पिछले कई साल से डीजल इंजन वाली कार खरीदना होशियारी भरा फैसला रहा है. इतना ही नहीं, होंडा कार्स इंडिया लिमिटेड जैसी कंपनियों ने अपने बेड़े में डीजल कारों को शामिल कर जमकर मुनाफा बटोरा है. एंट्री लेवल की गाडिय़ों को छोड़कर अधिकतर श्रेणियों में यह दिखा कि अगर किसी मॉडल का डीजल संस्करण भी है तो वह करीब 80 फीसदी बिक्री पर काबिज रहा.
जाहिर तौर पर सरकार के डीजल की कीमत को नियंत्रित रखने की वजह से बाजार में इस तरह के असामान्य हालात पैदा हुए. लेकिन अब सवाल यह है कि नई सरकार के डीजल पर सब्सिडी खत्म करने का साहसी फैसला क्या बाजार के समीकरण को बदल देगा? करीब दो साल पहले पेट्रोल और डीजल की कीमत में प्रति लीटर अंतर 30 रुपये था. आज यह फर्क सिर्फ 10 रुपये है, जबकि हकीकत यह है कि कच्चे तेल को शोधित करके डीजल तैयार करना पेट्रोल के मुकाबले कहीं अधिक खर्चीला है.
आने वाले महीनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें एक दूसरे के और करीब आ जाएं तो हैरानी नहीं होनी चाहिए. अगर विकसित देशों के अनुभवों की बात करें तो संभव है कि आगे चलकर डीजल की तुलना में पेट्रोल की कीमत कम हो जाए.
क्या डीजल कार खरीदना सयानापन है?
पेट्रोल इंजन के मुकाबले डीजल इंजन स्वाभाविक रूप से ज्यादा माइलेज देते हैं, लेकिन यह भी याद रखना चाहिए कि डीजल इंजन बनाने में अधिक खर्च आता है. यही नहीं, इसका रखरखाव भी अधिक खर्चीला है. डीजल कारों के शुरुआती मॉडल में भी ज्यादा टॉर्क के कारण ड्राइविंग का एक अलग मजा मिल जाता है, जबकि यही खूबी पेट्रोल के टॉप एंड मॉडल में मिलती है. फिर भी, कम-से-कम अपने देश में, जीत उसी की होगी जो कम खर्चीला हो.
बात को बेहतर ढंग से समझने के लिए अलग-अलग सेगमेंट की तीन कारों को देखा जा सकता है. फोक्सवैगन की पोलो और होंडा की मोबिलियो में सामान्य पेट्रोल इंजन है, जबकि स्कोडा ऑक्टेविया में डायरेक्ट इंजेक्शन टर्बो चार्ज्ड पेट्रोल इंजन है. इन पेट्रोल इंजन को बनाने में डीजल इंजन जितना ही खर्च आता है और ये ड्राइविंग के दौरान पेट्रोल और डीजल इंजन, दोनों का मजा देते हैं. इनमें आउटपुट ज्यादा होता है, लिहाजा बड़ी कारों में भी कम क्षमता के इंजन का इस्तेमाल किया जा सकता है.
पेट्रोल और डीजल की कीमतों के आधार पर तुलना
तेल की मौजूदा कीमतों के आधार पर बात करें तो अगर कोई हर माह कम-से-कम 3,000 किमी की दूरी तय करता है तो वह डीजल और पेट्रोल पोलो में से इन्हें चुन सकता है. करीब 2,000 किमी प्रति माह कार चलाने वालों के लिए डीजल मोबिलियो और करीब 5,000 किमी प्रति माह चलाने वालों के लिए पेट्रोल की बजाए डीजल ऑक्टेविया बेहतर होगी. अगर दोनों ईंधन की कीमतें एक समान हो जाएं, जिसकी संभावना अगले साल दिख रही है तो पूरा पैसा वसूलने के लिहाज से अपेक्षित माइलेज और अधिक हो जाएगा. पोलो के लिए करीब 4,500 किमी, मोबिलियो के लिए 2,500 किमी और ऑक्टेविया डीजल के लिए 7,000 किमी से भी अधिक.