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कैसे बदल रही है इलेक्ट्रिक व्हीकल की दुनिया? जरूरी है आपके लिए ये बातें जानना

इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर जहां एक तरफ नया क्रेज देखने को मिल रहा है. वहीं हाल-फिलहाल में EV Fire के केसेस ने इन्हें लेकर लोगों को संशय में भी डाला है. ऐसे में सरकार, कंपनियां कैसे ईवी की दुनिया में बदलाव ला रही हैं और एक ग्राहक के नाते आपको किन बातों का ध्यान रखने की जरूरत है, आज इस बारे में थोड़ी विस्तार से बात करेंगे.

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बदल रही इलेक्ट्रिक व्हीकल की दुनिया (Photo : Reuters)
बदल रही इलेक्ट्रिक व्हीकल की दुनिया (Photo : Reuters)

इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने की कोशिशें लगातार हो रही हैं. ग्राहक इन वाहनों को लेकर जहां फैसले ले रहे हैं, वहीं सरकार से लेकर कंपनियां तक इस सेगमेंट में जोर-शोर से काम कर रही है. हालांकि हाल-फिलहाल में जब EV Fire की एक के बाद एक कई घटनाएं सामने आईं, तब इन वाहनों को लेकर लोगों के मन में संशय भी पैदा हुआ. पर सरकार ने जहां EV Swapping Policy और Battery Standards को लेकर तत्काल कदम उठाए, तो कंपनियों ने भी अपने स्तर पर कई प्रयास किए. ऐसे में एक ग्राहक के तौर पर आपके लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि इलेक्ट्रिकल व्हीकल की दुनिया लगातार कैसे बदल रही है? आपको कौन-कौन सी सावधानी बरतनी है, कैसे आप ईवी खरीदने का एक सही फैसला कर सकते हैं.

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सरकार ने तय किए नए मानक

तो सबसे पहले बात सरकार के स्तर पर करते हैं, इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में सरकार और नीति आयोग के साथ परामर्श से लेकर पॉलिसी मेंकिंग तक पर काम करने वाली NHEV के प्रोग्राम डायरेक्टर अभिजीत सिन्हा का कहना है कि जब ईवी में आग के केसेस आए, तो जांच की गई. जांच में साफ पाया गया कि कई कंपनियों ने बैटरी से जुड़े मानकों का सही से पालन नहीं किया. कुछ वाहनों की हालत ऐसी थी, जहां बैटरी कूलिंग के लिए सही से एयर वेंटिलेशन ही नहीं बनाए गए थे.

उन्होंने कहा कि सरकार ने इस पर कड़ा एक्शन लिया. वहीं नए बैटरी स्टैंडर्ड तैयार करने का काम शुरू किया. जहां कंपनियों को ग्राहक को हर कंपोनेंट, बैटरी और चार्जर की सही जानकारी देने के लिए कहा गया है. वहीं सरकार चाहती है कि ग्राहक भी जागरुक हों और वाहन खरीदते समय कंपनी से व्हीकल की हर एक  छोटी डिटेल मांगने का काम करें.

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EV कंपनियां ला रही सॉल्युशंस

कंपनियों ने भी अपने प्रोडक्ट्स में कई बदलाव किए हैं. जैसे व्हीकल की ट्रू स्पीड और ट्रू रेंज के बारे में ग्राहक को स्पष्ट जानकारी देना. वहीं बैटरी के कूलिंग सिस्टम में बदलाव और बैटरी एवं व्हीकल के बिहेवियर डेटा को क्लाउड पर संग्रहित करना, ताकि समय रहते सही निर्णय लिए जा सकें. वहीं NHEV की सलाह है कि कंपनियां बैटरी अलार्मिंग सिस्टम पर काम करें, जिसके चलते बैटरी में कोई खराबी आए या उसमें किसी तरह का लीकेज हो, तो वह राइडर को टाइम पर सूचित कर दे.

वहीं इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर्स बनाने वाली कंपनी iVOOMi के को-फाउंडर अश्विन भंडारी का कहना है कि सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट से जुड़े मानक AIS-156 में संशोधन लाया है. हम उसे लागू कर रहे हैं. इससे ग्राहकों का ईवी को लेकर जो डर बैठा है, उसे तोड़ने में मदद मिलेगी. वहीं बैटरी हीटिंग की प्रॉब्लम से निपटने के लिए बैटरीज की C-Rating को बढ़ावा देना चाहिए.

स्टार्टअप कर रहे इनोवेशन

वहीं इस मामले में MG Motor के गौरव गुप्ता का कहना है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में नए समाधान और इनोवेशन लाने के लिए हमें स्टार्टअप को बढ़ावा देने और उनके साथ मिलकर काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि लोगों को जानकर हैरानी होगी कि इंडिया में बैटरी स्वैपिंग जैसी सुविधा देने का आइडिया एक स्टार्टअप कंपनी ने ही दिया.

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स्वैपेबल या फिक्स बैटरी कौन टिकेगा?

ईवी खरीदने की चाह रखने वाले ग्राहकों के बीच एक और चर्चा स्वैपेबल बैटरी और फिक्स बैटरी को लेकर रहती है. इस बारे में ग्राहक जानना चाहते हैं कि किस तरह के वाहन भविष्य में ज्यादा टिकेंगे. इस पर 'बैटरीवाली ऑफ इंडिया’ के नाम से जानी जाने वाली रिसर्चर डॉ. राशि गुप्ता का कहना है कि इंडिया का मार्केट बहुत बड़ा है. आने वाले समय में दोनों तरह के वाहन रहेंगे.

इसी तरह की बात NHEV के अभिजीत सिन्हा भी कहते हैं कि इंडिया में दोनों तरह के ग्राहक अपनी पसंद से वाहन खरीद सकते हैं. सड़क परिवहन मंत्रालय ने तो इसके लिए नियम भी बना दिए हैं, जिसके हिसाब से एक इलेक्ट्रिक गाड़ी और उसकी बैटरी को अलग-अलग रजिस्टर कराया जा सकता है. ऐसे में अगर फिक्स स्टैंडर्ड की बैटरी ग्राहक बाहर से भी खरीदना चाहे तो वो खरीद सकता है.

हालांकि इलेक्ट्रिक व्हीकल के साथ लोगों को अपने बिहेवियर में चेंज लाना होगा. डॉ. राशि इस बात पर जोर देती हैं.

ग्राहकों को बदलना होगी अपनी आदत

डॉ. राशि गुप्ता का कहना है कि हमारे बुजुर्ग कहकर गए हैं...‘सस्ता रोए बार-बार, महंगा रोए एक बार’. ये बात ईवी के लिए एकदम सही बैठती है. हम सस्ता ईवी ले लें जिसमें क्वालिटी कंपोनेंट ना हो और अपनी जान जोखिम में डाल दें, उससे बेहतर है कि हम एक बार में अच्छा ईवी लें. उनके हिसाब से ईवी सेगमेंट में ग्राहक को ‘माइलेज और कॉस्ट’ पर फोकस करने से ज्यादा ‘लाइफ’ पर फोकर करने की जरूरत है.

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वहीं मानव रचना यूनिवर्सिटी में EV Department के प्रोफेसर डॉ. प्रदीप कुमार का कहना है कि पहले तो ग्राहक को ईवी खरीदते समय सभी मानकों और कंपोनेंट को लेने की आदत विकसित करनी चाहिए. वहीं कुछ नए बदलाव अपनी ड्राइविंग स्टाइल में लाने चाहिए जैसे कि इलेक्ट्रिक व्हीकल की ओवर स्पीडिंग से बचना चाहिए, साथ ही ओवर चार्जिंग भी एक बड़ी समस्या है. इस आदत में सही बदलाव नहीं करने से जोखिम बढ़ता है.

 

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