JDU Vs RJD: बिहार में जारी सियासी घमासान के बीच एक और ऐसी तस्वीर सामने आई है जो साफ तौर पर आरजेडी और जेडीयू के बीच की दूरी की तरफ इशारा कर रही है. गणतंत्र दिवस समारोह के मौके पर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और तेजस्वी (Tejashwi Yadav) के बीच ये दूरी साफ तौर पर नजर आई.
सरकारी कार्यक्रम के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के बैठने के लिए एक जगह कुर्सी लगाई गई थी लेकिन सीएम के बगल वाली कुर्सी को छोड़कर तेजस्वी यादव ने उनसे दूरी बनाकर दूसरी कुर्सी पर अपने पार्टी नेता और विधासभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के बैठे नजर आए.
दोनों नेताओं में नहीं हुई बातचीत
इस दौरान जेडीयू और आरजेडी के दोनों सर्वोच्च नेताओं के बीच एक कुर्सी खाली रही. खासबात ये है कि आमतौर पर मंच पर एक साथ और बातचीत करते हुए नजर आने वाले तेजस्वी और नीतीश कुमार के बीच आज कोई बातचीत तक नहीं हुई.
बता दें कि बिहार में जारी इस राजनीतिक संकट के बीच तमाम पार्टियों को अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता सता रही है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार आज दोपहर में कोई बड़ा राजनीतिक फैसला ले सकते हैं. इसी को लेकर पटना से लेकर दिल्ली तक राजनीतिक हलचल मची हुई है.
जेडीयू ने रद्द किए सभी कार्यक्रम
बिहारी में तमाम सियासी घटनाक्रम को लेकर जेडीयू ने अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं. 28 जनवरी को आयोजित होने वाली महाराणा प्रताप रैली भी कैंसिल कर दी गई है. यह रैली पटना के मिलर स्कूल ग्राउंड में होना था. इस कार्यक्रम में पार्टी अध्यक्ष और सीएम नीतीश कुमार को भी शामिल होना था. जेडीयू के सभी विधायकों को आज शाम तक पटना पहुंचने का निर्देश दिया गया है.
देर रात अमित शाह के घर पर हुई बैठक
गुरुवार की रात को भी इसी वजह से गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर बिहार बीजेपी के तमाम नेताओं की घंटों बैठक हुई थी जिसमें ना सिर्फ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी बल्कि राज्य के प्रभारी विनोद तावड़े भी नजर आए.
बीजेपी बिहार में तेजी से बदल रहे राजनीतिक समीकरण को लेकर अपने सहयोगी दलों के नेताओं को मनाने में भी जुटी हुई है. जीतन राम मांझी से लेकर चिराग पासवान तक तमाम नेताओं को नीतीश कुमार के एनडीए में आने के लिए मनाया जा रहा है.
वहीं दूसरी तरफ यह दावा भी किया जा रहा है कि लालू यादव बिना जेडीयू के 122 विधायकों के जादुई आंकड़े को जुटाने में लगे हुए हैं. नीतीश कुमार के बीजेपी के पाले में जाने के बाद अगर लालू यादव सरकार बनाने की कोशिश करते हैं तो संभव है कि नीतीश कुमार विधानसभा भंग करने की अनुशंसा कर दें.