भारत में लोगों की आकस्मिक मौत का सबसे बड़ा कारण सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाएं (Road Accidents) हैं. इसके बाद भी भारतीय लोग हर साल ट्रैफिक नियमों को तोड़ने (Traffic Rule Violations) का रिकॉर्ड बना देते हैं. राजधानी दिल्ली तो ट्रैफिक नियम तोड़ने में और भी आगे है. पिछले साल ट्रैफिक नियम तोड़ने का हर तीसरा मामला राजधानी का रहा. देश भर के कुल मामलों के 35 फीसदी से ज्यादा योगदान के साथ दिल्ली ट्रैफिक नियमों को तोड़ने में टॉप पर है. इन मामलों में पिछले साल काटे गए चालानों (Traffic Challan) से सरकार को करीब 19 सौ करोड़ रुपये की कमाई हो गई.
सरकार को चालानों से हुई इतनी कमाई
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने गुरुवार को संसद (Parliament) में इसकी जानकारी दी. उन्होंने एक सवाल का लिखित जवाब देते हुए बताया कि साल 2021 में पूरे देश में 1.98 करोड़ ट्रैफिक चालान काटे गए. इन मामलों में लोगों ने चालान के रूप में 1,899 करोड़ रुपये का भुगतान किया. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कुल 1.98 करोड़ मामलों में 2 लाख से ज्यादा मामले रोड रेज (Road Rage) और रैश ड्राइविंग (Rash Driving) के रहे.
अकेले दिल्ली वालों ने तोड़े इतने ट्रैफिक रूल
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि राजधानी दिल्ली के लोग ट्रैफिक नियम तोड़ने में सबसे आगे हैं. अकेले दिल्ली में पिछले साल ट्रैफिक नियमों को तोड़ने के कारण 71,89,824 चालान काटे गए. दिल्ली के बाद तमिलनाडु (Tamil Nadu) का स्थान रहा, जहां 2021 में 36,26,037 चालान कटे. दक्षिण भारत का ही केरल (Kerala) 17,41,932 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर रहा. हालांकि दिल्ली को देखें तो ट्रैफिक तोड़ने में दूसरे स्थान का तमिलनाडु और तीसरे स्थान का केरल मिलकर भी काफी पीछे रह जाते हैं.
नया कानून लागू होने के बाद कटे ज्यादा चालान
ट्रैफिक नियमों को तोड़ने में इस साल भी स्थिति में फिलहाल कोई सुधार नहीं दिख रहा है. इस साल शुरुआत के ढाई महीने में ही यानी 01 जनवरी से 15 मार्च तक ही 417 करोड़ रुपये के 40 लाख चालान काटे जा चुके हैं. सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने वाला नया कानून Motor Vehicles (Amendment) Act 2019 के लागू होने के बाद चालान काटे जाने में काफी तेजी आई है. इस कानून के अमल में आने से पहले 2017 से 2019 के दौरान 13,872,098 चालान काटे गए. वहीं नया कानून लागू होने के बाद 48,518,314 चालान काटे जा चुके हैं.