आज कल सड़क पर वाहन और दुर्घटनाओं दोनों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है. महानगरों में सड़कों पर फ्लाईओवर का ताना-बाना तो बुना जा रहा है, लेकिन भारी भीड़ और ट्रैफिक के चलते वाहनों के बीच छोटी-मोटी टक्कर सामान्य सी बात हो गई है. हालांकि, उससे भी आम है लोगों के बीच झड़प और हाथापाई होना. अक्सर देखा जाता है कि सड़क पर चलते हुए दो वाहनों के बीच जैसे ही टक्कर होती है, उसके बाद जिसके वाहन में ज्यादा नुकसान (डैमेज) होता है, वो तत्काल हर्जाने की बात कर वाद-विवाद शुरू कर देता है. कई बार जुबानी जंग इस कदर बढ़ जाती है कि मार-पीट की नौबत आ जाती है.
इस समय एक ऑनलाइप पेमेंट ऐप का विज्ञापन खूब चल रहा है. इसमें दिखाया गया है कि एक बाइक और कार में भिड़त हो जाती है और कार की हेडलाइट क्षतिग्रस्त हो जाती है. वीडियो की शुरुआत ही धमकी भरे डायलॉग से होती है. जिसमें कार का मालिक बाइक चालक की गर्दन गाड़ी की बोनट पर पटकता है और कहता है कि, "मुझे मेरे पैसे चाहिए... समझा." उस वक्त एक अन्य व्यक्ति पास से गुजर रहा होता है जो विवाद को निपटाने के लिए खुद हर्जाना भरने की बात कहता है.
हम यहां पर इस वीडियो का जिक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इस तरह के मामले आमतौर पर आए दिन सड़क पर देखने को मिलते हैं. सड़क दुर्घटना या छोटी-मोटी भिड़ंत के दौरान मौके पर ही विवाद को निपटाने के लिए हर्जाने या नुकसान की मांग करना कहां तक सही है? ऐसे हादसे हो जाएं तो दोनों पक्षों के पास क्या कानूनी विकल्प हैं? इस बारे में हमने पुलिस विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी से बात की, जिन्होनें ऐसे मामलों से जुड़े कई पहलुओं के बारे में बताया.
एक्सीडेंट को लेकर IPC में क्या है धाराएं:
सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि रोड एक्सीडेंट को लेकर कानून क्या कहता है. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बी. आर. ज़ैदी ने बताया कि, किसी भी सड़क हादसे की स्थिति में भारतीय दंड संहिता की धारा 279 के तहत कार्यवाही की जाती है. यदि कोई भी व्यक्ति जो किसी भी सार्वजनिक रास्ते पर गलत ढंग से या लापरवाही से वाहन चला रहा है या सवारी कर रहा है, जिससे मानव जीवन को खतरा हो सकता है या अन्य लोगों को चोट लग सकती है, तो उसे इस धारा के अन्तर्गत कानून द्वारा दंडित किया जाएगा. इस धारा के तहत छह महीने तक की कैद, 1,000 रुपये का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है.
क्या एक्सीडेंट के समय मौके पर ले सकते हैं हर्जाना?
वहीं बी. आर. ज़ैदी बताते हैं कि, यदि एक्सीडेंट का मामला बहुत बड़ा नहीं है और हल्का फुल्का नुकसान है तो ऐसे मामलों में दोनों पक्ष की सहमति से समझौता किया जा सकता है. ऐसे मामले जो कंपांउडेबल अपराध (Compoundable Offence) यानी कि शमनीय अपराध की श्रेणी में आते हैं, अर्थात समझौता योग्य मामले हैं तो उनमें दोनों पक्ष की रजामंदी से मौके पर या फिर कहीं और आपसी नुकसान की भरपाई कर समझौता किया जा सकता है. इसमें आपसी लेनदेन भी शामिल है.
बीच सड़क कोई भी नहीं डाल सकता है दबाव:
लेकिन किसी भी समझौता योग्य मामले में कोई भी पक्ष चाहे उसका कितना भी नुकसान क्यों न हुआ हो, वो दूसरे पक्ष पर किसी तरह का दबाव नहीं डाल सकता है. इस दशा में वो धमकी या फिर झगड़ा इत्यादि भी नहीं कर सकता है. यदि दोनों पक्ष आपसी बात-चीत से मामले को हल करते हैं और एक आपसी लेनदेन पर तैयार हैं तो वो इस तरह के समझौते को कर सकते हैं.
पुलिस अधिकारी बताते हैं कि, यदि एक्सीडेंट के दौरान कोई पक्ष वाद-विवाद करता है और वो दूसरे पक्ष को किसी तरह की धमकी देता है या फिर हाथापाई करता है तो दूसरे पक्ष को पुलिस के पास जाना चाहिए. एक्सीडेंट होने के बाद यदि कोई मारपीट करता है तो ये आईपीसी की धारा के अन्तर्गत आता है.
हेल्पलाइन नंबर का ले सकते हैं सहारा:
किसी भी एक्सीडेंट की स्थिति में यदि कोई व्यक्ति घायल हो जाए या झगड़े जैसी स्थिति हो तो घबराए नहीं, इसके लिए राज्य सरकार हेल्पलाइन नंबर जारी करती है यदि आप उत्तर प्रदेश में हैं तो आप 112 नंबर पर डायल कर मौके और स्थिति की सूचना दे सकते हैं. सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच जाएगी और जरूरी मदद करेगी. इस दौरान घायल व्यक्ति को तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए, ऐसे में आप एंबुलेंस को भी कॉल कर सकते हैं और तत्काल घायल व्यक्ति को नजदीकी अस्पताल पहुंचाए.
हादसों पर क्या कहता है मोटर व्हीकल एक्ट
पी. एस. सत्यार्थी, डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, रोड सेफ्टी का कहना है कि, किसी भी एक्सीडेंट की स्थिति में आईपीसी की धारा 279 में एफआईआर दर्ज होनी चाहिए. मोटर व्हीकल एक्ट में इसके लिए सेक्शन 160 का प्रावधान है. जिसके तहत दुर्घटना में शामिल वाहन के विवरण प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी को शामिल किया गया है. इसके तहत दुर्घटना में शामिल वाहन की जांच की जाती है और सभी विवरण को पंजीकरण प्राधिकारी या एक पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी, द्वारा एकत्र किया जाता है.
जिसकी कार डैमेज हुई, वो क्या करे
जिसकी गाड़ी का डैमेज हुआ है, अगर उसे लगता है कि सामने वाले पक्ष की लापरवाही की वजह से यह हादसा हुआ है तो वह कानूनी प्रक्रिया भी अपना सकता है. वह पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवा सकता है, जिसकी विवेचना के बाद पुलिस संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर सकती है. जहां तक नुकसान का सवाल है, उसके लिए इंश्योरेंस क्लेम का विकल्प ही मुफीद है.