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जानें, कैसी है मारुति की बिना ‘क्लच’ वाली कार

लोगों को इंतज़ार था कॉम्पेक्ट एसयूवी ‘एक्स ए-अल्फ़ा’ का. वह कार, जिसे मारुति सुजुकी ने दिल्ली ऑटो-एक्सपो 2012 में सबसे ज्यादा गर्मजोशी के साथ शो-केस किया था. यह उम्मीदें लगाई जा रही थी कि 2014 के ऑटो-एक्सपो में कंपनी अपने कॉन्सेप्ट आकार को साकार कर दिखाएगी. लेकिन कम्पनी इस प्रोजेक्ट के साथ अब भी लैब टेस्टिंग में जुटी है और इसे समय देना चाहती है.

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मारुति सेलेरियो
मारुति सेलेरियो

लोगों को इंतजार था कॉम्पेक्ट एसयूवी ‘एक्स ए-अल्फ़ा’ का. वह कार, जिसे मारुति सुजुकी ने दिल्ली ऑटो-एक्सपो 2012 में सबसे ज्यादा गर्मजोशी के साथ शो-केस किया था. यह उम्मीदें लगाई जा रही थी कि 2014 के ऑटो-एक्सपो में कंपनी अपने कॉन्सेप्ट आकार को साकार कर दिखाएगी. लेकिन कंपनी इस प्रोजेक्ट के साथ अब भी लैब टेस्टिंग में जुटी है और इसे समय देना चाहती है.

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बहरहाल, ग्रेटर नोएडा में बुधवार को शुरू हुए बारहवें ऑटो-एक्सपो के पहले दिन कंपनी ने अपनी सेडान कार एसएक्स4 का क्रॉस-ओवर वर्जन लॉन्च किया. साथ ही पेश की कॉन्सेप्ट लग्जरी कार ‘शियाज़’. वहीं मोटर शो के दूसरे दिन पर्दा उठाया गया इस साल की मोस्ट अवेटिड हैचबैक कार सेलेरियो पर से. यह पहली देसी सेमी-ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन (बिना क्लच) वाली कार है, जिसके बेसिक मॉडल की कीमत 4 लाख 29 हजार रुपये रखी गई है.

ए-वन प्लेटफॉर्म पर बनी सेलेरिओ
पहला रफ स्केच बनाए जाने से लेकर फाइनल प्रारूप तय होने तक, कंपनी ने यह सुनिश्चित कर रखा था कि वह अपनी अगली हैचबैक कार को एग्रेसिव लुक देगी. मसलन, लॉन्च होते ही इस नई कार को मार्केट से तो टक्कर लेनी ही थी. साथ ही मारुति प्रोफाइल के दो पुराने मॉडलों, ए-स्टार और एस्टिलो को रिप्लेस करने की ज़िम्मेदारी भी थी. ऐसे में कंपनी ने अपने ए-वन प्लेटफोर्म की तर्ज पर यह थर्ड जेनेरेशन मॉडल तैयार किया है.

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सेलेरियो में कैबिन स्पेस अच्छा है. रियर लुक, बैक लाइट और बनावट के मोड़-तोड़ से यह कुछ-कुछ मारुति ऑल्टो-800 जैसी है. चूंकि इसकी सीधी टक्कर ह्युंडाई आई-10 ग्रेंड से है और लम्बाई उससे कम है. कंपनी को इसकी लम्बाई जरा बढ़ानी चाहिए थी. गौरतलब है कि इसके इंटीरियर, जिस पर कंपनी ने खूब काम किया है. इंस्ट्रूमेंट पेनल में कई अच्छे फीचर शामिल किये गए है. रही बात इंजन कि, तो इसमें लगा है 998सीसी का के-सीरीज पेट्रोल इंजन,  जो कि 68पीएस पावर के साथ 23 किलोमीटर प्रति लीटर की माइलेज देगा.

ऑटोमेटेड गियरबॉक्स
1981 से भारतीयों को गाडि़यां मुहैया करा रही मारुति अपने ग्राहकों की रग-रग से वाकिफ है. कंपनी को इस बात की समझ है कि किस प्राइस रेंज में क्या-क्या देना है. साथ यह भी कि वास्तविकता में ग्राहकों के सपनों की कार को कैसे तैयार किया जा सकता है. इसी का उदाहरण है यह ऑटोमेटेड गियरबॉक्स, जिसमें सहूलियत है, भविष्य है और पूरे होते स्टेट्स सिम्बल के सपने भी.

कंपनी का यह ज़बरदस्त दाव है, जो मार्केट में मौजूद प्रतिद्वंदियों के दांत खट्टे कर रहा है. लेकिन कुछ ग्राहक भी यहां इस रेंज में आए नए गियर बॉक्स सिस्टम को लेकर कन्‍फ्यूज हैं. जानकारी के लिए बता दें कि मारुति ने हूबहू ऑटोमेटिक जैसा दिखने वाला गियर सिस्टम इस कार में इंस्टाल किया है, जिसे ऑटोमेटेड ट्रांसमिशन कहते है. इसमें इलेक्ट्रोनिक क्लच और एक्चुवेटर लगा होता है, जो इंजन की जरूरत के हिसाब से गियर बदलता है. हालांकि, यह प्रीमियम और लग्जरी कारों में आने वाले सिस्टम से कमतर है. लेकिन यह कम खर्च पर बेहतर इकोनमी देता है. कंपनी का दावा है कि यह दस साल या एक लाख किलोमीटर तक चलने की क्षमता रखता है.

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शिकायत, जो छूट गई
अपनी इस नई कार से मारुति ने एक बड़े ड्राइविंग ग्रुप का मैनुअल गियर शिफ्टिंग पर लगने वाला श्रम, जो कभी-कभी मशक्कत लगता है, को घटा दिया है. लेकिन कार में कुछ गुंजाइश बकाया है, जिस पर कंपनी को ध्यान देना चाहिए था. जैसे गियर पेनल में पार्किंग मोड ही नहीं है. साथ ही कार की लम्बाई, जो कि बढ़ाई जा सकती थी. यह कार को बेहतर और महंगा लुक देती. खैर, आने वाला ज़माना ऑटोमेटिक कारों का ही होगा. ऐसे में नई कार लेकर पहली बार ड्राइव करने जा रहे लोगों के लिए यह कार ‘लेटेस्ट टेक्नोलोजी के लेसन’ जैसी होगी. इसके लिए मारुति की पीठ थपथपा कर, उसे शुभकामनाएं दी जा सकती है.

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