बिहार में नीतीश सरकार की तरफ से लागू किए गए शराबबंदी कानून को लेकर समय–समय पर भले ही सवाल उठते रहे हों लेकिन अब पटना हाईकोर्ट ने भी राज्य में शराबबंदी पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. पटना हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए शराबबंदी पर सख्त टिप्पणी की है. हाईकोर्ट के मुताबिक राज्य में शराबबंदी से अवैध शराब का कारोबार बढ़ रहा है.
कोर्ट ने कहा है कि पुलिस, आबकारी, कर, परिवहन विभाग के शराब पर रोक को पसंद कर रहे हैं और इसकी वजह उनकी मोटी कमाई है. इतना ही नहीं कोर्ट ने ये भी टिप्पणी की है कि शराबबंदी से गरीबों पर अत्याचार बढ़ा है और पुलिस और तस्करों ने आपसी मिलीभगत से इसे अपनी कमाई का जरिया बना लिया है.
बिहार में शराबबंदी को लेकर यह तल्ख टिप्पणी पटना हाईकोर्ट के जस्टिस पूर्णेदु सिंह ने की है. जस्टिस पूर्णेदु सिंह एक मामले की सुनवाई कर रहे थे और इसी दौरान उन्होंने ये टिप्पणी की. राज्य में शराबबंदी को लेकर पटना हाईकोर्ट की तरफ से पहली बार ऐसी टिप्पणी सामने आई है.
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पुलिस अधिकारी को किया गया था डिमोट
दरअसल ये पूरा मामला एक पुलिस अधिकारी को डिमोट किए जाने से जुड़ा था जिसपर हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा था. साल 2020 में बिहार पुलिस के एसआई मुकेश कुमार पासवान जो पटना के बाईपास पुलिस स्टेशन में तैनात थे उन्हें डिमोट कर दिया गया था. एसआई मुकेश पासवान के थाना इलाके से थोड़ी दूर पर एक्साइज विभाग ने छापा मारकर विदेशी शराब पकड़ी थी. इस छापेमारी के बाद 24 नवंबर 2020 को जारी एक सरकारी आदेश में एसआई मुकेश पासवान का डिमोशन कर दिया गया.
मुकेश पासवान के डिमोशन का आधार सरकार के उस आदेश को बनाया गया जिसमें ये कहा गया था कि जिस पुलिस अधिकारी के इलाके में शराब पकड़ी जाएगी, उसके खिलाफ एक्शन होगा. एसआई मुकेश पासवान ने विभागीय जांच में अपना पक्ष रखते हुए खुद को निर्दोष भी बताया. एसआई ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था उन्हें कैसे पता चलेगा कि मेरे इलाके के किस घर में शराब है. विभाग ने जब मुकेश का पक्ष नहीं माना तो उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई थी.
ईकोर्ट ने इस मामले में एसआई मुकेश पासवान को राहत दी है और शराबबंदी कानून पर तल्ख टिप्पणी की. हाईकोर्ट ने इस मामले में 29 अक्टूबर को फैसला सुनाते हुए एसआई मुकेश पासवान की डिमोशन की सजा और पूरी विभागीय कार्रवाई को ही रद्द कर दिया.
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हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
यहां गौर देने वाली बात ये है कि पटना हाईकोर्ट के जस्टिस पूर्णेदु सिंह ने अपनी टिप्पणी में क्या कहा. उन्होंने कहा.. शराबबंदी कानून पुलिस के लिए एक हथियार बन गया है. पुलिस अक्सर तस्करों के साथ मिलीभगत करती है. कानून से बचने के नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं. यह कानून मुख्य रूप से राज्य के गरीब लोगों के लिए ही मुसीबत का कारण बन गया है. राज्य सरकार ने 2016 में शराबबंदी लागू किया था तो इसके पीछे का मकसद सही था. राज्य सरकार की कोशिश थी लोगों का जीवन स्तर सुधारे और स्वास्थ्य पर बुरा असर ना पड़े. लेकिन कुछ वजहों से अब इसको इतिहास में बुरे निर्णय के तौर पर देखा जा रहा है.