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नीरा उत्पादन में भारी गड़बड़ी, बेवजह बने पुल... CAG रिपोर्ट में बिहार सरकार पर उठे सवाल

बिहार विधानसभा में CAG रिपोर्ट पेश किया गया है. इस रिपोर्ट में राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन और कई योजनाओं में गड़बड़ी होने की बात कही गई है. नीरा उत्पादन, राज्य में पुल निर्माण, ग्रामीण कार्य विभाग, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना समेत कई परियोजनाओं में गड़बड़ी का खुलासा किया गया है.

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नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव
नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव

बिहार विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2021–22 के लिए CAG (सरकारी खर्चों और वित्तीय प्रबंधन का ऑडिट) रिपोर्ट पेश किया गया है. डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने मंगलवार को  CAG रिपोर्ट विधानसभा  की सदन की मेज पर पेश किया है. इस रिपोर्ट में ग्रामीण कार्य विभाग, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, नीरा परियोजना, राज्य में पुल निर्माण समेत कई परियोजनाओं में गड़बड़ी का खुलासा किया गया है.

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CAG रिपोर्ट से क्या आया सामने?

CAG की रिपोर्ट में बिहार सरकार की पोल खुल गई है कि नीरा उत्पादन में भारी गड़बड़ी हुई है. नीरा परियोजना बिना तैयारी की शुरू की गई, बिना व्यावहारिकता ज्ञान के योजना शुरू होने से 11.68 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ है. नीरा गुड़ उत्पादन पर 2.03 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. 

राज्य में पुल ध्वस्त होने को लेकर बिहार सरकार घिरती रही है. CAG रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में बताया गया है कि बेवजह पुल बना दिया गया. पात्र बसावट और जमीन की कमी के बावजूद पुल बनाए गए. इस निर्माण पर 3 करोड़ रुपये खर्च किए गए. पटना जिला के बाढ़ अनुमंडल में एक तरफ सड़क और पुल दोनों बने.

वहीं दूसरी ओर जमीन और न गांव उपलब्ध थे. बाढ़ के घोषवरी प्रखंड के लक्ष्मीपुर गांव से कुम्हरा गांव तक सड़क बनाने के लिए 8.03 करोड़ रुपए खर्च की गई. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत सड़क बनाई गईं. 

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CAG की रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि ग्रामीण कार्य विभाग में बसावटों में भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित किए बिना पुल के निर्माण करा कर 3.33 करोड़ रुपये बर्बाद किए गए. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत यह निर्माण होना था जिसमें लेकिन इस के निर्माण में भारी गड़बड़ी सामने आई है. 

रिपोर्ट के मुताबिक सीमावर्ती इलाके में स्मार्ट गांव बनाने की योजना सफल नहीं हो पाई.  6 या उससे अधिक गांव से गिरे आबादी वाले गांव को सम्पूर्ण रूप से विकसित करना था, लेकिन केंद्र की यह योजना बिहार में सफल नहीं हो पाई. स्मार्ट विलेज के जगह वाइब्रेंट विलेज के योजना पर काम चल रहा है.

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लेकिन बिहार में वाइब्रेंट विजेल के डेवलप करने में केंद्र सरकार का अनुसरण नहीं किया इस पर CAG ने सवाल खड़े किए हैं. योजना विकास विभाग के अंतर्गत 58 करोड़ का यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट नहीं दिया गया. 

बता दें कि 2021-22 में बिहार में नीतीश कुमार और तेजस्वी की गठबंधन की सरकार चल रही थी. 28 जनवरी 2022 को महागठबंधन से अलग होकर नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ नई सरकार बनाई थी.
 

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