यदि आप फोक्सवैगन की कार चलाते हैं तो यह खबर आपके लिए है. हो सकता है कि आपकी कार एयर पॉल्यूशन टेस्ट में ग्रीन सिग्नल दिखा रही हो, लेकिन असल में वह तय स्टैंडर्ड से कई गुना ज्यादा प्रदूषण फैला रही हो. फोक्सवैगन ने खुद स्वीकार किया है कि दुनियाभर में उसकी एक करोड़ से ज्यादा कारों में घपला है. कंपनी ने अमेरिका में पांच लाख कारें वापस मंगा ली हैं.
कंपनी ने क्या कहा
कंपनी के अमेरिकी चीफ माइकल हॉर्न ने कहा कि हम बर्बाद हो गए. उन्होंने बताया कि कंपनी ने भरपाई के लिए साढ़े छह अरब यूरो अलग रख लिए हैं. इस गड़बड़ को दूर कर दुनिया का भरोसा दोबारा जीतेंगे. हालांकि कंपनी ने यह नहीं बताया कि गड़बड़ कौनसे मॉडल में है.
क्या है मामला
दरअसल, अमेरिका की पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी ने शुक्रवार को कहा था कि फोक्सवैगन ने अपनी कारों में ऐसा सॉफ्टवेयर लगाया है, जिससे वे एमिशन टेस्ट में पास हो जाएं. इस सॉफ्टवेयर के जरिये फोक्सवैगन की कारें अमेरिका में तय सीमा से 40 गुना ज्यादा प्रदूषण कर सकती हैं, लेकिन पकड़ में नहीं आती. अमेरिका ने कंपनी को 2009 के बाद बनी 4,82,000 कारें वापस बुलाने का आदेश दिया था.
अमेरिका से जर्मनी तक हिला
अमेरिका में इसे एमिशन घोटाला नाम दिया गया है. मंगलवार को यह ट्विटर पर भी टॉप ट्रेंड में शुमार हो गया. जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने कंपनी से पारदर्शिता बरतते हुए स्पष्टीकरण मांगा है. उधर, ब्रिटेन ने पूरे यूरोपीय संघ में जांच की मांग की है.
EU says 'we need to get to the bottom' of VW scandal -- but holds off on probe into bloc's biggest carmaker & pillar of its largest economy
— Danny Kemp (@dannyctkemp) September 22, 2015
फोक्सवैगन को कितना नुकसान
कंपनी पर इसका बेहद बुरा असर
पड़ेगा. मंगलवार को ही फोक्सवैगन के शेयर 20 फीसदी गिर गए. अमेरिका में कंपनी पर एक कार के लिए 24 लाख रुपये का जुर्माना लग सकता है. यानी फोक्सवैगन
की एक साल से भी ज्यादा की कमाई स्वाहा हो सकती है.
जर्मनी की साख भी दांव पर
इस घोटाले के साथ ही जर्मनी की साख भी दांव पर लग गई है.
फिलहाल जर्मनी दुनियाभर में कारों से सबसे कम प्रदूषण वाले देशों में शुमार है. दुनियाभर में मेड इन जर्मनी की टैगलाइन पर भी संकट है.
हम पर कितना असर
फिलहाल फोक्सवैगन ने यह नहीं बताया है कि
किन-किन देशों में कारों पर असर पड़ने वाला है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि दुनियाभर की दूसरी कार कंपनियां भी इस तरह के फर्जीवाड़े में शामिल हो सकती हैं. क्योंकि प्रदूषण जांच को चकमा देने वाले सॉफ्टवेयर और उपकरण बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं.