साल 2008 में Jaguar Land Rover को खरीद कर फोर्ड पर 'एहसान' करने के बाद Tata Motors एक बार फिर Ford Motor Company की मदद के लिए आगे आई है. दोनों कंपनियों के बीच 'एहसानों' का ये उतार-चढ़ाव भरा रिश्ता 1999 का है. खराब सेल्स की वजह से Ford ने पिछले साल ही इंडियन मार्केट से बाहर जाने का फैसला किया था.
खरीदने जा रही Ford का कार प्लांट
Ford का गुजरात प्लांट इस साल अप्रैल से बंद है. पिछले साल इंडियन मार्केट से बाहर जाने के फैसले के बाद से कंपनी अपने साणंद प्लांट (Ford Sanand Car Plant) को बेचने की कोशिश कर रही थी. इसके बाद Tata Group कंपनी की मदद को आगे आया और उसने इस प्लांट को खरीदने में रुचि दिखाई. अब गुजरात सरकार ने भी Tata Motors के इस प्लांट को खरीदने पर सहमति दे दी है. टीओआई ने खबर दी है कि गुजरात मंत्रिमंडल ने पिछले हफ्ते ही एक बैठक इस फैसले को मंजूरी दे दी. टाटा मोटर्स का एक कार प्लांट पहले से साणंद में काम कर रहा है, जिसे उसने Tata Nano को बनाने के लिए पश्चिम बंगाल के सिंगूर से यहां शिफ्ट किया था.
कल हो सकता है आधिकारिक ऐलान
खबर के मुताबिक गुजरात मंत्रिमंडल की अनुमति डील के लिए एक ग्रीन सिग्नल की तरह है. दोनों कंपनियां प्लांट खरीदने को लेकर कई मुद्दों पर अभी भी बातचीत कर रही हैं. इसमें डील का साइज, मजदूरों से जुड़े मसले, वित्तीय स्थिति और अन्य मुद्दे शामिल हैं. हालांकि दोनों कंपनियों के इस डील के लिए 30 मई को एमओयू साइन करने की उम्मीद है.
पुराना है दोनों के 'एहसानों' का रिश्ता
Tata Motors और Ford Motor के बीच एक-दूसरे पर इस तरह के एहसानों का ये रिश्ता 1999 से चल रहा है. कहानी इतनी सीधी भी नहीं है... रतन टाटा (Ratan Tata Ford Story) ने भारत की पहली पूर्ण स्वदेशी कार Tata Indica को लॉन्च किया था, लेकिन ये कार मार्केट में सफल नहीं हो पाई. इसके बाद 1999 में रतन टाटा ने अपने कार बिजनेस को बेचने के लिए फोर्ड से संपर्क किया. उस समय का मशहूर किस्सा है कि इस बैठक के दौरान फोर्ड के प्रमुख Bill Ford ने रतन टाटा से कहा-जब वो कार के बारे में कुछ जानते ही नहीं तो इसे बनाना शुरू ही क्यों किया. फोर्ड टाटा के कार बिजनेस को खरीद कर एक बड़ा 'Favour' करने जा रही है. इस बात के बाद रतन टाटा ने अपना कार बिजनेस नहीं बेचने का फैसला किया.
2008 में खरीदी Jaguar Land Rover
इसके बाद वक्त आया 2008, जब दुनिया ने एक और बार आर्थिक मंदी का सामना किया. इस दौरान Ford दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई और तब रतन टाटा ने फोर्ड से Jaguar Land Rover जैसे लक्जरी कार ब्रांड को खरीद लिया. उन्होंने ना सिर्फ इस कार कंपनी को खरीदा, बल्कि इसे सक्सेसफुल भी बनाया. तब की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस डील को लेकर बिल फोर्ड ने रतन टाटा का धन्यवाद किया था और उनसे कहा था कि JLR को खरीदकर टाटा कंपनी के लिए एक बड़ा 'Favour'कर रही है.
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