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पियानो बनाने वाली एक कंपनी कैसे बनी दुनिया की चहेती टू-व्हीलर ब्रांड, पढ़िये पूरी कहानी

शून्य से शिखर तक सफर तय करने के लिए टोराकुसु को अभी बहुत कुछ करना बाकी था. अंतहीन संघर्षों के बाद, वो Reed Organ (पियानो जैसा वाद्ययंत्र) का निर्माण कर सकें और आगे चलकर उनकी कंपनी दुनिया की सबसे चहेती टू-व्हीलर ब्रांड के तौर पर अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुई.

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पियानो का साज और बाइक के एग्जास्ट की आवाज, दोनों की एक साथ बात करना भले ही बेमेल लगता हो, लेकिन एक संगीत प्रेमी और बाइक लवर के लिए दोनों ही किसी सुरीली धुन से कम नहीं हैं. जैसे किसी गीत के शुरू होने से पहले कानों पर पड़ने वाली उसकी धुन गाने के बोल को आपके जेहन तक पहुंचा देती है, ठीक वैसे ही एक बाइक के एग्जॉस्ट नॉट (साइलेंसर की आवाज) भी सड़क पर उसके आमद की मुनादी जैसा काम करती है.

आप सोच रहे होंगे कि भला आज हम पियानो और बाइक की बात क्यों कर रहे हैं. दरअसल, हम आपको एक ऐसे टू-व्हीलर ब्रांड के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने पहले दुनिया को पियानो की धुन पर नचाया और अब बाइक की सीट पर बैठा कर हवा से बातें कराती है. 

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आज के समय में भले ही बाइक्स के एग्जॉस्ट नॉट को लेकर कोई ख़ास क्रेज देखने को नहीं मिलता है, लेकिन पुराने दौर में तकरीबन हर मोटरसाइकिल से निकलने वाली आवाज ही उसकी पहचान हुआ करती थी. मसलन, रॉयल एनफील्ड, यामहा, हीरो होंडा या फिर राजदूत जैसी कई ऐसी बाइक्स रही हैं जिनको उनके यूनिक साउंड से दूर से ही पहचाना जा सकता था. खैर मुद्दे पर आते हैं... एग्जॉस्ट नॉट पर बात फिर कभी करेंगे. 

इतनी बातें होने के बाद संभव है कि, आप समझ चुके होंगे कि, हम किस ब्रांड की बात कर रहे हैं. यदि आप अब तक नहीं समझें तो बता दें कि, जापान की प्रमुख टू-व्हीलर ब्रांड यामहा (Yamaha) ने ऑटो सेक्टर में अपनी धमक बनाने से पहले पियानो की धुन पर दुनिया को नचाया था. इस ब्रांड का नाम कंपनी के संस्थापक टोराकुसु यामाहा के नाम से आता है, जिन्होंने जापान में पश्चिमी संगीत वाद्ययंत्रों के प्रोडक्शन में अग्रणी भूमिका निभाई थी. 

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रीड ऑर्गन और कंपनी के संस्थापक टोराकुसु यामाहा - Pic: Yamaha Motor
रीड ऑर्गन और कंपनी के संस्थापक टोराकुसु यामाहा - Pic: Yamaha Motor

Reed Organ बनाने से शुरू हुई कंपनी: 

टोराकुसु यामाहा का जन्म 20 मई 1851 को वाकायामा, के की या किशु (Kii or Kishu) प्रांत में हुआ था. ये अपने पिता कोनोसुके यामाहा के तीसरे बेटे थें, इनके पिता किशु डोमेन के शासक परिवार, किशु कबीले के एक सामुराई (जापानी तलवारबाज) होने के साथ ही खगोलशास्त्री भी थें. उन्होंने टोराकुसु को खगोल विज्ञान के बारे में तमाम जानकारियां दी, नतीजतन, टोराकुसु मार्शल आर्ट और केंडो में अपनी रुचि के अलावा, मशीनों और टेक्नोलॉजी के प्रति भी आकर्षित हो गएं.

टोराकुसु को वेस्टर्न साइंस और टेक्नोलॉजी ने शुरू से ही मोहित कर लिया था. उस समय ओसाका (जापान का एक शहर) में लोकप्रियता हासिल कर रही घड़ियों से प्रभावित होकर उन्होंने घड़ीसाज़ी का भी काम शुरू किया और व्यवसाय का अध्ययन करते रहें. समय के साथ, टोराकुसु ने मेडिकल इक्यूपमेंट की मरम्मत करनी भी शुरू कर दी.

बताया जाता है कि, एक बार उन्हें हमामात्सू जिंजो एलीमेंट्री स्कूल में बुलाया गया था. उस वक्त उनसे पूछा गया कि क्या वह Reed Organ (पियानो जैसा वाद्ययंत्र) की मरम्मत कर सकते हैं. टोराकुसु का सहमत होना था कि, यामहा ब्रांड की दिशा में यह पहला कदम साबित हुआ. उन्होनें बेहद कम समय में ही वाद्ययंत्र को ठीक कर दिया. मरम्मत करने के दौरान उन्होनें रीड ऑर्गन का एक ब्लूप्रिंट भी तैयार किया और बाद में उन्होनें खुद का एक प्रोटोटाइप बनाया. 

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Reed Organ का प्रोडक्शन- Pic: Yamaha Motor
Reed Organ का प्रोडक्शन- Pic: Yamaha Motor

कहा जाता है कि, टोराकुसु ने अपने प्रोटोटाइप को कंधे पर ढ़ोकर हकोन की पहाड़ियों को पार करते हुए इसे तत्कालीन संगीत संस्थान (आज का टोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ आर्ट) तक पहुंचाया था. हालाँकि, इस ऑर्गन की खराब ट्यूनिंग के चलते इसकी कड़ी आलोचना की गई थी. शून्य से शिखर तक सफर तय करने के लिए टोराकुसु को अभी बहुत कुछ करना बाकी था इसलिए उन्होनें संगीत और धुनों को बारीकी से सीखना शुरू किया. अंतहीन संघर्षों के बाद, वो आखिरकार एक बेहतर अच्छी धुन देने वाली Reed Organ बनाने में सफल हुएं और यहीं से यामहा का म्यूजिक इक्यूपमेंट की दुनिया में पदार्पण हुआ. 

Yamaha के Logo के पीछे छिपा है कंपनी का राज: 

यामाहा की स्थापना 1887 में एक पियानो और रीड ऑर्गन निर्माता के रूप में टोराकुसु यामाहा द्वारा हमामत्सु में निप्पॉन गक्की (Nippon Gakki) कंपनी लिमिटेड के रूप में की गई थी. कंपनी की उत्पत्ति आज भी ब्रांड के लोगो (Logo) में साफ तौर पर देखी जा सकती है. यदि आप कंपनी के लोगो पर गौर करें तो देख पाएंगे कि इसमें इंटरलॉकिंग ट्यूनिंग फोर्क्स का इस्तेमाल किया गया है. दरअसल, ट्यूनिंग फॉर्क संगीत वाद्ययंत्र को ट्यून करने वाला एक उपकरण होता है. इसका आविष्कार मशहूर ट्रम्पेट वादक जॉन शोर ने किया था. 

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कंपनी ने इन ट्यून फॉर्क को अपने लोगो में इस्तेमाल करते हुए कुछ इस तरह परिभाषित किया है कि, "ये ट्यूनिंग फॉर्क कोऑपरेटिव रिलेशन का प्रतिनिधित्व करते हैं जो हमारे व्यवसाय के तीन स्तंभों के रूप में - टेक्नोलॉजी, प्रोडक्शन और सेल्स को जोड़ता है. इसके अलावा ये फॉर्क संगीत की दुनिया के तीन आवश्यक प्रतीक चिन्हों को भी परिलक्षित करते हैं, जैसे माधुर्य (Melody), सामंजस्य (Harmony) और लय (Rhythm). 

यामहा का लोगो और ट्यूनिंग फॉर्क.
यामहा का लोगो और ट्यूनिंग फॉर्क.

साल 1916 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 64 वर्ष की आयु में टोराकुसु यामाहा का निधन हो गया. हालांकि, इससे ब्रांड को एक झटका जरूर लगा था, लेकिन कंपनी अनवरत आगे बढ़ती रही. जब द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ, तो निप्पॉन गक्की, जो कि वाद्ययंत्र की फैक्ट्री थी उसने जीरो लड़ाकू विमानों, ईंधन टैंकों और विंग भागों के लिए प्रोपेलर का उत्पादन किया. इस दौरान, निप्पॉन गक्की को 1945 में संगीत वाद्ययंत्र बनाना पूरी तरह से बंद करना पड़ा था. आपको बता दें कि, ये इकलौती फैक्ट्री थी जो युद्ध के दौरान अमेरिकी बम विस्फोटों से बच पाई थी. खैर, 1947 में मित्र देशों द्वारा नागरिक व्यापार को मंजूरी दिए जाने के बाद, निप्पॉन गक्की ने एक बार फिर हारमोनिका का निर्यात करना शुरू किया. 

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द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, कंपनी के अध्यक्ष टोमिको जेनिची कावाकामी ने मोटरसाइकिल के निर्माण के लिए युद्ध के बाद बचे हुए मशीनरी के अवशेषों और तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया. कंपनी ने YA-1 (उर्फ अकाटोम्बो, "रेड ड्रैगनफ्लाई"), का निर्माण किया जिसका नाम संस्थापक के सम्मान में रखा गया था. यह एक 125cc, सिंगल सिलेंडर, टू-स्ट्रोक, स्ट्रीट बाइक थी जिसे जर्मन DKW RT125 के पैटर्न पर बनाया गया था. साल 1959 में, YA-1 की जबरदस्त सफलता के बाद टू-व्हीलर बिजनेस में एक नए दिग्गज की एंट्री हुई और यामहा मोटर कंपनी प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना हुई. इस बाइक ने उस दौर में मशहूर माउंट फुज़ी रेस में हिस्सा लिया और जीत दर्ज की. 

मोटरसाइकिल की दुनिया में Yamaha की दस्तक: 

यामाहा के मोटरसाइकिल डिवीजन का नेतृत्व जिनीची कावाकामी कर रहे थें. कंपनी के पहले बाइक YA-1 ने माउंट फ़ूजी एसेंट में न केवल 125cc वर्ग में जीत दर्ज की थी, बल्कि उसी वर्ष ऑल जापान ऑटोबाइक एंड्योरेंस रोड रेस में पहले, दूसरे और तीसरे स्थान के साथ पोडियम पर कब्जा कर लिया था. कंपनी अपनी दमदार उपस्थिति से उत्साहित थी, रेसिंग में शुरुआती सफलता ने यामाहा के लिए टोन सेट कर दिया. 

यामाहा ने 1956 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा शुरू की जब उन्होंने फिर से YA-1 के साथ कैटालिना ग्रैंड प्रिक्स में प्रवेश किया, जिसमें वे छठे स्थान पर रहीं. YA-1 के बाद 1957 का YA-2 मॉडल आया, ये भी 125cc इंजन क्षमता वाली टू-स्ट्रोक बाइक थी, लेकिन इसका फ्रेम और सस्पेंशन पिछले मॉडल के मुकाबले और भी बेहतर था. 
 

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यामहा की पहली बाइक YA-1: Pic- Yamaha Motor
यामहा की पहली बाइक YA-1: Pic- Yamaha Motor

इसके बाद कंपनी ने 250cc सेग्मेंट में अपनी नई बाइक YD-1 को पेश किया, जो कि काफी हद तक YA-2 जैसी ही थी, लेकिन इसका इंजन ज्यादा पावरफुल था. इसका परफॉर्मेंस वर्जन YDS-1 के तौर पर पेश किया, ये जापान की पहली मोटरसाइकिल थी जो कि 5-स्पीड ट्रांसमिशन गियरबॉक्स से लैस थी. इसी दौरान यामहा ने समुद्री जहाजों में इस्तेमाल होने वाला मरीन इंजन भी पेश किया. 

रेसिंग की दुनिया में यामहा धीमे-धीमे एक बड़ा नाम बनने की ओर थी. 1963 में बेल्जियम जीपी में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में यामहा ने अपनी पहली जीत का स्वाद चखा. जहां कंपनी की बाइक ने 250cc कैटेगरी में जीत हासिल की. इसके बाद यामहा ने पंख फैलाना शुरू किया और देशी सरजमीं से उपर उड़कर विदेशी धरती पर परचम लहराने के लिए आगे बढ़ गई.  साल 1964 में थाईलैंड और 1968 में नीदरलैंड में कंपनी ने अपने पहली अंतरराष्ट्रीय सहायक कंपनियों की स्थापना की.

70 का दशक और टू-स्ट्रोक का जलवा:

1969 की शुरुआत में, यामाहा ने ट्विन-सिलेंडर आरडी (RD) और सिंगल-सिलेंडर आरएस (RS) फैमिली की बाइक्स की शुरुआत की इसके लिए कंपनी ने अपने पहले के पिस्टन-पोर्टेड डिज़ाइनों में रीड-वाल्व इंडक्शन को जोड़ा, जिसमें कई प्रकार की क्षमताएँ थीं. हालांकि उस दौर में एक अफवाह थी कि "आरडी" का अर्थ "रेस डेवलप्ड" है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं था. वास्तव में, "आर" का अर्थ रीड वाल्व और "डी" का मतलब था ट्विन (या डबल) सिलेंडर मॉडल और "एस" सिंगल-सिलेंडर मॉडल का संकेत देता था. RD फैमिली को 1970 और 1980 के दशक के दौरान विकसित किया गया था, ठोस पहिये, वाटर-कूलिंग, YPVS, और अन्य नई तकनीक से जैस इस फैमिली की बाइक्स काफी मशहूर हुईं. 

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भारत में यामहा की एंट्री: 

अस्सी के दशक का मध्यकाल था और भारत को आजाद हुए तकरीबन 38 साल हो चुके थें. हाल ही में देश को अपनी पहली कार के तौर पर मारुति 800 मिली थी, जिसे साल 1983 में लॉन्च किया गया था. यामाहा मोटर ने 1985 में एक संयुक्त उद्यम (Joint-Venture) के रूप में भारत में अपनी शुरुआत की. RS और RD फैमिली की बाइक्स का प्रोडक्शन कई वर्षों तक यामाहा और उसके बाद भारत में एस्कॉर्ट्स लिमिटेड द्वारा भारी संख्या में किया गया. 

Yamaha RD 350 - Pic: India Today
Yamaha RD 350 - Pic: India Today

Yamaha RD350:

यामाहा RD350 एक टू-स्ट्रोक मोटरसाइकिल थी जिसे 1991 तक भारत में एस्कॉर्ट्स ग्रुप द्वारा निर्मित किया गया था. RD350 को यामाहा जापान से लाइसेंस के तहत घरेलू बाजार में राजदूत 350 के रूप में मार्केट किया गया था. इस बाइक ने भारत में किसी राजदूत की ही तरह राज किया, हालांकि 1991 तक बाजार में कई प्रतिद्वंदी आ चुके थें और सरकार द्वारा लगाए गए सख्त उत्सर्जन मानदंडों के अलावा लो माइलेज के चलते इस बाइक का प्रोडक्शन बंद करना पड़ा.

जब इस बाइक को बाजार में लॉन्च किया गया था उस वक्त इसकी कीमत 18,000 रुपये रखी गई थी, जाहिर है अस्सी के दशक के हिसाब से ये कीमत काफी ज्यादा थी. प्रोडक्शन बंद होने तक इस बाइक की कीमत 30,000 रुपये तक पहुंच गई थी. 

इंडियन-स्पेक Yamaha RD350 में कंपनी ने 347 cc की क्षमता का, एयर-कूल्ड, टू-स्ट्रोक, पैरेलल ट्विन-सिलेंडर इंजन इस्तेमाल किया था. जो अधिकतम 30.5 bhp की पावर और 32 Nm का पीक टॉर्क जेनरेट करता था. इस बाइक की ख़ास बात ये थी कि, इसमें 6-स्पीड गियरबॉक्स दिया गया था. अपने दौर में ये बाइक काफी मशहूर रही है और इसका पावर आउटपुट आज के रॉयल एनफील्ड की 350cc की बाइक्स के मुकाबले कहीं ज्यादा था. 

Yamaha RX100: 

अस्सी के दशक में देश के युवाओं को परफॉर्मेंस बाइकिंग का स्वाद यामहा ने चखाया था. साल 1985 में कंपनी ने अपनी एक और बाइक Yamaha RX100 को लॉन्च किया था. इस बाइक ने बाजार में आते ही अपने लिए एक अलग खरीदारों और प्रसंशकों का नया वर्ग खड़ा कर दिया. ये वो दौर था जब सिनेमा के रूपहले पर्दे पर एंग्री यंग मैन और गर्दिशों से जूझते हुए अभिनेता के हीरो बनने की कहानी गढ़ी जा रही थी. इस बाइक का बॉलीवुड की फिल्मों में भी खूब इस्तेमाल किया गया. आलम ये था कि, पर्दे पर बाइक चाहे जो भी हो लेकिन बैकग्राउंड से आने वाली आवाज यामहा आरएक्स 100 की हुआ करती थी. 

भारत में Yamaha RX100 का प्रोडक्शन. Pic: India Today
भारत में Yamaha RX100 का प्रोडक्शन. Pic: India Today

वजन में हल्की और हरफनमौला बाइक के तौर पर RX100 ने खूब सुर्खियां बटोरी. इस बाइक में कंपनी ने महज 98 cc की क्षमता का टू-स्ट्रोक, सिंगल सिलिंडर इंजन का इस्तेमाल किया था. जो कि 11 bhp की पावर और 10.39 Nm का टॉर्क जेनरेट करता था. इस इंजन को 4-स्पीड गियरबॉक्स से जोड़ा गया था. 103 किलोग्राम की ये बाइक 100 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ती थी. पिक-अप के मामले में उस दौर में इस बाइक का दूसरा कोई सानी नहीं था. 

Yamaha RX135: 

यामहा ने साल 1997 में आरएक्स 100 के रिप्लेसमेंट के तौर पर बाजार में अपनी नई RX135 को लॉन्च किया, जिसका प्रोडक्शन और बिक्री साल 2005 तक किया गया. ये बाइक दो अलग-अलग ट्रांसमिशन गियरबॉक्स विकल्प (4-स्पीड और 5-स्पीड) में उपलब्ध थी. कंपनी ने इसमें 132 सीसी की क्षमता का सिंगल-सिलेंडर, इंडक्शन और रीड वाल्व के साथ टू-स्ट्रोक इंजन इस्तेमाल किया था. इसका 5-स्पीड वेरिएंट 14 बीएचपी की पावर और 12.25 एनएम का टार्क जेनरेट करता था, जबकि 4-स्पीड वेरिएंट 12 बीएचपी की पावर और 10 एनएम का पीक टॉर्क जेनरेट करता था. हालांकि Euro 3 गाइडलाइंस के आने के बाद इसका प्रोडक्शन बंद करना पड़ा. 

Yamaha RX-Z: 

समय आगे बढ़ रहा था और एक्कीसवीं सदी के मुहाने पर खड़ा देश नए परिवर्तन के दौर से गुजर रहा था. अब कम्यूटर सेग्मेंट की बाइक्स में भी नए प्रयोग देखने को मिलने लगे थें. इसी के मद्देनजर यामहा ने भी अपनी RX-Z को लॉन्च किया जो कि RX135 का ही स्पोर्टी वर्जन था. इसमें कुछ नए स्टायलिंग को जोड़ा गया था, इस बाइक में बिकनी फेयरिंग, इंजन काउल, नए डिज़ाइन का फ्यूल टैंक और उंचा उठा हुआ टेल सेक्शन देखने को मिला था. इसकी टॉप स्पीड 120 किलोमीटर प्रतिघंटा थी. इसमें RX135 का ही इंजन इस्तेमाल किया गया था और ये केवल 5-स्पीड ट्रांसमिशन के साथ आती थी. इस बाइक के फ्रंट व्हील में डिस्क ब्रेक भी दिया गया था. 

Yamaha YBX: 

ये कंपनी की तरफ से पेश की जाने वाली पहली बाइक थी, जिसमें 4-स्ट्रोक इंजन का इस्तेमाल किया गया था. कंपनी ने साल 1998 में इस बाइक को भारतीय बाजार में लॉन्च किया था. इसके कई बार अपडेट भी किया गया, इसमें नए जीपी ग्राफिक्स दिए गए गए थें और ये बाइक आकर्षक टेकोमीटर, बड़े टायर और नए इंडिकेटर्स से लैस थी. 4 स्पीड ट्रांसमिशन गियरबॉक्स से लैस इस बाइक में कंपनी ने 123.7 cc की क्षमता का सिंगल सिलिंडर इंजन का इस्तेमाल किया था जो कि 11 बीएचपी की पावर और 11 एनएम का टॉर्क जेनरेट करता था. इसके बाद यामहा इंडिया ने बाजार में Libero, Crux और क्रूजर बाइक के तौर पर Enticer जैसे कई मॉडलों को पेश किया. 

यामहा पिछले 4 दशकों से भारतीय बाजार में एक से बढ़कर एक कई शानदार मॉडलों को पेश कर चुकी है. अब कंपनी के पोर्टफोलियो में आर1 सीरीज, एफजी सीरीज़ की बाइक्स से लेकर ऐरोक्स, रे और फैशिनो जैसे स्कूटरों का एक बड़ा काफिला खड़ा है. फिलहाल इंडियन मार्केट में 100 सीसी सेग्मेंट में कंपनी का कोई मॉडल मौजूद नहीं है, लेकिन आज भी गाहें-बगाहें RX100 के फिर से लॉन्च होने की चर्चाएं उठती रहती हैं. 

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