उत्तर बिहार में पिछले 1 हफ्ते से हो रही लगातार बारिश और नेपाल के तराई इलाके में हो रही मूसलाधार बारिश व कोसी बराज से छोड़े गए लगभग 4 लाख क्यूसेक पानी की वजह से कोसी नदी एक बार फिर से पूरे उफान पर है. इसके कारण सहरसा जिले के दर्जनों गांव पूरी तरीके से जलमग्न हो चुके हैं. कोसी नदी में बाढ़ के कारण लोगों को हो रही परेशानी का जायजा लेने के लिए गुरुवार को आजतक की टीम सहरसा जिले के नवहटा प्रखंड के असई गांव पर पहुंची.
गांव के गांव जलमग्न
इलाके में हो रही लगातार बारिश और फिर कोसी बराज से छोड़े गए पानी के कारण इस गांव के साथ-साथ आसपास के दर्जनों गांवों में जलस्तर काफी बढ़ गया है, जिसकी वजह से गांव के गांव और घर के घर पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं. आजतक की टीम को इस गांव तक पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ा क्योंकि सड़क मार्ग पर 4 से 5 फुट पानी भरा हुआ है और आवागमन के लिए पूरी तरीके से बंद हो चुका है. इस गांव के लोग अपने घरों में बंद होकर रह गए हैं.
असई गांव ता हाल
लोगों ने बताया कि पिछले 24 घंटे में अचानक जल वृद्धि के कारण कोसी का पानी इनके घर में घुस चुका है और इनके पास खाने-पीने की दिक्कत हो गई है. बाढ़ के वक्त प्रशासन की उदासीनता के कारण भी लोगों के अंदर काफी नाराजगी देखने को मिली. असई गांव के स्थानीय प्रशांत यादव ने बताया कि गांव के लोगों को आवागमन के लिए सरकारी नाव की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है जिसके कारण उन लोगों को निजी नाव का सहारा लेना पड़ रहा है. प्रशासन की तरफ से खाने-पीने की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है जिसको लेकर भी लोगों ने अपनी मुश्किलें बताई.
घरों में घुसा पानी
प्रशांत यादव ने कहा, “हम लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. पिछले 24 घंटे में पानी हमारे घर में घुस चुका है, मगर प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली है” इसी गांव की एक अन्य निवासी मिथिलेश राम ने कहा, "घर में पानी घुस चुका है, इसकी वजह से बहुत दिक्कत हो रही है. प्रशासन की तरफ से अभी खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है."
बजरंगबली के मंदिर के चारों तरफ पानी
इस गांव के बीचो-बीच स्थित बजरंगबली का मंदिर चारों तरफ से पानी से भर चुका है और मंदिर तक जाने वाली सड़क पर भी 5 से 6 फुट पानी भरा हुआ है. मंदिर के जलमग्न होने के कारण स्थानीय लोग पूजा-अर्चना करने के लिए भी मंजिल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं.
पशु-मवेशियों की हालत बुरी
बाढ़ पीड़ितों के साथ-साथ इलाके में पशु और मवेशियों की भी हालत बहुत बुरी है और उनके लिए चारा इकट्ठा करने के लिए लोगों को नाव का सहारा लेकर ऊंचे स्थानों पर जाना पड़ता है और फिर चारा लेकर गांव आना पड़ता है.