अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव शामिल नहीं होंगे. इससे पहले सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी ने इस समारोह को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया था. उन्होंने कहा था कि सीपीआईएम का कोई प्रतिनिधि राम मंदिर के कार्यक्रम में शामिल नहीं होगा.
राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने बताया कि ट्रस्ट की तरफ से 11 करोड़ लोगों को न्योता भेजा जा रहा है, लेकिन सभी लोग 22 और 23 जनवरी को अयोध्या नहीं आ सकते. अयोध्या में 22 जनवरी को व्यवस्था बनाए रखना भी चुनौती है. प्रभु श्री राम कार्यक्रम के सबसे बड़े वीआईपी हैं. अन्य बड़े लोगों को असुविधा होगी तो नाराजगी भी हो सकती है. 22 जनवरी का कार्यक्रम केवल संतों और यजमानों का है.
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चौपाल ने बताया कि इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू यादव शामिल नहीं होंगे. वहीं चौपाल ने उद्धव ठाकरे को न्योता नहीं मिलने पर शिवसेना की नाराजगी पर कहा कि भगवान राम के मामले में किसी को नाराज नहीं होना चाहिए. भगवान की पूजा में पहले और बाद का कोई विवाद नहीं है. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद हम सभी गणमान्य को सम्मान से बुलाएंगे. श्रीराम 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या वापस आए थे तो हम आज भी दीपावली मनाते हैं.
अब तो 500 साल बाद अयोध्या में प्रभु की वापसी हो रही है. बिहार से प्रभु श्री राम का गहरा संबंध है. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में बिहार से बहुत कुछ जाएगा. बिहार प्रभु श्री राम को संकल्प भूमि है. शक्ति स्वरूपा सीता मैया भी प्रभु को यहीं से मिलीं थीं.
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सीताराम येचुरी ने क्या कहा?
सीपीआईएम की ओर से कहा गया, "हम धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हैं लेकिन वे एक धार्मिक कार्यक्रम को राजनीति से जोड़ रहे हैं. यह एक धार्मिक कार्यक्रम का राजनीतिकरण है. यह सही नहीं हैं."
अयोध्या से आए निमंत्रण पर येचुरी ने कहा कि हमने किसी को कुछ नहीं कहा. वो आए थे निमंत्रण देने. हमने चाय कॉफी पूछी उनको. हमें निमंत्रण मिला. उद्घाटन समारोह में पीएम, योगी और पदाधिकारी रहेंगे. राजनीतिकरण होगा इसका. ये गलत है. राजनीतिकरण के खिलाफ हम हैं. इसलिए हम नहीं जाएंगे वहां. धर्म का मतलब उनको समझना पड़ेगा. बाकि का नहीं पता, लेकिन हम नही जाएंगे.