बिहार के पूर्णिया में तनिष्क शोरूम में लूट को अंजाम देने वाले कुख्यात गैंगस्टर चुनमुन झा उर्फ राकेश को पुलिस और एसटीएफ की टीम ने शनिवार की सुबह एक एनकाउंटर में ढेर कर दिया. बेहद कम उम्र में चुनमुन झा सीमांचल समेत पूरे बिहार में पुलिस के लिए बड़ा सिर दर्द बन गया था.
पूर्णिया में लूट के बाद उसने आरा में भी तनिष्क ज्वेलरी शॉप को लूटने में अहम भूमिका निभाई थी जिसके बाद से एसटीएफ उसकी तलाश में जुटी हुई थी. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर मंदिर में पूजा कराने वाले एक पंडित का पोता राज्य और इलाके का कुख्यात गैंगस्टर कैसे बन गया.
पुजारी का पोता कैसे बना गैंगस्टर
दरअसल एसटीएफ के एनकाउंटर में मारे गए चुनमुन झा के दादा पूर्णिया के चर्चित पंचमुखी मंदिर के मुख्य पुजारी हैं. जानकारी के मुताबिक कुख्यात चुनमुन झा शुरू से आपराधिक प्रवृत्ति का युवक था. छोटी-मोटी चोरियां करके अपराध की दुनिया में उसने कदम रखा था.
इसके बाद साल 2021 में उसने पूर्णिया में लोजपा नेता अनिल उरांव का पहले अपहरण किया और उसकी हत्या कर दी. इस हत्या के बाद चुनमुन उर्फ राकेश झा अपराध की दुनिया में सुर्खियां बटोरी थीं. एसटीएफ ने इस मामले में उस पर 3 लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था लेकिन इसके बाद भी वो नहीं रुका और लगातार अपराधों को अंजाम देता रहा.
अररिया छोड़ आ गया था पूर्णिया
रिपोर्ट के मुताबिक पहले वो अररिया जिले में छोटी-मोटी चोरियां और शराब बरामदगी मामले में आरोपी बना था जिसके बाद वो पूर्णिया के हाउसिंग कॉलोनी में रहने लगा जहां उसके दादा रहते थे. चुनमुन के दादा पूर्णिया के पंचमुखी मंदिर में मुख्य पुजारी हैं.
पूर्णिया आने के बाद वो हाउसिंग कॉलोनी में चोरी-छिपे अपराधियों को ट्रेनिंग देने लगा. इसी दौरान वह जेल में बंद कुख्यात बिट्टू सिंह के संपर्क में आया, जिसके बाद उसने दिन दहाड़े शहर के सबसे व्यस्त इलाके लाइन बाजार में तनिष्क के शोरूम में लूट को अंजाम दिया. पूर्णिया और आरा में दिनदहाड़े तनिष्क लूटकांड को अंजाम देने के बाद एसटीएफ उसे सरगर्मी से तलाश रही थी.
चुनमुन झा को लगी सात गोलियां
पुलिस के मुताबिक मुठभेड़ में चुनमुन झा को करीब 6 से 7 गोलियां लगी थीं. सदर अस्पताल अररिया में उसका ईसीजी और अन्य जांच की गई जिसके बाद डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया. मारे गए अपराधी चुनमुन झा के पास से अमेरिकन पिस्टल जब्त की गई है.