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ओला-Uber की भी हालत पतली तो ऑटो सेक्‍टर में सुस्ती के लिए जिम्‍मेदार कैसे?

देश की ऑटो इंडस्‍ट्री आर्थिक सुस्‍ती के दौर से गुजर रही है. वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सुस्‍ती के लिए ओला और उबर जैसी टैक्सी एग्रीगेटर्स को जिम्मेदार बताया है.

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ओला-Uber की भी हालत पतली
ओला-Uber की भी हालत पतली

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देश में आर्थिक सुस्‍ती का माह‍ौल है. इस सुस्‍ती का सबसे ज्‍यादा असर ऑटो इंडस्‍ट्री पर देखने को मिल रहा है. बीते 10 महीने से इस इंडस्‍ट्री में बिक्री थम सी गई है. इस वजह से ऑटो कंपनियों ने प्रोडक्‍शन भी कम कर दी है. इस बीच, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऑटो इंडस्ट्री में सुस्ती के लिए ओला और उबर जैसी टैक्सी एग्रीगेटर्स को जिम्मेदार बताया है.

वित्त मंत्री ने क्‍या कहा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आजकल लोग ओला-उबर का उपयोग करना पसंद करते हैं. वित्त मंत्री ने कहा, ''ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर बीएस6 और लोगों की सोच में आए बदलाव का असर पड़ रहा है, लोग अब गाड़ी खरीदने की बजाय ओला या उबर को तरजीह दे रहे हैं.'' वित्त मंत्री के इस बयान पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. लेकिन सवाल है कि अगर लोगों का रुझान ओला या उबर की ओर बढ़ा है तो इन कंपनियों की हालत कैसी है. आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में..

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लंबे समय से घाटे में ओला

अगर ओला की बात करें तो यह लंबे समय से घाटा में चल रही है. न्‍यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक वित्त वर्ष 2018 में ओला को 2,842.2 करोड़ रुपये का नेट लॉस यानी नुकसान हुआ है. इससे पहले के वित्त वर्ष में ओला को 4,897.8 करोड़ रुपये का नेट लॉस हुआ था. हालांकि वित्त वर्ष 2018 में कंपनी के रेवेन्‍यू में 61 फीसदी का इजाफा हुआ और यह बढ़कर 1,380.7 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. हालांकि दुनियाभर में नुकसान झेल रही अमेरिका की कंपनी उबर को मार्च 2018 में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान भारत में मामूली मुनाफा हुआ है. इस साल अगस्‍त महीने में उबर को अब तक का सबसे बड़ा तिमाही नुकसान हुआ है. यहां बता दें कि ओला और उबर इंडिया के ताजा आंकड़े अभी जारी नहीं किए गए हैं.

ग्रोथ रेट में आई सुस्‍ती

बीते जून महीने में इकोनॉमिक्‍स टाइम्‍स में एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि ओला और उबर की ग्रोथ रेट सुस्त पड़ गई है. तब रिपोर्ट में बताया गया था कि 6 महीनों के दौरान ओला और उबर के डेली राइड्स में सिर्फ 4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. पहले डेली राइड्स 35 लाख था जो अब करीब 36.5 लाख पर है. ओला और उबर के बिजनेस की गति धीमी पड़ने का एक अन्य संकेत कमर्श‍ियल व्हीकल रजिस्ट्रेशन से मिल रहा है. उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में 2017-18 में ओला और उबर इंडिया के लिए काम करने वाली 66 हजार 683 टूरिस्ट कैब रजिस्टर्ड हुई थी, लेकिन यह संख्या 2018-19 में घटकर 24 हजार 386 पर आ गई.

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बता दें कि ऑटो सेक्टर में मंदी की वजह से घरेलू बाजार में अगस्त में वाहनों की बिक्री में 23.55 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. ऐसी गिरावट इससे पहले साल 2000 के दिसंबर में देखने को मिली, जब बिक्री में 21.81 फीसदी की गिरावट आई थी.

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