पेट्रोल-डीजल की महंगाई से जूझ रहे आम आदमी को हाल-फिलहाल में कोई राहत नहीं मिलने जा रही है. उम्मीद की जा रही थी कि सरकार वाहनों पर लगने वाले GST को घटाएंगी, लेकिन अब इस वजह से इस फैसले को टाल दिया गया है.
ऑटो कंपनियों की लंबे समय से मांग
देश का ऑटोमोबाइल उद्योग सरकार से लंबे समय से गाड़ियों की कुछ कैटेगरी पर GST की दर कम करने की मांग कर रहा है. ऑटो इंडस्ट्री का कहना है कि पेट्रोल-डीजल की ऊंची कीमतों और वाहनों पर ऊंचे टैक्स की वजह से इनकी सेल में लगातार कमी आ रही है. इसके अलावा कोरोना-19 ने भी मांग को कमजोर किया है. इसलिए सरकार को कुछ कैटेगरी के वाहनों पर टैक्स कम करना चाहिए.
सरकार ने टाला GST कटौती का फैसला
लेकिन सरकारी महकमों में इस बाबत निकट भविष्य में जल्दी कोई फैसला होता नज़र नहीं आ रहा है. वित्त मंत्रालय से जुड़े शीर्ष सूत्रों का कहना है कि कुछ कैटेगरी के वाहनों पर GST कटौती के प्रस्ताव को फिलहाल सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है.
सरकार के इस फैसले का अनुमान तब भी लगा जब राजस्व सचिव तरुण बजाज बुधवार को SIAM के एक सम्मेलन में शामिल हुए और उन्होंने GST कटौती पर कोई आश्वासन देने से मना कर दिया और बोले कि इस मुद्दे पर बातचीत के लिए सरकार के दरवाजे हमेशा खुले हैं.
सूत्रों ने इसके पीछे की वजह बताई कि जून 2021 के बाद से कोविड से जुड़े प्रतिबंध हटने के बाद से गाड़ियों की सेल और प्रोडक्शन दोनों में उछाल देखा गया है. ऐसे में GST दरों में कटौती की तात्कालिक जरूरत नज़र नहीं आती. वहीं रही बात गाड़ियों की इन्वेंटरी गिरने की तो इसकी बड़ी वजह अधिकतर देशों में BS-4 के बाद सीधे BS-6 उत्सर्जन मानक लागू किए जाने की वजह से ऑटो कंपनियां ट्रांजिशन फेज में हैं.
इतनी बढ़ी है गाड़ियों की सेल
ऑटो मोबाइल मैन्युफैक्चर कंपनियों के संगठन SIAM के आंकड़ों के हिसाब से जून 2021 में जब से कोविड-19 प्रतिबंधों में ढील दी गई है, तब से गाड़ियों की सेल 14.7% बढ़ी है. वहीं गाड़ियों का प्रोडक्शन 54.73% बढ़ा है. मौजूदा वक्त में एंबुलेंस और इलेक्ट्रिक व्हीकल को छोड़कर देश में बाकी सभी वाहनों पर 18% से 28% GST और कुछ पर 1 से 22% तक सेस लगता है.
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