बिहार में कटिहार सदर अस्पताल एक बार फिर अपने कारनामों को लेकर सुर्खियों में है. यह अस्पताल आधुनिक संसाधनों से लैस करोड़ों रुपए के लागत से निर्मित जिले का एकमात्र बड़ा अस्पताल है, लेकिन अस्पताल की व्यवस्था इतनी लचर है कि अस्पताल में इलाजरत रोगी की अगर मौत हो जाती है तो उसे घर पहुंचाने तक अस्पताल प्रबंधन की तरफ से परिजनों को एंबुलेंस तक नहीं दी जाती है.
ताजा मामला कटिहार नया टोला फुलवाड़ी के रहने वाले शहदीप रॉय का है जिन्हें जॉनडिस हुआ था. इसी बीमारी को लेकर परिजनों ने उन्हें सदर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया था.यहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई, शहदीप रॉय के मौत के बाद परिजनों ने शव को घर ले जाने के लिए सदर अस्पताल प्रबंधन से एंबुलेंस मांगी. लेकिन एंबुलेंस खराब होने की बात कह कर नहीं दी गई. जबकि सदर अस्पताल में कई एंबुलेंस मौजूद थी इसके बावजूद भी एंबुलेंस नहीं दी गई.
परिजन आखिरकार मृतक शहदीप रॉय के शव को ठेले पर लाद कर अस्पताल से अपने घर लेकर गए. मृतक की पत्नी लीला देवी ने अपने पति के मौत का कारण एक महीने से बीमार होना और जॉनडिस होने का वजह बताया है. उन्होंने कल अपने पति को इलाज के लिए फिर से सदर अस्पताल में भर्ती करने की बात बताई. हालांकि, उसने अपने बीमार पति को पहले भी अस्पताल लाकर खून चढ़वाया था. उन्होंने भी बताया कि अस्पताल ने एंबुलेंस देने से मना कर दिया था.
वहीं पड़ोसी उत्तम कुमार ने कहा कि सुबह से परेशान हैं एंबुलेंस लगी हुई है लेकिन कहा जा रहा है कि एंबुलेंस खराब है, इसलिए ठेले पर शव को लेकर जा रहे हैं.ऐसे में सदर अस्पताल के रवैये पर सवाल तो बनता है कि सरकार का इतना पैसा लगकर भी जनता को सुविधा नहीं मिल रही है, आखिर कटिहार के सदर अस्पताल का इस लचर व्यवस्था का जिम्मेदार कौन है?