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इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में एक बड़ा हिस्सा बैटरी की लागत के तौर पर खर्च होता है और ख़ास कर EV के लिए लिथियम-ऑयन बैटरियों का इस्तेमाल इस समय खूब चलन में है. लिथियम एक रासायनिक तत्व है जिसका प्रतीक (Li) और परमाणु संख्या 3 है. चांदी जैसा नरम और सफेद ये क्षार धातु मानक परिस्थितियों में सबसे कम सघन मेटल और सबसे कम घना ठोस तत्व होता है. बीते दिनों भारत में जम्मू कश्मीर लिथियम का एक बड़ा भंडार मिला था जिसको लेकर दावा किया जा रहा है कि ये भारत में लिथियम की मांग को पूरा करने में काफी मददगार साबित हो सकता है. ऐसे में इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री को भी इस नई खोज से काफी उम्मीदे हैं.
भारत में लिथियम भंडार:
इस साल की शुरुआत में भारत में पहली बार जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में फरवरी महीने में लिथियम का बड़ा भंडार मिला था. लिथियम के लिए अभी तक भारत चीन पर निर्भर है. अब माना जा रहा है कि चीन का एकाधिकार खत्म होगा. GSI ने 2016-17 से 2020-21 के बीच बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, मेघालय, कर्नाटक और राजस्थान में लिथियम और संबंधित तत्वों पर 14 परियोजनाओं को अंजाम दिया.
2021-22 के दौरान, जीएसआई ने अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, जम्मू और कश्मीर और राजस्थान में लिथियम और संबंधित खनिजों पर 5 परियोजनाएं शुरू की हैं. जिसका नतीजा रहा कि जम्मू कश्मीर में बड़ा लिथियम रिजर्व मिला है. हाल ही में मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में 5.9 मिलियन टन लिथियम रिजर्व की पुष्टि की है.
लिथियम के लिए अब तक भारत पूरी तरह से विदेश से आयात पर निर्भर रहा है. JMK रिसर्च और द इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत का वार्षिक लिथियम-आयन बैटरी बाजार वित्तीय-वर्ष 2021 में 2.6 GWh से वित्तीय-वर्ष-30 तक 116 GWh तक बढ़ने की उम्मीद है, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी पूरे मार्केट में तकरीबन 90 प्रतिशत होगी.
इलेक्ट्रिक वाहनों में लिथियम की उपयोगिता:
बाजार में विभिन्न प्रकार की बैटरियां उपलब्ध हैं, जिसमें लिथियम-आयन बैटरी, सॉलिड स्टेट बैटरी, निकेल-मेटल हाइड्राइड बैटरी, लेड-एसिड बैटरी और अल्ट्राकैपेसिटर शामिल हैं. हालांकि, लिथियम-आयन बैटरियां सबसे ज्यादा चलन में है क्योंकि इन्हें सबसे बेहतर माना जाता है. लिथियम-आयन बैटरी वर्तमान में अधिकांश इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग की जाती हैं क्योंकि उनकी प्रति यूनिट हाई एनर्जी द्रव्यमान अन्य विद्युत ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के सापेक्ष होती है.
लिथियम-आयन बैटरी हाई पावर-टू-रेशियो, हाई टेंप्रेचर में भी बेहतर परफॉर्मेंस वाली गुणवत्ता और लो सेल्फ-डिस्चार्ज के चलते इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सबसे बेहतर विकल्प मानी जाती हैं. लिथियम-आयन बैटरी के अधिकांश कंपोनेंट को रिसाइकिल किया जा सकता है. ये न केवल लागत को कम करता है बल्कि बेहतर लाइफ और हाई टेंप्रेचर जैसी चिंताओं से भी मुक्ति देता है.
सस्ते होंगे इलेक्ट्रिक वाहन:
इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत में लिथियम भंडार मिलने से सबसे बड़ा फायदा इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री को होगा, इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की कॉस्ट कम होगी. बैटरी निर्माण में लिथियम की कॉस्टिंग तकरीबन 15 प्रतिशत होती है. ऐसे में यदि भारत लिथियम के की आपूर्ति के लिए विदेशों से आयात पर निर्भरता कम करता है और यहां के लिथियम रिजर्व से आपूर्ति की जाती है तो इसका असर इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत पर भी पड़ेगा. आमतौर पर किसी भी इलेक्ट्रिक वाहन की कुल कीमत में अकेले बैटरी की कॉस्ट तकरीबन 40 से 45 प्रतिशत तक होती है.
अगर हम भारतीय रिजर्व से लिथियम का इस्तेमाल करते हैं तो बैटरी की लागत में 5 प्रतिशत की कमी आ सकती है. हाल ही में जम्मू और कश्मीर में लिथियम रिजर्व पाया गया है. इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री के लिए ये एक बेहतर संकेत है. देश अगले 4 वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए तीसरा सबसे बड़ा बाजार बनने के लिए अच्छी स्थिति में है. हालांकि लिथियम का रिजर्व मिलना और फिर उसे बैटरी सेल के तौर पर विकसित करना ये एक लंबी प्रक्रिया होती है और इस दौरान इसे कई चरणों से होकर गुजरना पड़ता है.
लिथियम क्यों है इतना कीमती:
लिथियम दुनिया की सबसे नर्म और हल्की धातु में से एक है. आसान भाषा में समझें तो ये इतना नर्म होता है कि इसे आसानी चाकू से काटा जा सकता है और ये इतना हल्का होता है कि ये आसानी से पानी पर तैर भी सकता है. इसकी खासियत ये है कि, यह रासायनिक ऊर्जा को संग्रहीत करता है और इसे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है. लिथियम आज घर में हर चार्जेबल इलेक्ट्रॉनिक और बैटरी से चलने वाले गैजेट में मौजूद है. इसी वजह से दुनिया भर में लिथियम की जबरदस्त डिमांड है.
दुनिया भर में भारी मांग के कारण इसे व्हाइट गोल्ड भी कहा जाता है. ग्लोबल मार्केट में एक टन लीथियम की कीमत करीब 57.36 लाख रुपये है. विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक लिथियम की वैश्विक मांग में 500 प्रतिशत की वृद्धि होगी. इस लिहाज से भारत में लिथियम का अपार भण्डार मिलना देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छा संकेत है.
इन देशों में है लिथियम का सबसे बड़ा भंडार:
लिथियम को लेकर सबसे पहले एक बात ये समझना जरूरी है कि, कौन से देशों में लिथियम का सबसे बड़ा भंडार है और कौन सा देश ज्यादा लिथियम का उत्पादन करता है. प्रमुख लिथियम उत्पादक देश निश्चित रूप से बड़ी संख्या में लिथियम कंपनियों का घर हैं. दुनिया के कई टॉप लिथियम उत्पादक भी बड़ा भंडार रखते हैं, और उनके रिजर्व से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन देशों को भविष्य में कितना विकास करना है.
21 मिलियन टन के साथ दुनिया का सबसे बड़ा लिथियम भंडार वर्तमान में बोलिविया देश में है. इसके बाद अर्जेंटीना, चिली और अमेरिका में भी बड़े भंडार हैं. चीन के पास महज 5.1 मिलियन टन लिथियम का भंडार है, बावजूद इसके चीन वैश्विक बाजार में एकाधिकार बनाए हुए है. USA जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार दुनिया के बड़े लिथियम रिजर्व इस प्रकार हैं.
इन देशों में है बड़े लिथियम रिजर्व:
क्रमांक | देश | भंडारण |
1 | बोलीविया | 21 मिलियन टन |
2 | अर्जेंटीना | 20 मिलियन टन |
3 | संयुक्त राज्य अमेरिका | 12 मिलियन टन |
4 | चिली | 11 मिलियन टन |
5 | ऑस्ट्रेलिया | 7.9 मिलियन टन |
6 | चीन | 6.8 मिलियन टन |
7 | जर्मनी | 3.2 मिलियन टन |
8 | कांगो (किंशासा) | 3 मिलियन टन |
9 | कनाडा | 2.9 मिलियन टन |
10 | मेक्सिको | 1.7 मिलियन टन |
भारत को भी अपने कुल लिथियम आयात का 53.76 फीसदी हिस्सा चीन से खरीदना पड़ता है. वर्ष 2020-21 में भारत ने 6,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का लिथियम आयात किया था और इसमें से 3,500 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का लिथियम चीन से खरीदा गया था. ऐसे में जानकारों का मानना है कि राजस्थान में पाए जाने वाले लिथियम के भंडार इतने अधिक हैं, जिससे चीन का एकाधिकार पूरी तरह समाप्त हो सकता है और देश हरित ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बन सकेगा.
क्या राजस्थान में मिला है लिथियम भंडार?
बता दें कि, बीते कल राजस्थान में भी लिथियम भंडार मिलने की ख़बरें आई थी और ये कहा जा रहा था कि, ये रिजर्व भारत में लिथियम की आपूर्ति को तकरीबन 80 प्रतिशत तक पूरा कर सकता है. हालांकि इस रिपोर्ट के मीडिया में आने के बाद जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) ने इसे 'बेसलेस' यानी कि आधारहीन करार दिया है. खबर आने के बाद राजस्थान के मंत्री प्रमोद भाया ने भी कहा था कि " नागौर की डेगाना तहसील में जीएसआई द्वारा किए गए सर्वेक्षण ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यहां पर लिथियम का प्रचुर मात्रा में भंडार है, जो जम्मू और कश्मीर से अधिक है.