कार लेने से पहले हर कोई उसके रंग के पीछे भागता है. किसी को व्हाइट (White) कलर की कार सबसे ज्यादा पसंद आती है, तो किसी को गहरे रंग की कारें ज्यादा भाती हैं. लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि काले रंग (Black Color) की कार को सबसे ज्यादा दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा (Car color and crash risk) रहता है, तो आप हैरान हो जाएंगे. आप सवाल भी करेंगे कि इसके पीछे क्या लॉजिक है?
कार..रंग और खतरा
दरअसल, World of Statistics की रिपोर्ट को मानें तो काले रंग की कार को 47% से अधिक क्रैश होने का खतरा रहता है. जबकि ग्रे रंग की कार में 11%, सिल्वर में 10%, ब्लू और लाल रंग की कार में 7-7 फीसदी क्रैश होने का खतरा रहता है. World of Statistics ने अपने ट्विटर हैंडल इस रिपोर्ट के बारे में जानकारी दी है.
इसके अलावा बताया गया है कि सबसे कम किस रंग के कार सबसे कम क्रैश होने का खतरा रहता है. इसमें सफेद (White) को ऊपर रखा गया है, उसके बाद Yellow, Orange और Gold को स्थान दिया गया है.
आनंद महिंद्रा ने बताया गलत
वहीं World of Statistics की इस रिपोर्ट को शेयर करते हुए महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने इसे सफेद झूठ बताया है. उन्होंने आंकड़े को खारिज करते हुए लिखा है कि इस तरह के झूठ ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया है. आखिर में उन्होंने इस आंकड़े को बिना हाथ-पैर का ठहराते हुए लिखा है- कुछ भी? यानी उन्हें इस रिपोर्ट पर यकीन नहीं है.
What??
— anand mahindra (@anandmahindra) October 13, 2022
Made me think of:
“The origin of the phrase "Lies, damned lies, and statistics" is unclear, but Mark Twain attributed it to Benjamin Disraeli
It’s a phrase describing the persuasive power of statistics to bolster weak arguments”
Or as we would say in Hindi: Kuch bhi? https://t.co/FR6WjoK5Mv
हालांकि हम भी इस रिपोर्ट की पुष्टि नहीं करते हैं. लेकिन एक सच यह भी है कि दुनियाभर में सबसे ज्यादा सफेद रंग की कारों पर भरोसा जताया जाता है. वहीं, भारत में पहली कार खरीदने वाले हर 10 लोगों में से 4 लोग सफेद रंग की कार घर ले आते हैं.
BASF की Color Report 2021 for Automotive OEM Coatings की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 40 फीसदी सफेद रंग की कार पसंद की जाती है. उसके बाद 15 फीसदी ग्रे रंग की कारें बिकती हैं.