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न पंचर की टेंशन और न ही हवा निकलने का डर! आ रहे हैं ये 'Airless' टायर्स, जानिए पूरी डिटेल

एरयलेस टायर्स (Airless Tyres) के कॉन्सेप्ट को लंबे समय पहले पेश किया गया था. पैसेंजर कारों के लिए सबसे पहले मिशेलिन (Michelin) ने इस कॉन्सेप्ट को प्रदर्शित किया था. कुछ अन्य टायर निर्माता कंपनियां भी एयरलेस टायरों के निर्माण पर काम कर रही हैं, जिनमें ब्रिजस्टोन (Bridgestone) और टोयो (Toyo) प्रमुख हैं.

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Airless Tyres
Airless Tyres

जब आप ड्राइव पर निकलते हैं तो कार के टायरों का पंचर हो जाना या उनकी हवा निकलना सबसे बड़ी समस्या बन जाती है. ये मामला और भी मुश्किलों भरा हो जाता है जब आप किसी लांग ड्राइव पर हो और ऐसे में आपके कार के टायर धोखा दे जाएं. हालांकि ड्राइव पर जाने से पहले एक स्पेयर व्हील (आम भाषा में स्टेपनी) रखने की सलाह दी जाती है. लेकिन बहुत जल्द ही टायरों के पंचर होने या उनके हवा निकलने जैसी परेशानियों से मुक्ति मिलने वाली है. दुनिया की दिग्गज टायर निर्माता कंपनियां जल्द ही बाजार में एयरलेस (Airless) टायर्स को लॉन्च करने की योजना बना रही हैं. 

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Airless टायर्स का कॉन्सेप्ट: 

सबसे पहले तो आपको बता दें कि, नाम के अनुरूप ही इन टायरों में हवा भरने की जरूरत नहीं होती है. एयरलेस टायर्स का कॉन्सेप्ट काफी सालों पहले दिखाया गया था. फ्रांसिसी टायर निर्माता कंपनी मिशेलिन (Michelin) से लेकर जापानी कंपनी ब्रिजस्टोन (Bridgestone) जैसे कई ब्रांड्स ने एयरलेस टायर्स के कॉन्सेप्ट को दुनिया के सामने पेश किया था और अब ये ब्रांड्स अपने इस कान्सेप्ट को मूर्तिरूप देने के लिए तेजी से काम कर रही हैं. मिशेलिन ने बीते जनवरी महीने में एयरलेस टायर्स के प्रोटोटाइप की टेस्टिंग भी सिंगापुर में शुरू कर दी है, इस साल के अंत तक इन टायरों का इस्तेमाल 50 वैन में किया जाएगा. 

Airless Tyre
Airless Tyre

कैसे होते हैं Airless टायर्स: 

टायर बिल्कुल वैसे ही होते हैं जैसे कि इनका नाम है. इनमें सामान्य टायरों की तरह रबर के ट्रेड्स होते हैं, लेकिन ये ट्रेड्स एक रिंग पर लगे होते हैं और प्लास्टिक या रबर के स्पोक्स द्वारा इन्हें सपोर्ट किया जाता है. ये स्पोक्स विजिबल होते हैं और इनमें हवा भरने की कोई जरूरत नहीं होती है, इसलिए इनके पंचर (Puncture) होने का भी खतरा नहीं होता है. दरअसल, इन टायर्स में दिए जाने वाले ये स्पोक्स ही हवा का काम करते हैं और टायर को भार वहन करने की क्षमता प्रदान करते हैं. 

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ऐसा नहीं है कि, ये कॉन्सेप्ट पूरी तरह से नया है इस तरह के पंचर-प्रूफ टायर सिस्टम का इस्तेमाल पहले सैन्य वाहनों और भारी मशीनरी में किया जाता था. घरेलू वाहनों के लिए, इस कॉन्सेप्ट को पहली बार 2005 में मिशेलिन द्वारा पेश किया गया था. मिशेलिन के एयरलेस टायर को 'ट्वील' (Tweel) नाम दिया गया था, यह शब्द दो शब्दों का संयोजन है: टायर और व्हील. फिलहाल कंपनी ट्वील की टेस्टिंग के लिए जनरल मोटर्स के साथ काम कर रही है.

एयरलेस टायरों का डिज़ाइन अलग-अलग निर्माताओं के अनुसार भिन्न हो सकता है. हालाँकि, कोर डिज़ाइन में एक इनर हब होता है जो कि रबर स्पोक्स और आउटलर लेयर के साथ जुड़ा होता है. इनर हब टायर का एक ठोस हिस्सा हो है जो कार एक्सल से जोड़ा जाता है. यह इनर हब रबर स्पोक्स से लगा होता है, ये रिब सस्पेंशन सिस्टम जो वाहन को भार वहन करने के लिए आवश्यक कुशन प्रदान करता है. अंत में, बाहरी परत एक रबर शीट दी जाती है जो सतह (सड़क) के संपर्क में आती है. यह शीट किसी भी मौसम (गर्मी और सर्दियों) में इस्तेमाल किए जाने वाले टायर के समान होती हैं. यह टायर शीट रोलिंग फ्रिक्शन के कारण टायर को टूट-फूट से बचाती है.

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Airless Tyre
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कैसे काम करते हैं एयरलेस टायर्स:

दिलचस्प बात ये है कि, ये स्पोक्स काफी लचीले होते हैं और सरफेस के अनुसार मुड़ सकते हैं. जब ये स्पोक्स मुड़ते हैं तो स्पोक्स प्रेसर ऑब्जर्व करता है, ये ठीक वैसा ही होता है जैसा कि सामान्य टायरों में देखने को मिलता है. इन टायरों को अलग-अलग तरह के स्पोक्स के साथ तैयार किया जाता है, बेहतर हैंडलिंग और राइड कम्फर्ट के लिए लेटरल स्टिफनेस को भी कस्टमाइज किया जा सकता है. 
 
एयरलेस टायर्स के फायदे:

  • इन टायरों के इस्तेमाल से पंचर या हवा निकलने का डर नहीं होता है.
  • कार में स्पेयर टायर रखने के झंझट से मुक्ति मिलेगी.
  • भारी वाहनों में इस्तेमाल करने से पैसों की बचत होगी. 
  • कार्बनडाई ऑक्साइड उत्सर्जन में भी कमी होगी. 
  • पर्यावरण के लिए भी काफी फायदेमंद होंगे ये टायर्स.
  • बार-बार टायरों को बदलना भी नहीं पड़ेगा. 
  • बेहतर टायर और ग्रिप के चलते सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी. 

मिशेलिन और ब्रिजस्टोन के अलावा टोयो भी एक ब्रांड है जो कि एयरलेस टायर्स पर लंबे समय से काम कर रहा है. टोयो ने साल 2006 में एयरलेस टायर्स के कॉन्सेप्ट को पेश किया था. इन टायरों में कार्बन-फाइबर-रिइंफोर्सड प्लास्टिक स्पोक्स का इस्तेमाल किया गया है. 

वाहनों में कब इस्तेमाल होंगे ये टायर: 

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चूकिं एयरलेस टायर्स की मैन्चुफैक्चरिंग सामान्य टायरों से बिल्कुल भिन्न है इसलिए इनके निर्माण के लिए भारी निवेश की जरूरत होगी. इसके अलावा अभी ये टेस्टिंग मोड में हैं. जहां तक मिशेलिन टायर्स की बात है तो संभव है कि इस साल के अंत तक इनका इस्तेमाल सिंगापुर में 50 वैनों में किया जाए, टेस्टिंग पूरी होने के बाद इनके परफॉर्मेंस को देखते हुए ही इनका इस्तेमाल पैसेंजर कारों में किया जाएगा. हालांकि इन टायर्स के लिए अलग-अलग देश भिन्न नियम भी बना सकते हैं. 

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