अगर आप ओला उबर से सफर करते है तो आपके लिए अच्छी खबर है. ओला और उबर कंपनी ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि उसके 85 फीसदी ड्राइवर हड़ताल खत्म करके काम पर वापस आ गए हैं. ड्राइवरों की हड़ताल और तोड़फोड़ की धटनाओं के सामने आने के बाद दोनो कंपनियों ने हाई कोर्ट का रूख किया था.
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उसके बाद ड्राइवरों की यूनियन ने भी अर्जी लगाई थी कि उनकी बात और हड़ताल की वजहों को कोर्ट में सुना जाए. हाई कोर्ट ने 15 फीसदी हड़ताली ड्राइवरों और कंपनियों के बीच सुलह कराने के लिए आज दोनों पक्षों को सुलह कर बीच का रास्ता निकालने का निर्देश दिया है. हाई कोर्ट ने सुलह के लिए बार एसोसिएशन को ओला उबर और ड्राइवरों के बीच में सुलह कराने का जिम्मा दिया है. हाई कोर्ट में इस मामले पर अगली सुनवाई 22 मार्च को होगी.
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इससे पहले 17 फरवरी को ओला और ऊबर कैब ड्राइवरों की हड़ताल को लेकर हाई कोर्ट में हुई सुनवाई में कोर्ट ने सख्ती से पुलिस को कानून व्यवस्था बनाए रखने का निर्देश दिया था. साथ ही कैब ड्राइवरों को सड़कों पर किसी भी तरह की तोड़फोड़ या अराजकता को तुरंत बंद करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने दोनों कंपनियों के ड्राइवरों की यूनियन को आपस में बातचीत करके ड्राइवरों की मांगों को सुनकर कोई रास्ता निकालने को कहा था. कैब ड्राइवर अपनी मागों को लेकर कुछ दिनों से हड़ताल पर हैं और इस दौरान उन्होनें सडकों पर यात्रियों को ले जाती कुछ गाड़ियों में तोड़-फोड़ की थी.
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OLA और UBER के कैब ड्राइवरों की हड़ताल की 4 मुख्य वजहें हैं. पहली कंपनी अपने कमीशन को 25 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी करें. दूसरा वेटिंग चार्ज को बढ़ाकर दुगना किया जाए. तीसरा नाइट चार्ज में बढ़ोत्तरी की जाए और चौथा अगर कैब ड्राइवर की गाड़ी चलाने के दौरान मौत हो जाए तो उसके परिवार को मुआवजा दिया जाए. इस मामले में ड्राइवरों की एसोसिएशन उबर कंपनी के खिलाफ धरने पर इसलिए बैठी थी क्योकिं कुछ दिन पहले हौज खास में BMW कार ने UBER की एक कार को टक्कर मार दी थी. जिसमें ड्राइवर नजरूल की जान चली गई थी. उबर कंपनी ने नजरूल को कंपनशेसन देने से मना कर दिया.