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कहीं अपनी गाड़ी की वजह से न बन जाएं बड़ी वारदात का संदिग्ध! RC ट्रांसफर बेहद जरूरी, जानिए प्रकिया

यदि आप अपनी पुरानी कार या बाइक को किसी दूसरे के हाथों बेच रहे हैं तो इस स्थिति में समय पर व्हीकल रजिट्रेशन ट्रांसफर करवाना बेहद जरूरी है. आमतौर पर ऐसे मामले देखे जाते हैं, जिनमें वाहन स्वामित्व हस्तांतरित (Transfer) नहीं किया जाता है और ऐसे में वाहन मालिक मुश्किल में पड़ जाते हैं.

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सांकेतिक तस्वीर: Traffic Police
सांकेतिक तस्वीर: Traffic Police

पुराने वाहनों की खरीद फरोख्त करते वक्त दस्तावेजों का दुरुस्त रहना बेहद ही जरूरी है, साथ ही व्हीकल रजिस्ट्रेशन के ट्रांसफर होने की प्रक्रिया का संपन्न होना भी उतना ही आवश्यक है. यदि आप भी अपने पुराने वाहन को बेच रहे हैं तो इस बात की तस्दीक जरूर कर लें कि वाहन का रजिस्ट्रेशन पेपर नए खरीदार के नाम से ट्रांसफर हो जाएं. यदि वाहन के दस्तावेज पर नए खरीदार का नाम दर्ज नहीं होता है तो आप मुश्किल में पड़ सकते हैं, यह भी संभव है कि आप अपने पुराने वाहन के चलते किसी बड़ी वारदात के संदिग्ध न बन जाएं. 

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जरूरी है RC ट्रांसफर: 

यदि आप अपने पुराने वाहन को बेचते हैं तो रजिस्ट्रेशन पेपर नए वाहन खरीदारी के नाम से ट्रांसफर होना बेहद ही जरूरी है. अगर आप वाहन को किसी यूज़्ड व्हीकल का बिजनेस करने वाली फर्म को बेचते हैं तो ट्रांसफर की पूरी प्रक्रिया वो स्वयं ही संपन्न करवाते हैं, लेकिन यदि आप खुद ही यानी कि वन-टू-वन वाहन को किसी के हाथों बेचते हैं तो रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर के लिए आपको खुद ही पहल करनी होगी. आमतौर पर ऐसे मामले सामने आते रहे हैं जिनमें पाया गया है कि पुराने वाहन के मालिक ने अपने वाहन को बेच दिया था लेकिन रजिस्ट्रेशन पेपर ट्रांसफर नहीं हुए थें. बाद में उक्त वाहन का इस्तेमाल किसी बड़ी वारदात में किया गया और ऐसी स्थिति में पुराना वाहन मालिक ही संदेह के दायरे में आ जाता है. 

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इन डॉक्युमेंट्स की होगी जरूरत: 

  • फॉर्म- 29
  • फॉर्म- 30
  • रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट
  • व्हीकल इंश्योरेंस सर्टिफिकेट
  • पॉल्यूशन सर्टिफिकेट
  • पैन कार्ड 
  • चेसिस और इंजन पेंसिल प्रिंट
  • वाहन खरीदार का बर्थ सर्टिफिकेट
  • एड्रेस प्रूफ
  • आर.सी. बुक
  • पासपोर्ट साइज फोटो
  • टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट
  • रजिस्ट्रेशन अथॉर्टी की एनओसी

क्यों जरूरी हैं ये दस्तावेज: 

सामान्य डॉक्युमेंट्स के बारे में तो आप समझ ही गए होंगे, लेकिन फॉर्म को लेकर आपको बता दें कि, फॉर्म 28 - स्वामित्व के हस्तांतरण के लिए (एनओसी) के लिए जमा करना होता है. जबिक फॉर्म 29 का इस्तेमाल स्वामित्व के हस्तांतरण की सूचना के लिए किया जाता है. वहीं फॉर्म 30 - स्वामित्व की सूचना और हस्तांतरण दोनों के लिए किया जाता है. इसके अलावा यदि वाहन लोन पर लिया गया है तो इस स्थिति में वाहन मालिक को बैंक से एक अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त करना होता है जिसके लिए फॉर्म 35 - जमा करना होता है. ये एनओसी इस बात का प्रमाण होती है कि, उक्त वाहन पर बैंक की तरफ वाहन मालिक की अब कोई भी देनदारी नहीं है.

सांकेतिक तस्वीर: Vehicle Registration Transfer: Pic- Getty Images
सांकेतिक तस्वीर: Vehicle Registration Transfer: Pic- Getty Images

सामान्य बिक्री के मामले में व्हीकल रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर: 

जब कोई पुराना वाहन बेचा जाता है, तो पिछले रजिस्टर्ड मालिक के स्थान पर नए खरीदार का नाम पंजीकृत मालिक के रूप में दर्ज किया जाता है और इस प्रक्रिया को स्वामित्व के हस्तांतरण के रूप में जाना जाता है. हालांकि इसके लिए स्थितियां अलग-अलग हो सकती हैं, मसलन एक ही RTO के दायरे में खरीद-फरोख्त हो रही हो या फिर, दो अलग-अलग आरटीओ या फिर दो अलग-अगल राज्यों में रजिस्टर्ड वाहनों का रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर करना हो. हर स्थिति में नियम थोड़े बदल जाते हैं. 

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एक ही RTO में हो ट्रांसफर: 

यदि वाहन का रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर एक ही आरटीओ के दायरे में हो, यान कि किसी भी वाहन को एक ही आरटीओ में खरीदा या बेचा जा रहा है तो विक्रेता और खरीदार को फॉर्म 29 और फॉर्म 30 उक्त आरटीओ में जमा करने होंगे. इसके अलावा यदि वाहन लोन पर लिया गया है जो उस स्थिति में वाहन मालिक को बैंक से एक नॉन ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) के साथ फॉर्म 35 भी जमा करना होगा.

अलग-अलग RTO में ट्रांसफर: 

अगर वाहन का रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर एक ही राज्य के दो अलग-अलग RTO के बीच किया जा रहा है तो वाहन फॉर्म 28, फॉर्म 29 और फॉर्म 30 जमा करना होगा. इसके अलावा यदि वाहन वित्तपोषित है तो आपको बैंक से एनओसी लेकर फॉर्म 35 भी जमा करना होगा. 

 

सांकेतिक तस्वीर: Vehicle Registration Transfer: Pic- Getty Images
सांकेतिक तस्वीर: Vehicle Registration Transfer: Pic- Getty Images

अलग-अलग राज्यों में रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर: 

यदि वाहन का रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर दो अलग-अलग राज्यों के बीच हो रहा तो इस दशा में वाहन मालिक और खरीदार दोनों को फॉर्म 28, फॉर्म 29 और फॉर्म 30 पर हस्ताक्षर कर आरटीओ में जमा करना होगा. आरटीओ से एक NOC मिलेगी जिसे फॉर्म 29 और फॉर्म 30 के साथ वाहन खरीदने वाले के आरटीओ में जमा करना होगा. इसके अलावा वाहन को दूसरे राज्य में रजिस्टर करने से पहले आरटीओ को रोड टैक्स का भुगतान करना होगा. यदि वाहन वित्तपोषित है तो बैंक से प्राप्त एनओसी के साथ फॉर्म 35 भी जमा करना होगा. 
 
वाहन मालिक की मृत्यु होने पर ट्रांसफर: 

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जब किसी वाहन के पंजीकृत मालिक की मृत्यु हो जाती है, तो स्वामित्व का हस्तांतरण मृतक पंजीकृत मालिक के कानूनी उत्तराधिकारियों के पक्ष में किया जाता है. यदि उक्त वाहन मालिक ने किसी को नॉमिनी बनाया हो. जब मोटर वाहन के मालिक की मृत्यु हो जाती है, तो जिस व्यक्ति के नाम से वाहन का रजिस्ट्रेशन पेपर ट्रांसफर कराया जाना होता है उसे तीन महीने यानी कि 90 दिनों के भीतर ही व्हीकल रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर करवाना होता है. इसके पूर्व जहां ऐसे व्यक्ति के पास वाहन मालिक की मृत्यु के तीस दिनों के भीतर ही मालिक की मृत्यु की घटना और वाहन के उपयोग करने के अपने इरादे के बारे में रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी को सूचित करना होता है. इसके लिए तीन महीने की अवधि के भीतर फॉर्म 31 में आवेदन करना होगा और तय शुल्क जमा करना होगा. 

सार्वजनिक नीलामी में खरीदे गए वाहनों का रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर: 

जब एक वाहन को सार्वजनिक नीलामी में बेचा जाता है, तो पिछले पंजीकृत मालिक के स्थान पर खरीदार का नाम पंजीकृत मालिक के रूप में दर्ज किया जाता है. जिस व्यक्ति ने केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा या उसकी ओर से आयोजित एक सार्वजनिक नीलामी में वाहन खरीदा या खरीदा है, उसे पंजीकरण प्राधिकरण (रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी) में वाहन का कब्जा लेने के तीस दिनों के भीतर फॉर्म 32 में आवेदन करना होगा. इसके लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 के नियम 81 में बताए गए उचित शुल्क और कर का भुगतान करना होगा. 

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