंबर में 7 दिन उत्पादन बंद रखने की घोषणा की है. वहीं देश की सबसे बड़ी ऑटो मोबाइल कंपनी Maruti Suzuki India का कहना है कि उसकी अपने डीलरों को की जाने वाली आपूर्ति 9% घटी है. इसकी वजह से उसके पास 1.5 लाख कारों का बैकलॉग है. Tata Motors की बिक्री अगस्त में भले 51% बढ़ी हो लेकिन उसकी जुलाई के मुकाबले उसकी डिलिवरी में 7% की कमी आई है.
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