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49 साल के बैचलर, अध्यात्म का धुनी... क्या राजनीति में आ रहे हैं नीतीश कुमार के इकलौते सुपुत्र निशांत कुमार?

JDU साल 2003 में अस्तित्व में आई और समाजवादी विचारधारा और चोला पहनकर पिछले 22 सालों से नीतीश कुमार की छत्रछाया में ही फलती-फूलती रही. कभी PK, कभी RCP, कभी ललन सिंह, तो कभी उपेंद्र कुशवाहा का उभार इस पार्टी में हुआ, लेकिन उत्तराधिकारी के नाम पर नीतीश ने कभी मुहर नहीं लगाई. अब निशांत की राजनीतिक डेब्यू की चर्चा सुर्खियां बटोर रही हैं.

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निशांत कुमार के राजनीति में आने की चर्चा है.
निशांत कुमार के राजनीति में आने की चर्चा है.

निशांत कुमार पिता नीतीश कुमार की तरह इंजीनियर तो बन गए लेकिन उन्हें सोशल और पॉटिलिकल इंजीनियरिंग की बजाय स्पिरिचुअल हीलिंग जीवन जीने का ज्यादा मुफीद तरीका लगा. यही वजह है कि 49 साल के बैचलर निशांत आज भी हरे रामा, हरे कृष्णा का भजन करते हैं और सियासत की संकरी गली से अच्छा-खासा फासला बनाकर रखते हैं. 

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महीनों पहले निशांत पटना के बाजार में दिखाई दिए. जब वजह पूछी गई तो उन्होंने कहा कि वे मोबाइल पर हरे रामा हरे कृष्णा सुनते हैं, और इसी के लिए स्पीकर खरीदने आए हैं. इस दौरान जब उनसे राजनीति में आने की उनकी इच्छा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे अध्यात्म की राह पर निकल पड़े हैं. 

लेकिन इस बार जब नीतीश के लाडले से राजनीति में एंट्री और जेडीयू को ज्वाइन करने पर सवाल पूछा गया तो इस बार उन्होंने इनकार नहीं किया, बस कन्नी काट गए.

Politics is the art of the possible

इसलिए तो कहा जाता है कि Politics is the art of the possible. यानी कि राजनीति  में वही काम किया जाता है जो व्यावहारिक रूप से संभव हो. इसमें आदर्शवादी लक्ष्यों के बजाय वास्तविकता और परिस्थितियों के अनुसार फैसले लिए जाते हैं. 

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तो क्या होली के बाद निशांत कुमार बिहार की राजनीति में डेब्यू करने जा रहे हैं. 

निशांत की अगवानी के लिए पटना में जेडीयू दफ्तर के बाहर लगे पोस्टर 'बिहार करे पुकार, आइए निशांत कुमार' ऐसा ही इशारा कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि होली के बाद निशांत जेडीयू में शामिल होने जा रहे हैं. 

निशांत की राजनीति में एंट्री से पहले उनका निशांत की शख्सियत को समझना जरूरी है.

पिता नीतीश कुमार के साथ निशांत कुमार (फोटो- एक्स)

लंबे-चौड़े राजनीतिक विरासत से जुड़े होने के बावजूद  निशांत राजनीति से दूर रहे. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी स्वर्गीय पत्नी मंजू कुमारी सिन्हा के इकलौते बेटे निशांत का जन्म 20 जुलाई 1975 को हुआ है. गौरतलब है कि बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के अभियांत्रिकी करने की डिग्री करने वाले नीतीश कुमार की शादी 22 फरवरी 1973 शिक्षिका मंजू कुमारी सिन्हा से हुई थी. 

स्कूल में निशांत कुमार की पिटाई

स्कूली शिक्षा के लिए निशांत कुमार का दाखिला पटना के सेंट कैरेंस स्कूल में करवाया गया. यहां उनकी पढ़ाई चल ही रही थी कि एक घटना उनकी जिंदगी में अहम मोड़ लेकर आई. 

कैरेंस स्कूल में एक दिन एक शिक्षक ने निशांत की इस कदर पिटाई कर दिया कि उन्हें बुखार आ गया और ललाट पर गांठ बन गया. नीतीश इससे काफी नाराज हुए. उन्होंने इस स्कूल से ही निशांत का नाम कटवा दिया. 

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उन्होंने निशांत को मसूरी के बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया. लेकिन निशांत को यहां घर की याद सताने लगी. निशांत की मां ने उन्हें वापस बुला लिया इसके बाद उनका दाखिला पटना स्थित केंद्रीय विद्यालय में करा दिया गया. 

स्कूल के बाद निशांत कुमार ने झारखंड की राजधानी रांची में स्थित बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी) मेसरा से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. निशांत ने पेशेवर डिग्री हासिल करने के मामले में तो अपने पिता को फॉलो किया, लेकिन करियर के चुनने के मामले में वे पिता से अलग रहे.  

मीडिया से दूरी, अध्यात्म से नजदीकी

पिता की तरह ही सादगी से जीवन जीने वाले निशांत मीडिया की सुर्खियों से दूर रहते हैं और अभी तक शादी नहीं की है. 

नीतीश कुमार की पत्नी मंजू सिन्हा का 2007 में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था. इसके बाद निशांत और भी अकेले पड़ गए. शायद इसी घटना के बाद उन्होंने अध्यात्म का सहारा लिया. और इसी में रम गए. फिर शादी-गृहस्थी की बात पीछे छूटते चली गई.

हालांकि वे कभी कभी सार्वजनिक कार्यक्रमों में पिता के साथ दिखते हैं. लेकिन मीडिया के हर सवाल में वह राजनीति में एंट्री की खबरों को इनकार करते हैं. 

हालांकि इस बार निशांत से जब राजनीति में आने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने इनकार नही किया. 

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नीतीश भी कभी गए थे ओशो से मिलने

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कभी अध्यात्म और धर्म गुरुओं की ओर आकर्षित हुए थे. ये तक का समय था जब नीतीश कुमार इंजीनियरिंग कर चुके थे और नौकरी की तलाश में भटक रहे थे. इस दौरान वे मुंबई आए और यहां पर ओशो से मिलने चले गए. पूरी कहानी आप यहां पढ़ सकते हैं. 

यह भी पढ़ें: जब ओशो से मिलने पहुंचे थे नीतीश... सियासत से पहले के उस निर्णायक दौर की कहानी

22 सालों से नीतीश की छत्रछाया में JDU

दरअसल ये बिहार का चुनावी साल है. और बिहार में जेडीयू की राजनीति में इस बात की जबर्दस्त चर्चा है कि नीतीश के बाद कौन? तेजस्वी यादव नीतीश की सेहत को लेकर सवाल उठाते रहे हैं. उन्होंने तो निशांत के राजनीति में आने का स्वागत भी किया. हालांकि निशांत ने अपने पिता के स्वस्थ को 100 फीसदी दुरुस्त बताया और 2025 के चुनाव के लिए उनके लिए वोट भी मांगा.

JDU साल 2003 में अस्तित्व में आई और समाजवादी विचारधारा और चोला पहनकर पिछले 22 सालों से नीतीश की छत्रछाया में ही फलती-फूलती रही. कभी PK, कभी RCP, कभी ललन सिंह, तो कभी उपेंद्र कुशवाहा का उभार इस पार्टी में हुआ, लेकिन उत्तराधिकारी के नाम पर नीतीश ने कभी मुहर नहीं लगाई. 

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नीतीश ने अपनी राजनीतिक पूंजी को परिवारवाद के आरोपों से अबतक दूर रखा है. लेकिन एक पश्चिमी विचारक विक्टर ह्यूगो ने कहा है कि पृथ्वी पर कोई शक्ति उस विचार को नहीं रोक सकती है, जिसका समय आ चुका है. तो क्या निशांत का समय आ चुका है?

बिहार में चर्चा है कि निशांत कुमार हरनौत विधानसभा से चुनाव लड़ सकते हैं. नालंदा जिले में आने वाला हरनौत विधानसभा जेडीयू का राजनीतिक गढ़ रहा है. पिछले चार चुनावों से इस सीट पर जेडीयू को जीत मिलती आ रही है. नीतीश कुमार ने 1995 में इसी सीट से जीत हासिल की थी. अब इसी सीट से बेटे निशांत कुमार के चुनाव लड़ने की चर्चा है.

हालांकि इस बारे में आधिकारिक जानकारी न तो जेडीयू ने, न ही नीतीश कुमार ने और न ही स्वयं निशांत कुमार ने दी है.  
 

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