कारों का इतिहास बहुत पुराना नहीं है, लेकिन इतने कम समय में ये लोगों की दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा हो चुकी हैं. जैसे-जैसे कारों का चलन बढ़ा, सड़क दुर्घटनाएं (Road Accidents) भी बढ़ने लगीं. इसके साथ ही लोग कारों की सेफ्टी (Car Safety) को तरजीह देने लग गए.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Central Minister Nitin Gadkari) अक्सर ही कारों की सेफ्टी पर बात उठाते रहते हैं. कारों की सेफ्टी को लेकर आज के समय में भले ही अटेंशन एयरबैग (Airbag) को मिलता हो, लेकिन आपको यह बात जान लेनी चाहिए कि बिना सीट बेल्ट (Seat Belt) के एयरबैग भी पूरी सुरक्षा नहीं दे पाते हैं. दरअसल सेफ कार की यात्रा का पहला अहम पड़ाव ही सीटबेल्ट है. आपको ये जानकर भी हैरानी हो सकती है कि सीट बेल्ट का पहला डिजाइन कारों के लिए तैयार ही नहीं हुआ था.
ग्लाइडर के लिए बना पहला डिजाइन
सीट बेल्ट के अविष्कार का श्रेय जाता है सर जॉर्ज कैली (Sir George Cayley) को. उन्होंने 1800 के आस-पास अपने ग्लाइडर (Glider) के लिए सीट बेल्ट का डिजाइन तैयार किया था. उन्हें विमानन क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण अविष्कारकों में गिना जाता है. हालांकि उनका डिजाइन कारों के मामले में उपयोगी नहीं था. कारों के लिए पहला सीट बेल्ट तैयार किया अमेरिकी अविष्कारक एडवर्ड क्लैगहॉर्न (Edward Claghorn) ने. उन्होंने 1885 में इसका डिजाइन तैयार किया और न्यूयॉर्क की टैक्सियों में इसका इस्तेमाल होने लगा.
1950 के दशक में रेसिंग कारों ने अपनाया
सीटबेल्टों की लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ने लगी. हालांकि सीट बेल्ट के शुरुआती डिजाइन बहुत ज्यादा सेफ्टी नहीं प्रदान कर पाते थे. इस दिशा में बड़ी कामयाबी हाथ लगी साल 1946 में, जब डॉ सी हंटर शेलडन (Dr C Hunter Shelden) ने रीट्रैक्टेबल सीट बेल्ट (Retractable Seat Belt) तैयार किया. एयरबैग और रेसेस्ड स्टीयरिंग व्हील जैसे सुरक्षा मानकों का क्रेडिट भी उन्हें ही जाता है. डॉ शेलडन के डिजाइन के बाद सीट बेल्टों की लोकप्रियता बढ़ी और 1950 के आस-पास लगभग सभी रेसिंग कारों में इसका इस्तेमाल होने लगा. कई जगहों पर रेसिंग कारों के लिए सीट बेल्ट को अनिवार्य बना दिया गया.
इन कंपनियों ने की सीट बेल्ट की शुरुआत
1950 के दशक में ही पहली बार कार कंपनियों ने अपनी ओर से सीट बेल्ट लगाकर देने की शुरुआत की. इस सिलसिले में नैश (Nash) और फोर्ड (Ford) अव्वल निकलीं. ये दोनों कंपनियां ऑप्शनल सीट बेल्ट देने लगीं, जिसके लिए ग्राहकों को अतिरिक्त पैसे देने पड़ते थे. हालांकि ज्यादातर लोग बिना सीट बेल्ट वाला ऑप्शन ही चुन रहे थे. फोर्ड की मानें तो तब महज 2 फीसदी ग्राहक ही अपनी कारों में सीट बेल्ट का ऑप्शन चुन रहे थे. स्वीडन की कार कंपनी साब (Saab) ने पहली बार अपनी कारों के लिए सीट बेल्ट को स्टैंडर्ड फीचर बनाया.
वॉल्वो ने सबसे पहले किया अनिवार्य
अभी कारों में जिन सीट बेल्टों का इस्तेमाल होता है, उन्हें 3-प्वाइंट सीट बेल्ट (3-Point Seat Belts) कहा जाता है. पुराने डिजाइन सिर्फ कमर को सुरक्षा प्रदान करते थे, जबकि आधुनिक डिजाइन पूरे शरीर की सेफ्टी के लिए तैयार किए जाते हैं. आधुनिक सीट बेल्ट का डिजाइन तैयार हुआ साल 1955 में. इसे अमेरिका के रोजर डब्ल्यू ग्रिसवोल्ड (Roger W Griswold) और ह्यूग डीहैवेन (Hugh DeHaven) ने. इसे स्वीडन के नील्स बोहलिन (Nils Bohlin) ने और सुधारा. उन्हें वॉल्वो (Volvo) ने अपना चीफ सेफ्टी इंजीनियर बना लिया था. वॉल्वो के तत्कालीन सीईओ के एक रिश्तेदार की मौत सड़क दुर्घटना में हो गई थी. उस घटना के बाद वॉल्वो ने अपनी कारों में सीट बेल्ट को अनिवार्य बना दिया.