बिहार के गया जिले में इन दिनों श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ और श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है. इसी आयोजन के दौरान मगध विश्वविद्यालय परिसर में कंबल वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध कथित आध्यात्मिक और उपचारक गुरु का स्वास्थ्य शिविर भी लगाया गया है.
इस शिविर में दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में लोग इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. हालांकि, इस स्वास्थ्य शिविर में बाबा से इलाज कराने के बदले प्रत्येक व्यक्ति से 500 रुपये लिए जाने की बात सामने आई है, जिससे विवाद खड़ा हो गया है.
स्वास्थ्य शिविर में पहुंचने वाले लोगों के मुताबिक, जब वे बाबा से इलाज करवाने पहुंचे, तो उन्हें पहले एक पर्ची कटवाने को कहा गया. इस पर्ची की कीमत 500 रुपये रखी गई थी. कुछ लोगों को इस पर्ची की रसीद दी गई, जिसमें राशि लिखी थी. वहीं, कुछ की रसीद में कोई रकम नहीं दर्ज थी.
इसके अलावा, जिन लोगों ने पर्ची नहीं कटवाई, उन्हें कार्यक्रम स्थल में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई और बाबा से मिलने नहीं दिया गया. यह स्थिति तब और विवादास्पद हो गई, जब लोगों को बताया गया कि बिना फीस जमा किए बाबा इलाज नहीं करेंगे.
गांव-गांव में प्रचार, दूर-दराज से पहुंचे लोग
गया और उसके आसपास के ग्रामीण इलाकों में पिछले कई दिनों से प्रचार किया जा रहा था कि कंबल वाले बाबा असाध्य रोगों का इलाज करते हैं और नसों की समस्याओं को ठीक करने में माहिर हैं. इसी प्रचार से प्रभावित होकर सैकड़ों ग्रामीण स्वास्थ्य शिविर में पहुंच गए, लेकिन वहां फीस मांगे जाने से वे हैरान रह गए. एक मरीज ने बताया, हमने सुना था कि बाबा बहुत अच्छा इलाज करते हैं. इसलिए हम यहां आए. लेकिन यहां आकर पता चला कि पहले 500 रुपये की पर्ची कटवानी होगी. तब ही बाबा इलाज करेंगे.
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कंबल वाले बाबा ने किया पैसों के लेन-देन से इनकार
इस पूरे मामले पर जब कंबल वाले बाबा से सवाल किया गया, तो उन्होंने इलाज के बदले कोई भी रकम लेने की बात से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, मैं किसी से एक रुपये भी नहीं लेता. यहां जो आयोजन समिति है, वही व्यवस्था देख रही होगी. मैं सिर्फ सेवा करने आया हूं और सेवा करके वापस चला जाऊंगा.