
जापानी कार निर्माता कंपनी निसान के सीईओ मकोतो उचिदा (Makoto Uchida) आगामी 1 अप्रैल को अपने पद से हट जाएंगे. उनकी जगह मौजूदा चीफ प्लानिंग ऑफिसर इवान एस्पिनोसा (Ivan Espinosa) लेंगे. यह घटनाक्रम निसान और होंडा विलय वार्ता के टूटने के लगभग एक महीने बाद हुआ है. कुछ दिनों पहले निसान और होंडा के बीच मर्जर की बातों ने दुनिया के ऑटोमोबाइल सेक्टर में तहलका मचा दिया था. लेकिन ये वार्ता केवल टेबल और प्रेस मीटिंग तक ही सीमित होकर रह गई, जिसके बाद निसान से सीईओ को उनके पद से हटा दिया है.
ग्लोबल मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि, फाइनेंसियल परफॉर्मेंस में लगातार आ रही गिरावट और दिग्गज प्लेयर होंडा के साथ विलय वार्ता विफल होने के बाद निसान ने अपने मुख्य कार्यकारी अधिकारी मकोतो उचिदा को पद से हटा है. निसान ने मंगलवार शाम टोक्यो में एक बयान में कहा कि जापानी कार निर्माता के मुख्य योजना अधिकारी इवान एस्पिनोसा अप्रैल की शुरुआत से CEO का पदभार संभालेंगे और कारोबार को आगे बढ़ाएंगे.
निसान ने कहा कि कंपनी को "लांग-टर्म ग्रोथ के लिए कंपनी के अल्पकालिक और मध्यम अवधि के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक नए नेतृत्व की आवश्यकता है." वहीं सीईओ के पद से हटाए गए उचिदा ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बोर्ड ने उनसे इस्तीफा देने के लिए कहा था, क्योंकि कंपनी के बाहर और अंदर के लोगों ने कंपनी के खराब प्रदर्शन के लिए उनकी जिम्मेदारी पर सवाल उठाना शुरू कर दिया था.
उन्होंने कहा, "मुझे इस बात का गहरा अफसोस है कि मुझे इन परिस्थितियों में अपने उत्तराधिकारी को पदभार सौंपना पड़ा." "निसान की सर्वोच्च प्राथमिकता मौजूदा स्थिति से जल्द से जल्द बाहर निकलना है."
Honda-Nissan का विलय
बता दें कि, पिछले साल दिसंबर में जापानी दिग्गज कार कंपनियां निसान, होंडा और मित्सुबिशी ने एक साथ आने का ऐलान करते हुए एक ज्वाइंट होल्डिंग कंपनी के लिए MoU साइन किया था. इस MoU का उद्देश्य एक ऐसे ज्वाइंट वेंचर कंपनी का निर्माण करना था जो दुनिया की चौथी सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी होती. लेकिन ये समझौता दो महीनों के भीतर ही टूट गया.
दरअसल, होंडा का कहना था कि, निसान की बिक्री लगातार घट रही है और कंपनी नकदी की कमी से जूझ रही है. ऐसे में निसान पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बनने के होंडा के नए प्रस्ताव को स्वीकार कर ले. वहीं निसान ने ऐसा करने से इंकार कर दिया था. जिसके बाद ये एग्रीमेंट आगे नहीं बढ़ सका और बातचीत खत्म हो गई.
30 ट्रिलियन येन का था टार्गेट:
होंडा-निसान के इस विलय का लक्ष्य 30 ट्रिलियन येन (लगभग 16.30 लाख करोड़ रुपये) की वार्षिक बिक्री और 3 ट्रिलियन येन (1.62 लाख करोड़ रुपये) से अधिक का ऑपरेटिंग प्रॉफिट प्राप्त करना था. ऐसा माना जा रहा है कि ये होल्डिंग कंपनी के अगस्त 2026 तक चालू हो सकती थी. होंडा, निसान और मित्सुबिशी मिलकर प्रतिवर्ष लगभग 8 मिलियन वाहनों का उत्पादन करने की योजना बना रहे थें. जिससे वे टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन और वोक्सवैगन एजी जैसी ग्लोबल दिग्गजों को टक्कर दे सकें.
उचिदा थें अहम कड़ी...
कहा जाता है कि, निसान के मकोतो उचिदा इस समझौते के सबसे मजबूत समर्थकों में से एक थे और इस इस विलय की अहम कड़ी भी थें. उचिता ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन द्वारा अधिग्रहण के खिलाफ थे, जो इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण के लिए अनुबंध हासिल करने की अपनी रणनीति के लिए निसान को लगातार घेर रही थी.
फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट में इस मामले से जुड़े लोगों के हवाले से बताया गया है कि, बोर्ड के कई सदस्यों ने हाल के हफ्तों में उचिदा पर पद छोड़ने का दबाव बढ़ा दिया था. कुछ ने समूह के मौजूदा वित्तीय संकट के लिए उनके “कमज़ोर नेतृत्व” और “निर्णय लेने की कमी” को दोषी ठहराया था. हालांकि इस मामले में निसान ने किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार किया है.
इवान एस्पिनोसा के कंधों पर जिम्मेदारी...
इवान एस्पिनोसा, जो 2003 में निसान में शामिल हुए थे अब निसान के भविष्य को सुरक्षित करने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर होगी. फाइनेंशियल क्राइसिस से जूझ रही निसान और लगातार घटती बिक्री के अलावा एस्पिनोसा पर हाल ही में हुई 9,000 नौकरियों की कटौती का दबाव भी होगा. इसके अलावा नए CEO के तौर पर एस्पिनोसा के सामने अमेरिकी टैरिफ भी एक बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि कंपनी मेक्सिको में प्रति वर्ष 600,000 से अधिक कारों का उत्पादन करती है.