
आजकल जब भी कोई नई गाड़ी लॉन्च होती है, तो हमें एक शब्द बहुत सुनने को मिलता है कि ये कार का फेसलिफ्ट वर्जन (Facelift Car) है. अब तक हम सभी ने कार का नया मॉडल या कार की नई जेनरेशन जैसे शब्द तो सुने थे, आखिर अब ये फेसलिफ्ट किस बला का नाम है. घबराइए नहीं, यहां आपके एक-एक सवाल का जवाब मिल जाएगा. बस आगे पढ़ते जाइए...
जानें क्या होता है फेसलिफ्ट वर्जन
आसान भाषा में समझें, तो जब किसी कार में कंपनी थोड़े-बहुत चेंज करती है-तब वो मॉडल फेसलिफ्ट मॉडल कहलाता है. मतलब इसमें कोई कार पहले की तरह ही रहती है, बस जमाने के हिसाब से बदलते फीचर्स और टेक्नोलॉजी को अपडेट करने के लिए कंपनी कार के एक्सटीरियर और इंटीरियर में थोड़ा बदलाव कर देती है, तब ये कार का फेसलिफ्ट मॉडल कहलाता है. जैसे हाल में लॉन्च हुई Maruti Baleno को देखें तो कंपनी ने इसके फ्रंट ग्रिल, बंपर और टेल लाइट्स वगैरह में चेंज किया. इंटीरियर लेवल पर 360 डिग्री व्यू कैमरा, हेड अप डिस्प्ले और नई इंफोटेनमेंट स्क्रीन को इसमें जोड़ा, लेकिन कार की मूल बॉडी और इंजन में ज्यादा कुछ बदलाव नहीं किया. इसलिए ये Maruti Baleno facelift मॉडल कहलाया.
वहीं महिंद्रा एंड महिंद्रा ने Mahindra Scorpio-N को लॉन्च किया तो ये कार का नया मॉडल ही बन गया, क्योंकि नई कार अपने पिछले मॉडल की तुलना में पूरी तरह ही बदल गई. ये एक तरह से पुरानी स्कॉर्पियो की ओवरहॉलिंग हुई और ये New Scorpio या स्कॉर्पियो की नई जेनरेशन कहलाई. ऐसा ही Hyundai Creta के साथ 2020 में हुआ था, तब कंपनी ने क्रेटा के पुराने लुक को पूरी तरह बदल दिया था और नई क्रेटा एकदम नई कार की तरह दिखाई देने लगी थी.
शिल्पा शेट्टी की नाक की सर्जरी भी फेसलिफ्टिंग थी!
अब सवाल उठता है कि कंपनियों को ये छोटे-मोटे बदलाव के लिए कार के वर्जन को facelift car कहने की जरूरत क्यों पड़ी? उसे अपडेटेड वर्जन भी तो कह सकते थे. चिंतित ना होइये, हम आपको बताते हैं कि ये facelift शब्द आया कहां से? दरअसल ये शब्द आया मेडिकल इंडस्ट्री से, जी हां मेडिकल साइंस में प्लास्टिक सर्जरी के दौरान इंसान के चेहरे में कुछ छोटे-मोटे बदलाव जब किए जाते हैं तो उसे facelifting कहते हैं. आसान भाषा में समझें तो शिल्पा शेट्टी का अपनी नाक में मामूली बदलाव करवाना या अनुष्का शर्मा का लिप जॉब कराना फेसलिफ्टिंग ही था.
नई कार की जगह facelift car क्यों लाती है कंपनी?
अब एक और सवाल आपके मन में होगा कि कोई कंपनी अब अपने फीचर्स अपडेट कर ही रही है, तो फिर वो नई कार क्यों नहीं ले आती. उसकी जगह फेसलिफ्ट वर्जन क्यों लाती है. तो इसका जवाब है कि जब कंपनी किसी नई कार को बनाती है तो उसकी डिजाइनिंग से लेकर मैन्यूफैक्चरिंग तक पर बहुत लागत आती है. दूसरा कंपनी की कोई कार जब पॉपुलर हो जाती है तो उस ब्रांड की वैल्यू बन जाती है. ऐसे में लागत को कम रखने और ब्रांड वैल्यू को भुनाने के लिए कंपनी नई कार लाने से बचती है और ग्राहकों को अपडेट मॉडल मिलता रहे इसके लिए फेसलिफ्ट वर्जन निकालती है.
अगर आप 2021 में लॉन्च हुई Tata Safari को देखें तो ये कार अपने पुराने मॉडल से बिल्कुल अलग है. इसका बॉडी स्ट्रक्चर से लेकर डिजाइन सब बदल चुका है, लेकिन कंपनी ने ब्रांड वैल्यू भुनाने के लिए नाम Tata Safari ही रखा है. हालांकि ये कार का फेसलिफ्ट वर्जन नहीं बल्कि न्यू जेनरेशन मॉडल है.
100 साल पहले ये कंपनी लाई थी पहली facelift car
दुनिया में पहली बार किसी कार का फेसलिफ्ट वर्जन Ford कंपनी ने निकाला था. दरअसल Ford की Model T कार अपने दौर की सबसे पॉपुलर कारों में से एक थी. 1908 में आई इस कार में अगले 19 सालों में कई बदलाव हुए.
ये सभी वक्त के साथ बदलती तकनीक और बाकी चीजों को इस मॉडल में जोड़ने वाले बदलाव थे. इस कार का 1927 का मॉडल अगर आप देखेंगे तो ये 1908 के मुकाबले एकदम नई कार बन चुकी थी.