नोटबंदी यानी डीमोनेटाइजेशन के बाद ऐप बेस्ड कंपनियों को काफी फायदा हो रहा है. इसमें बंगलुरु बेस्ड कैब कंपनी ओला भी शामिल है. लेकिन एक ऐसी घटना सामने आई है, जिससे महिला सुरक्षा पर सवाल उठने लाजमी है. या यों कहें कि यह महिला सुरक्षा में गंभीर चूक है.
घटना कल की है. रिसर्च फर्म में काम करने वाली दीपशीखा सिंह शाम 7.45 मिनट पर नोएडा से वैशाली जाने के लिए ओला शेयर बुक किया. कुछ देर के बाद जब ओला ड्रावर को कॉल किया तो उसने बताया कि वो किसी दूसरी सवारी को पिक कर रहा है. काफी देर इंतजार करने के बाद फिर से कॉल करने पर ड्राइवर ने कहा कि वो किसी और को पिक कर रहा है.
लंबे समय बाद कैब ड्राइवर की कॉल आई और उसने कहा कि वो लोकेशन पर आ रहा है. उन्होंने ऐप पर कैब डीटेल चेक किया तो कार की डीटेल उससे अलग थी. मैसेज में WhiteGO कैब की जानकारी थी, जबकि उनके पास i20 कार आई.
इसके अलावा उस कार का नंबर प्लेट यलो नहीं था. कोई भी कमर्शियल व्हीकल, बस और टैक्सी के नंबर प्लेट का बैकग्राउंड ब्लैक होता है और उसपर यलो टेक्स्ट होते हैं. यानी वो कैब थी ही नहीं बल्कि पर्सनल कार थी.
उन्होंने कहा है कि उस कैब में तीन लड़के थे और एक ड्राइवर था जो देखने में ड्राइवर की तरह नहीं लग रहा था. जब उन्होंने ड्राइवर से पूछा कि जो कैब उन्होंने बुक की थी वो कहां है तो उसका जवाब था कि उस कैब का ऐक्सिडेंट हो गया है इसके बदले दूसरी कैब भेजी गई है.
हालांकि उन्होंने कैब कैंसिल कर दिया ओला से इसकी शिकायत की. इसके बाद ओला ने जवाब देते हुए उस ड्राइवर को सस्पेंड करने की बात कही है और यह भी कहा है कि वो इस मामले की जांच करेंगे.
इस घटना के बाद उन्होंने दूसरी पर्सनल ओला कैब बुक की और उसके ड्राइवर ने उन्हें बताया कि कोई कैब ऐक्सिडेंट के बाद या तो कैब कैंसिल कर दी जाती है या फिर नई कैब की जानकारी मैसेज कर दी जाती है. ड्राइवर के मुताबिक शाम सात बजे के बाद शेयर कैब बुक न ही की जाए तो बेहतर है.
ऐसी चूक के परिणाम गंभीर हो सकते हैं, क्योंकि अमूमन लोग इतना ध्यान नहीं देते. खास कर यह दिल्ली-एनसीआर में महिला सुरक्षा पर भी बड़े सवाल खड़े करता है.
इस घटना के बाद दो महत्वपूर्ण सवाल खड़े होते हैं जिनका जवाब हमने ओला से मांगा है.
पहला, अगर ओला शेयर कैब का ऐक्सिडेंट हो जाता है वैसी स्थिति में क्या बुक करने वाले यूजर को बिना नई कैब की जानकारी दिए कैब भेजी जाती है?
दूसरा, क्या ओला की कैब बिना यलो नंबर प्लेट के दिल्ली-एनसीआर में चलाई जा सकती है?