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बिहार में किस आधार पर 9 सीटें मांग रही कांग्रेस? पिछली बार 7.9% वोट लेकर जीती थी एक सीट

इंडिया गठबंधन ने सीट शेयरिंग को लेकर 31 दिसंबर की डेडलाइन निर्धारित की है. बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं और इंडिया गठबंधन में आरजेडी, जेडीयू, कांग्रेस समेत छह पार्टियां शामिल हैं. 2019 के चुनाव में 7.9 फीसदी वोट शेयर के साथ एक सीट पर सिमटी कांग्रेस नौ सीटें मांग रही है तो इसका आधार क्या है?

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सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे (फाइल फोटो)
सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे (फाइल फोटो)

इंडिया गठबंधन में बैठक दर बैठक के बावजूद सीट शेयरिंग को लेकर तस्वीर अब तक साफ नहीं हो सकी है. दिल्ली और पंजाब में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के साथ सीट शेयरिंग कैसे होगी? इसे लेकर चर्चा का बाजार गर्म था ही कि अब बिहार को लेकर बहस छिड़ गई थी. कांग्रेस ने बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से नौ पर दावा कर दिया है. सूबे में दो बड़ी पार्टियां राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) भी इंडिया गठबंधन में शामिल हैं. ऐसे में सवाल ये भी उठने लगे हैं कि बिहार में कांग्रेस नौ सीटें आखिर किस आधार पर मांग रही है?

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दरअसल, इंडिया गठबंधन की दिल्ली बैठक में सीट शेयरिंग को लेकर 31 दिसंबर की डेडलाइन निर्धारित की गई थी. बैठक में कांग्रेस की ओर से यह भी कहा गया था कि सीट शेयरिंग को लेकर राज्य स्तर पर बातचीत की जाएगी. अगर राज्य स्तर पर किसी कारणवश ऐसा नहीं हो पाता है, तब ये मसला दिल्ली में सुलझाया जाएगा. सीट शेयरिंग को लेकर निर्धारित डेडलाइन करीब आ रही है और कांग्रेस एक्शन में है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने दिल्ली में बिहार के नेताओं के साथ बैठक कर इस पर चर्चा की. बैठक के बाद लोकसभा सीटों पर दावेदारी से जुड़े सवाल पर बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि हम पिछली बार (2019 में) 9 सीटों पर चुनाव लड़े थे. उन्होंने ये भी कहा कि तब गठबंधन में जेडीयू नहीं थी. इस बार एक-दो सीटें कम-ज्यादा हो सकती हैं. बिहार कांग्रेस अध्यक्ष के इस बयान के बाद सवाल ये भी उठ रहे हैं कि कांग्रेस की 9 सीटों पर दावेदारी का आधार क्या है?

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कांग्रेस के दावे का आधार क्या?

कांग्रेस ने अब नौ सीटों पर दावा किया है तो सवाल इसके आधार को लेकर भी उठ रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क ने कहा कि कांग्रेस पिछले चुनाव में नौ सीटों पर चुनाव लड़ी थी और यही उसके दावे का एकमात्र आधार है. न तो लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा और ना ही पार्टी की पकड़ ही सूबे की सियासत पर पहले जैसी रही. 

कांग्रेस को कितनी सीटें मिलती हैं, ये आने वाला समय ही बताएगा लेकिन इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं. इन सवालों की वजह 2020 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन है. 2020 के बिहार चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. पार्टी 9.6 फीसदी वोट शेयर के साथ 19 सीटें जीत सकी थी जबकि 44 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे. दूसरी तरफ, आरजेडी ने 144 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. आरजेडी 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी.

2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस ने नौ सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे लेकिन पार्टी 7.9 फीसदी वोट शेयर के साथ एक सीट ही जीत पाई थी. तब जेडीयू, बीजेपी के साथ एनडीए में शामिल थी. दोनों ही पार्टियों ने 17-17 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. बीजेपी ने सभी 17 और जेडीयू 17 में से 16 सीटें जीती थीं. जेडीयू इस बार कांग्रेस और आरजेडी के साथ इंडिया गठबंधन में शामिल है.

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6 पार्टियों में कैसे होगा सीट बंटवारा?

आरजेडी, जेडीयू, कांग्रेस के साथ ही लेफ्ट पार्टियां इंडिया गठबंधन में शामिल हैं. इंडिया गठबंधन में बिहार की 40 लोकसभा सीटों के लिए छह पार्टियां दावेदार हैं. कांग्रेस नौ सीटें मांग रही है तो वहीं लेफ्ट पार्टियां भी आधा दर्जन से अधिक सीटें चाहती हैं. ऐसे में सवाल ये भी उठ रहे हैं कि 40 सीटों का सियासी कद्दू कटेगा तो छह दावेदारों में कैसे बंटेगा? नीतीश कुमार की कोशिश है कि कम से कम उन सभी सांसदों का टिकट सुनिश्चित हो जो 2019 में जीते थे. आरजेडी विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने को आधार बनाकर अधिक सीटों पर दावेदारी कर रही है. ओमप्रकाश अश्क ने कहा कि आरजेडी को अधिक सीटें मिलें या ना मिलें, पार्टी नीतीश की जेडीयू से कम सीटों पर मानेगी? ऐसा नहीं लग रहा.

कौन दिखाएगा बड़ा दिल?

ऐसे में कौन बड़ा दिल दिखाएगा? ये सवाल भी उठ रहे हैं. आरजेडी विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है तो जेडीयू के पास बिहार से दूसरे गठबंधन सहयोगियों की तुलना में कहीं अधिक लोकसभा सीटें. दोनों के पास मजबूत आधार है. ऐसे में क्या त्याग कांग्रेस को ही करना पड़ेगा? बिहार में सीट बंटवारे को लेकर कहा यह भी जा रहा है कि जेडीयू-आरजेडी, दोनों ही पार्टियां 16-16 सीटों पर चुनाव लड़ सकती हैं. कांग्रेस को 6 और लेफ्ट के खाते में दो सीटें जा सकती हैं.

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अब सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या कांग्रेस छह सीट का ऑफर मानेगी? कांग्रेस के शीर्ष से लेकर प्रदेश नेतृत्व तक, नेताओं की नरमी इसी तरफ इशारा माना जा रहा है कि पार्टी भी ये त्याग के लिए तैयार है. इसे इस तरह भी समझा जा सकता है कि बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष सीटों के सवाल पर पिछले चुनाव में नौ सीटों पर चुनाव लड़ने का जिक्र तो कर रहे हैं. लेकिन साथ ही ये भी जोड़ रहे हैं- एक-दो सीटें कम अधिक होने से अंतर नहीं पड़ेगा.

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