
इंडियन मार्केट में बीते कुछ सालों में एसयूवी वाहनों की डिमांड तेजी से बढ़ी है. वाहन के इस बॉडी टाइप के प्रति ग्राहकों की रूचि को देखते हुए कंपनियां भी एसयूवी को बजट और साइज़ के अनुसार कई अलग-अलग रूप देने में लगी हैं. माइक्रो, मिनी, कॉम्पैक्ट, मिड-साइज और फुल-साइज सहित एसयूवी के कई भिन्न रूप देखने को मिल रहे हैं. आलम ये है कि जरा सी स्पोर्टी लुक और एक्सटीरियर में कुछ प्लास्टिक क्लैडिंग से सजी कारों को भी SUV कहा जा रहा है. लेकिन किसी भी वाहन को स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल (SUV) कह देना किस हद तक सही है?
SUV का चलन इस कदर बढ़ा है कि कई वाहन निर्माता कंपनियां भी अपने छोटे वाहनों को एसयूवी कह कर प्रचारित कर रही हैं. लेकिन ऐसे समय में सरकार SUVs को कैसे देखती है जब ब्रांड छोटी कारों को एसयूवी वाहनों के रूप में मार्केटिंग कर रहे हैं? और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसे वाहनों पर जीएसटी (GST) या वस्तु एवं सेवा कर की दर क्या है, जो कि वाहनों के साइज, इंजन क्षमता इत्यादि पर निर्भर करती है.
सरकार ने तय की SUV की परिभाषा:
हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में 48वीं वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की बैठक हुई थी, जिसमें वित्त मंत्री ने वाहन निर्माताओं के लिए स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) की एकल परिभाषा को स्पष्ट करते वाहनों पर लगने वाले टैक्स को भी समझाया. जीएसटी परिषद (GST Council) ने 22% मुआवजा उपकर लगाने के लिए एसयूवी (स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल्स) की परिभाषा को स्पष्ट करते हुए मापदंडों को तय किया.
नए स्पष्टीकरण के अनुसार, एक कार को एसयूवी या स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन तभी माना जाएगा जब वह इन मानदंडों को पूरा करेगा. अर्थात्: ऐसे वाहन जिनकी इंजन की क्षमता 1,500cc से अधिक है, जिनकी लंबाई 4,000mm से अधिक है; और जिनका ग्राउंड क्लीयरेंस 170 मिमी या उससे अधिक है उसे ही एसयूवी की श्रेणी में रखा जाएगा. परिषद ने अपने बयान में कहा कि, ऐसे वाहनों पर 28 प्रतिशत जीएसटी (GST) और 22 प्रतिशत उपकर (Cess) लागू होगा. अब यदि वाहन इन सभी मानदंडों को पूरा करती है तो ही उसे एसयूवी माना जाएगा, अन्यथा वो बॉडी टाइप के अनुसार हैचबैक या सेडान इत्यादि ही कहे जाएंगे.
क्या होती है SUV:
स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल की कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत परिभाषा नहीं है. वाहन निर्माता कंपनियां, मीडिया, मोटर वाहन विशेषज्ञ और आम जनता सभी लोग इसे अपने हिसाब से विशेषताओं के आधार पर परिभाषित करते रहे हैं. वहीं ऑटो इंडस्ट्री भी एसयूवी की किसी एक परिभाषा पर नहीं टिका है, समय के साथ इसमें कई बदलाव देखे गए हैं.
SUVs के अतीत को खंगालने पर पता चलता है कि, 1930 के दशक के अंत से मिलिट्री द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले फोर-व्हील ड्राइव वाहनों को एसयूवी का आधार माना जाता है. ये ऐसे वाहन होते थें जो किसी भी रोड कंडिशन में चलाए जा सकते हैं. हालांकि जानकार, साल 1984 में पेश की गई जीप चेरोकी (XJ) को मॉर्डन टाइम की पहली SUV मानते हैं. आज के समय में वाहन निर्माता कंपनियां एसयूवी के निर्माण में यूनिबॉडी कंस्ट्रक्शन का इस्तेमाल करती है, जबकि पुराने समय में ज्यादातर SUV वाहनों में बॉडी-ऑन-फ़्रेम कंस्ट्रक्शन का निर्माण देखने को मिलता था.
वास्तविक शब्द "स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल" 1980 के दशक के अंत तक व्यापक लोकप्रिय उपयोग में नहीं आया था। इससे पहले, ऐसे वाहनों फोर-व्हील ड्राइव, जीप, स्टेशन वैगन जैसे उपनामों से जाना जाता था. 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में, एसयूवी की लोकप्रियता बहुत बढ़ गई और दुनिया भर में वाहन निर्माता कंपनियां ऐसी कारों को पेश करने लगी जो कि एसयूवी वाली विशेषताओं के साथ आती हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि, भला SUV में किस तरह ही गुणों का होना जरूरी है, आइये हम आपको बताते हैं-
एक SUV में होने चाहिए ये गुण:
आमतौर पर एक SUV वाहन साइज में उंची होती है जिससे केबिन में बेहतर हेडरूम मिलता है. इसके अलावा ग्राउंड क्लीयरेंस (जमीन और वाहन के फ्रेम के बीच की जगह) भी उंचा होना चाहिए, ताकि वाहन खराब रास्तों पर भी बिना रूके चल सके. एसयूवी के फ्रंट में मजबूत पैनल और ग्रिल होने चाहिए जो कि टफ रोड्स पर भी बिना किसी तरह का नुकसान हुए आगे वाहन को आगे ले जा सकें.
सामान्यत: एसयूवी वाहन में 7 सीट्स दिए जाते हैं, हालांकि मॉर्डन टाइम में कुछ मॉडलों में ये सीमित होकर 5 सीट्स तक आ गया है. सबसे ख़ास बात ये कि, किसी भी एसयूवी में फोर-व्हील ड्राइव (4WD) सिस्टम का होना बेहद जरूरी होता है, जिससे चालक वाहन को किसी भी तरह के रोड कंडिशन जैसे, कीचड़ भरे रास्ते, पहाड़ी इलाके, रेगिस्तान, पानी से भरे रास्तों पर भी आसानी से चला सके.
SUV की बॉडी स्टाइल:
हर वाहन की एक अलग बॉडी स्टाइल होती है, जिससे उन्हें उनकी कैटेगरी में वर्गीकृत किया जाता है. एसयूवी आमतौर पर एक स्टेशन वैगन के समान दो-बॉक्स डिज़ाइन के साथ आते हैं. इसमें इंजन कम्पार्टमेंट सामने की तरफ दिया जाता है, उसके बाद एक पैसेंजर/कार्गो एरिया मिलता है. ये सेडान से अलग होता है, सेडान में कार के पिछले हिस्से में आपको एक बूट कम्पार्टमेंट भी मिलता है. बीते समय में कई SUV मॉडल 2-डोर बॉडी स्टाइल में उपलब्ध थे, लेकिन कम डिमांड के चलते वाहन निर्माताओं ने 2-डोर मॉडल को बंद करना शुरू कर दिया क्योंकि 4-डोर मॉडल अधिक लोकप्रिय हो गए. हालांकि आज भी कुछ 2-डोर एसयूवी उपलब्ध हैं, जैसे बॉडी-ऑन-फ्रेम सुजुकी जिम्नी, टोयोटा लैंड क्रूजर प्राडो, महिंद्रा थार और जीप रैंगलर इत्यादि.
क्या आपको खरीदनी चाहिए SUV:
जिस तरह से बाजार में एसयूवी वाहनों का क्रेज देखा जा रहा है बिक्री के आंकड़े इसकी लोकप्रियता की कहानी कह रहे हैं. बीते नवंबर महीने में टाप 25 बेस्ट सेलिंग कारों की सूचि में 10 से ज्यादा SUV (जिन्हें कंपनी एसयूवी कहती है) वाहनों की बिक्री हुई है. जाहिर है कि मार्केट शेयर तेजी से बढ़ा है. लेकिन आपके लिए ये जानना भी जरूरी है कि, आखिर क्या वास्तव में आपको एक एसयूवी वाहन की जरूरत है. यदि आपकी फैमिली छोटी है और आपको ज्यादातर शहर के भीतर ही ट्रैवेल करना होता है तो आपके लिए एसयूवी वाहन की कोई ख़ास जरूरत नहीं है.
आमतौर पर एक परफेक्ट SUV साइज में बड़ी होती है इसका इंजन हैवी होता है, जिससे आपको बेहतर परफॉर्मेंस तो मिलता है लेकिन माइलेज कम और मेंटनेंस का खर्च बढ़ जाता है. इसके अलावा शहरी क्षेत्र में भारी ट्रैफिक के बीच बड़े साइज की एसयूवी को लेकर निकलना एक बड़ी मुसीबत है. यदि आपकी बड़ी फैमिली है और आप आए दिन लांग ट्रिप पर जाते हैं साथ ही आपको ऑफरोडिंग का भी शौक है तो आप एक एसयूवी वाहन का चुनाव कर सकते हैं.