बिहार विधानसभा के चुनावी साल में नीतीश कुमार की अगुवाई वाली कैबिनेट का 26 फरवरी को विस्तार हुआ. इस कैबिनेट विस्तार में सात नए मंत्री सरकार में शामिल हुए. सभी सात मंत्री भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कोटे से हैं. जिन सात विधायकों को मंत्री बनाया गया है, उनमें से एक तो ऐसे हैं जो कभी भी बीजेपी के टिकट पर विधानसभा सदस्य निर्वाचित नहीं हुए. साल 2020 में भी दूसरे दल के सिंबल पर ही विधानसभा पहुंचे और बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे. कुल मिलाकर चार नेता ऐसे हैं जो दूसरे दलों की सियासत का अनुभव रखते हैं.
विजय मंडल सबसे अनुभवी
नीतीश सरकार के नए मंत्रियों में विजय मंडल दल-बदल की सियासत का सबसे माहिर चेहरा हैं. विजय मंडल के पास आनंद मोहन की अगुवाई वाली बिहार पीपुल्स पार्टी से लेकर लालू यादव की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), लोक जनशक्ति पार्टी का भी अनुभव है. विजय मंडल 1995 के बिहार चुनाव में पहली बार आनंद मोहन की पार्टी से अररिया सीट से विधायक निर्वाचित हुए थे. तब वह इस पार्टी के इकलौते विधायक हुआ करते थे. साल 2000 में वे निर्दलीय चुनाव जीते. 2005 में आरजेडी के टिकट पर मैदान में उतरे लेकिन हार गए.
2005 में अररिया से विधायकी जीते प्रदीप कुमार सिंह 2009 के आम चुनाव में लोकसभा सदस्य निर्वाचित हो गए और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. रिक्त हुई अररिया विधानसभा सीट से उपचुनाव में विजय मंडल लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे. 2010 में एलजेपी ने विजय को सिकटी से टिकट दिया लेकिन वे हार गए. इसके बाद विजय ने फिर से पाला बदला और उसी दल बीजेपी में शामिल हो गए जिसके उम्मीदवार से शिकस्त मिली थी. 2015 और 2020 में बीजेपी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे. निर्दल को भी दल के रूप में गिन लें तो विजय मंडल के पास पांच दलों का अनुभव है.
राजू सिंह के पास चार पार्टियों का अनुभव
कैबिनेट विस्तार में मंत्री बनाए गए राजू सिंह भी राजनीतिक दलों के अनुभव के आधार पर विजय मंडल के करीब ही हैं. मुजफ्फरपुर के साहेबगंज से विधायक राजू को चार दलों से राजनीति करने का अनुभव है. फरवरी, 2005 के बिहार चुनाव में पहली बार विधायकी जीते राजू अक्तूबर, 2005 के चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) से विधायक बने.
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साल 2010 में भी जेडीयू विधायक रहे राजू 2015 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर मैदान में उतरे और हार गए. 2020 के बिहार चुनाव में वह मुकेश सहनी की अगुवाई वाली विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) से चुनाव जीते और बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे. चार पार्टियों के अनुभवी राजू सिंह ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा तो लेकिन पार्टी के सिंबल पर कभी विधानसभा नहीं पहुंचे.
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दो मंत्री ऐसे भी जो जेडीयू से रहे विधायक
बिहार कैबिनेट के विस्तार में जेडीयू कोटे से एक भी नहीं था लेकिन इसमें दो मंत्री ऐसे जरूर हैं जो नीतीश की अगुवाई वाली पार्टी से ही बीजेपी में आए हैं. इन मंत्रियों की लिस्ट में बिहारशरीफ के विधायक डॉक्टर सुनील कुमार और अमनौर से विधायक कृष्ण कुमार मंटू के नाम हैं. दो बार के बीजेपी विधायक डॉक्टर सुनील तीसरी बार विधायक हैं. डॉक्टर सुनील 2010 के बिहार चुनाव में जेडीयू के टिकट पर विधानसभा सदस्य चुने गए थे. डॉक्टर सुनील की ही तरह कृष्ण कुमार मंटू भी 2015 और 2020 में बीजेपी के टिकट पर विधायक चुने गए लेकिन पहली बार 2010 में विधानसभा का चुनाव जेडीयू से जीते थे.