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दरभंगा के DM कुम्हार की भूमिका में आए नजर... बसंत पंचमी पर शुरू की दो दिवसीय मूर्ति कला कार्यशाला

दरभंगा में बसंत पंचमी के अवसर पर कला संस्कृति विभाग ने दो दिवसीय मूर्ति कला कार्यशाला का आयोजन किया. जिलाधिकारी राजीव रौशन ने कुम्हार की भूमिका में चाक पर मिट्टी के बर्तन बनाकर कार्यशाला का उद्घाटन किया. बच्चों और आईटीआई छात्रों को कला सिखाने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यक्रम ने उन्हें अपनी संस्कृति से जोड़ने का अवसर प्रदान किया.

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 DM ने मिट्टी के बर्तन बनाकर कार्यशाला का उद्घाटन किया.
DM ने मिट्टी के बर्तन बनाकर कार्यशाला का उद्घाटन किया.

दरभंगा जिला में कला और संस्कृति के संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से कला संस्कृति विभाग की ओर से एक विशेष दो दिवसीय मूर्ति कला कार्यशाला का आयोजन किया गया. यह कार्यशाला जिला प्रशासन के सहयोग से लहेरियासराय स्थित ऑडिटोरियम में आयोजित की गई. बसंत पंचमी के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन दरभंगा के डिएम राजीव रौशन ने किया. इस खास मौके पर जिलाधिकारी स्वयं कुम्हार की भूमिका में दिखाई दिए और स्टेज पर चलती चाक पर मिट्टी के बर्तन बनाते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की.

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दरअसल, कार्यशाला में विभिन्न स्कूलों के बच्चों और आईटीआई छात्रों ने हिस्सा लिया, जिन्होंने अपनी पढ़ाई के अतिरिक्त कला के विभिन्न पहलुओं को सीखने का प्रयास किया. कार्यशाला में बच्चों को आर्ट और क्राफ्ट के विभिन्न रूपों को सीखने का मौका मिला, जिसे प्रशिक्षकों ने मुफ्त में सिखाया. इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य बच्चों को उनके स्थानीय कला और संस्कृति से जोड़ना था, ताकि वे अपनी जड़ों से जुड़ सकें और अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित कर सकें.

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कार्यशाला में उपस्थित छात्रों ने अपने अनुभव साझा किए. दरभंगा के रामनगर आईटीआई के छात्र हर्ष कुमार ने कहा कि यह उनका पहला अनुभव था और यहां आकर उन्हें बहुत कुछ नया सीखने का अवसर मिला. उन्होंने कहा, पढ़ाई तो एक रूटीन है, लेकिन यहां कला सीखने का मौका मिल रहा है, जो बहुत अच्छा है. वहीं, कार्यशाला में भाग लेने आई अनुप्रिया कुमारी ने कहा कि यह कार्यक्रम उनके लिए बहुत नया था. कभी इस तरह की कला सीखी नहीं थी, लेकिन अब पढ़ाई के साथ-साथ यहां हमें कला को भी सीखने का मौका मिल रहा है. यह हमारे लिए एक बड़ी बात है.

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इस दौरान जिलाधिकारी राजीव रौशन ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इस आयोजन से बच्चों को अपनी संस्कृति से जुड़ने का एक अनूठा अवसर मिलता है. उन्होंने कहा, यह आयोजन मां सरस्वती को समर्पित है और इसका उद्देश्य नई पीढ़ी को अपने क्षेत्र की कला और संस्कृति से जोड़ना है. ऐसे आयोजन से हमारी संस्कृति को संरक्षित करने में मदद मिलती है.

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