
भारत की राजनीति, नेता, शासन और प्रशासन में अगर कोई एक चीज कॉमन रही, तो वो है हिंदुस्तान मोटर्स की Ambassador. देश की सड़कों पर प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक, सरकारी बाबुओं से लेकर राजे-रजवाड़ों तक और आम आदमी के बीच भी इस कार ने अपनी पहचान बनाई. लेकिन क्या आपको पता है कि इसका इतिहास देश की आजादी से भी पुराना है...
1942 में बनी Hindustan Motors
एंबेसडर कार बनाने वाली हिंदुस्तान मोटर्स का मूल नाता तो गुजरात से है. गुजरात के ओखा पोर्ट पर कंपनी आजादी से पहले ही 1942 में कारों की असेंबलिंग करने लगी थी. इसके बाद 1948 में इसका प्लांट बंगाल के उत्तरपारा में शिफ्ट हो गया.
ब्रिटेन की Morris Oxford का डिजाइन
हिंदुस्तान मोटर्स ने 1957 में Ambassador Car को उतारा. ये ब्रिटिश मोटर कंपनी की पॉपुलर कार Morris Oxford Series 3 पर बेस्ड थी. कंपनी ने इसका उत्पादन उत्तरपारा के प्लांट में ही शुरू किया और 58 साल बाद अपने अंतिम दिन तक ये इसी प्लांट में बनी.
Birla Group की कंपनी HM
हमारी पीढ़ी के कई लोगों को लगता है कि Hindustan Motors एक सरकारी कंपनी है, लेकिन असल में ये CK Birla समूह की एक कंपनी है. इसे BM Birla ने 1942 में स्थापित किया था. हालांकि कंपनी की Ambassador की सबसे ज्यादा खरीद भारत सरकार ही करती थी.
हिंदुस्तान का पहला कार प्लांट, एशिया का दूसरा
कंपनी ने उत्तरपारा में जो प्लांट शुरू किया, वह हिंदुस्तान का पहला कार प्लांट था, जबकि एशिया में कार बनाने की दूसरी फैक्टरी. उससे पहले सिर्फ टोयोटा का ही कार प्लांट जापान में काम कर रहा था. ये प्लांट अपने दौर की सभी सुविधाओं और बेहतरीन असेंबलिंग लाइन से लैस था.कंपनी के पास उत्तरपारा में 275 एकड़ का लैंड एरिया है, जिसमें 90 एकड़ में फैला ये प्लांट भी शामिल है.
बन गई 'King of Indian Roads'
हिंदुस्तान एंबेसडर ने भारत की सड़कों पर 80 के दशक तक लगभग एक छत्र राज किया. एक दौर में इसे Kind of Indian Roads कहा जाता था. आम लोगों के बीच इस गाड़ी का रुतबा ही अलग था, क्योंकि नेता से लेकर सरकारी बाबू और अधिकारी लाल-नीली बत्ती लगाकर इसका इस्तेमाल करते थे. इसकी सवारी, 'शान की सवारी' मानी जाती थी.
'पॉवर' का दूसरा नाम Ambassador
Ambassador Car अपने को अगर ‘पॉवर’ का दूसरा अवतार कहें, तो गलत नहीं होगा. लेकिन इसकी वजह ये नहीं कि ये सत्तासीन लोगों की पसंद थी. बल्कि इसका इंजन ही इतना पॉवरफुल था. ये 1.5 लीटर और 2.0 लीटर के डीजल इंजन और 1.8 लीटर के पेट्रोल इंजन के साथ आती थी. अगर आज के जमाने के हिसाब से देखा जाए तो ये किसी SUV की पॉवर से कम नहीं. बाद में इसके CNG और LPG वैरिएंट भी आए.
Maruti ने दी तगड़ी चुनौती
80 के दशक में कार मार्केट से मोनोपॉली का अंत हुआ. मारुति उद्योग की स्थापना हुई और कंपनी ने जापान की सुजुकी मोटर के साथ मिलकर 800cc की सस्ती कार बाजार में उतारी. इसके बाद एंबेसडर की डिमांड कम होती गई. साथ ही ऑटो सेक्टर में आने वाली टेक्नोलॉजी के साथ ये कंपनी कदमताल नहीं कर पाई और 2014 में इसका प्रोडक्शन बंद हो गया.
इंडिया में Pajero लाई HM
हिंदुस्तान मोटर्स ने जापान की Mitsubishi Motors के साथ साझेदारी की और 2002 में कंपनी की पॉपुलर एसयूवी Pajero को इंडियन मार्केट में लॉन्च किया. इसके बाद कंपनी ने कॉन्ट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरर के तौर पर Isuzu की MU7 SUV और DMAX पिक-अप ट्रक का भी प्रोडक्शन किया.
अब जल्द आएगी इलेक्ट्रिक Amby
बदलते दौर के साथ एंबेसडर भी बदलने जा रही है. टीओआई की खबर है कि इस बार एंबेसडर इलेक्ट्रिक अवतार में लौटेगी, लेकिन इससे पहले कंपनी इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर्स बनाना शुरू करेगी. हिंदुस्तान मोटर्स के डायरेक्टर उत्तम बोस का कहना है नई 'Amby' के डिजाइन, न्यू लुक और इंजन को लेकर काम चल रहा है. ये पहले ही एडवांस स्टेज में है. हिंदुस्तान मोटर्स ने यूरोप की एक ऑटोमोबाइल कंपनी के साथ इसके लिए एक एमओयू साइन किया है.
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