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INDIA गठबंधन की वो बैठक और लालू कनेक्शन... आखिर ललन सिंह से खफा क्यों हैं नीतीश कुमार?

जेडीयू की दिल्ली में बैठक होनी है और इस बैठक से पहले नीतीश कुमार की जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह से नाराजगी के चर्चे हैं. आखिर ललन सिंह से नीतीश कुमार खफा क्यों हैं?

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नीतीश कुमार और ललन सिंह
नीतीश कुमार और ललन सिंह

तापमान लुढ़क रहा है लेकिन बिहार का सियासी पारा चढ़ गया है. वजह है जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में चल रही हलचलें. दिल्ली में जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होनी है और राष्ट्रीय राजधानी में होने जा रही इस बैठक की तपिश पटना तक है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का एजेंडा क्या है? इसे लेकर कोई आधिकारिक जानकारी अभी सामने नहीं आई है लेकिन अब बिहार के सीएम नीतीश कुमार का बयान आया है.

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नीतीश कुमार ने लल्लन सिंह को अध्यक्ष पद से हटाए जाने और तमाम कयासों-अटकलों को लेकर सवाल के जवाब में कहा है कि यह रूटीन बैठक है. हर साल होती है. लेकिन सवाल यही है कि ऐसे समय में जब देश लोकसभा चुनाव की ओर बढ़ रहा है, विपक्षी पार्टियां एकजुट होकर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से दो-दो हाथ करने की तैयारी में है, क्या जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दिल्ली बैठक वास्तव में सामान्य बैठक है? ललन सिंह का सियासी फ्यूचर अब क्या होगा? क्या ललन जेडीयू अध्यक्ष बने रहेंगे या पद से उनकी छुट्टी हो जाएगी?

दरअसल, पिछले कुछ समय से ऐसी खबरें आ रही थीं कि आरजेडी अब नीतीश को दिल्ली की सियासत में धकेल सूबे की बागडोर तेजस्वी यादव को सौंप देना चाहती है. इन सबके बीच इंडिया गठबंधन की दिल्ली में चौथी बैठक हुई जिसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री उम्मीदवार के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम का प्रस्ताव रख दिया. इससे भी नीतीश कुमार नाराज बताए जा रहे थे कि जेडीयू विधायकों की सीक्रेट मीटिंग की खबरें आने लगीं. ललन सिंह की आरजेडी प्रमुख लालू यादव और तेजस्वी यादव के साथ करीबी के भी चर्चे होने लगे.

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लालू यादव, नीतीश कुमार और ममता बनर्जी (फाइल फोटोः पीटीआई)
लालू यादव, नीतीश कुमार और ममता बनर्जी (फाइल फोटोः पीटीआई)

नीतीश कुमार जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह से खफा हैं, ऐसे कयास बिहार के सियासी गलियारों में तैरने लगे. कोई ललन से नीतीश की नाराजगी के पीछे उनकी लालू परिवार से बढ़ी करीबी को वजह बताने लगा तो कोई ये कह रहा है कि इंडिया गठबंधन में जेडीयू का पक्ष मजबूती से रख पाने में विफलता इसकी वजह है. जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने हाल ही में नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन का संस्थापक बताया था. अब तर्क ये भी दिए जा रहे हैं कि ललन सिंह अगर इंडिया गठबंधन के मंच पर जेडीयू का पक्ष दमदारी से रखने में सफल रहते तो नीतीश कुमार या तो पीएम फेस घोषित हो चुके होते या फिर संयोजक के रूप में नजर आते. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

ललन सिंह से क्यों खफा हैं नीतीश

ललन सिंह की आरजेडी से करीबी की चर्चा थी. नीतीश कुमार के साथ ही जेडीयू के तमाम सांसद-विधायक जहां अपने पुराने गठबंधन में सहयोगी रही बीजेपी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर सीधा हमला बोलने से बचते नजर आते हैं. वहीं, ललन सिंह संसद के भीतर और बाहर बीजेपी को लेकर काफी आक्रामक थे. दिल्ली में हुई इंडिया गठबंधन की बैठक में भी जब ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम का प्रस्ताव रखा, तब भी ललन सिंह के मौन और नीतीश के साथ पटना लौटने की जगह उस दिन आना जिस दिन लालू और तेजस्वी लौटे, इसे भी नीतीश कुमार के खफा होने की वजह बताया जा रहा है.

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नाराजगी की अटकलों के बीच सीएम नीतीश कुमार ने दिल्ली से लौटने के बाद पटना स्थित ललन सिंह के आवास पहुंचकर उनसे मुलाकात भी की थी. सीएम नीतीश वहां करीब 10 मिनट रुके थे. ललन सिंह से मुलाकात के बाद नीतीश कुमार सीएम आवास लौट आए थे. तब इस तरह की चर्चा भी थी कि लालू परिवार से करीबी को लेकर नीतीश की नाराजगी देख राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ना चाहते हैं और उन्होंने जेडीयू अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश भी कर दी है. खबरें ऐसी भी थीं कि नीतीश, ललन को पूरी तरह दरकिनार करने की जगह कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर पर भर कतरना चाहते हैं.

इंडिया गठबंधन की दिल्ली बैठक में शामिल नेता (फाइल फोटोः पीटीआई)
इंडिया गठबंधन की दिल्ली बैठक में शामिल नेता (फाइल फोटोः पीटीआई)

बीच में अटकलें जेडीयू और आरजेडी के विलय की भी थीं. कहा जा रहा था कि आरजेडी और जेडीयू के विलय के बाद नीतीश दिल्ली की सियासत में सक्रिय होंगे और बिहार की राजनीति तेजस्वी संभालेंगे. हालांकि, जेडीयू इस तरह की किसी चर्चा को खारिज करती रही है लेकिन जनता दल परिवार की पार्टियों को फिर से एकजुट कर एक पार्टी की मुहिम एक समय चल चुकी है. तब इस तरह की कोशिशें शरद यादव के नेतृत्व में चली थीं. कई दौर की बैठक भी हुई लेकिन नतीजा सिफर ही रहा.

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क्या कहते हैं जानकार?

जेडीयू के ताजा घटनाक्रम और बिहार में सियासी हलचल को लेकर वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क ने कहा कि नीतीश कुमार की एक स्क्रिप्ट है और वह उसी स्क्रिप्ट को फॉलो कर रहे हैं.2005 और 2010 के चुनाव जेडीयू ने एनडीए के बैनर तले लड़ा था. 2014 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ा और 2015 के बिहार चुनाव में जेडीयू, आरजेडी के साथ थी. 2019 और 2020 का चुनाव नीतीश ने बीजेपी के साथ लड़ा. ऐसे में 2025 से पहले नीतीश पाला बदलेंगे, कम से कम यह पैटर्न देखते हुए ऐसा नहीं लगता.

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उन्होंने ये भी कहा कि जेडीयू की बैठक से कोई बड़ी सियासी उथल-पुथल होगी, ऐसा लगता नहीं है. हां, नीतीश के दोनों हाथों में लड्डू हैं. बिहार में एनडीए हो या इंडिया, दोनों को ही नीतीश की जरूरत है और वह दूसरे हाथ का लड्डू दिखाकर अपनी सियासत साधने की रणनीति पर चलते नजर आ रहे हैं. ललन सिंह का कोई मुद्दा नहीं है. हाल के दिनों में आरजेडी को लेकर उनका कोई ऐसा बयान भी नहीं आया है जिससे उनकी लालू परिवार से करीबी झलके या नीतीश असहज हों. इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग से पहले सहयोगियों को अपनी बात मनवाने के लिए यह प्रेशर पॉलिटिक्स है.

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