मद्रास हाइकोर्ट ने 26 अगस्त को एक आदेश में कहा था कि 1 सितंबर से देश में बेची जाने वाले सभी नई गाड़ियों पर 5 साल के लिए ‘Bumper to Bumper’ बीमा कवर देना अनिवार्य होगा. लेकिन अब कोर्ट ने अपने इस फैसले को होल्ड पर रख दिया है.
बीमा कंपनियों ने मांगा 90 दिन का समय
साधारण बीमा कंपनियों ने अदालत के Bumper to Bumper बीमा से जुड़े फैसले को लागू करने के लिए 90 दिन का समय मांगा था. इसके बाद मद्रास हाइकोर्ट के जज जस्टिस एस. विद्यानाथन ने आज अपने 26 अगस्त 2021 के फैसले को ‘होल्ड’ पर रख दिया.
13 सितंबर को होगी सुनवाई
साधारण बीमा कंपनियों की तरफ से जनरल इंश्योरेंस काउंसिल ने पिछले हफ्ते अदालत का रुख किया था और फैसले पर स्पष्टीकरण की मांग की थी. इसके बाद ही अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई 13 सितंबर को करने का निर्णय किया है.
सूत्रों के मुताबिक काउंसिल ने अदालत से Bumper to Bumper का पूरा मायने समझाने के लिए कहा है जिसमें वह जानना चाहता है कि पॉलिसी में क्या-क्या कवर किया जाएगा.
ये है पूरा मामला
दरअसल ये पूरा मामला इरोड की एक घटना से जुड़ा है. 2019 में एक वाहन दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. तब मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने बीमा कंपनी को मृतक के परिवार को 14.65 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया. इस आदेश को चुनौती देते हुए बीमा कंपनी न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी ने मद्रास हाइकोर्ट में रिट याचिका डाली. इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एस. विद्यानाथन ने Bumper to Bumper बीमा कवर का ऐतिहासिक फैसला दिया.
अभी मिलता है थर्ड पार्टी बीमा
अभी कार या बाइक के साथ जो बीमा होता है, वो असल में थर्ड पार्टी बीमा होता है. इस बीमा में किसी वाहन से दुर्घटना में शिकार हुए पक्ष को बीमा कवर मिलता है, ना कि वाहन में सवार लोगों को. न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी ने मद्रास हाइकोर्ट में रिट याचिका दाखिल करते वक्त यही दलील दी थी कि मृतक के पास थर्ड पार्टी बीमा था. इस पर हाईकोर्ट ने 1 सितंबर से नई गाड़ियों की खरीद पर Bumper to Bumper बीमा को अनिवार्य कर दिया था.
हाइकोर्ट के फैसले से भले मृतक के परिवार को कोई मुआवजा ना मिला हो, लेकिन इस फैसले ने ये सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि भविष्य में सभी पैसेंजर को पूरा बीमा कवर मिले.
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